अग्निदाह

हैलो..हैलो..,हैलो..पमा!” “हां। हैलो..बोल बालू।” “मैं गांव में आया हूँ। तू कहाँ है?” -“मैं काम पर हूँ। रात को जल्द घर आया तो मिलता हूं; नहीं तो कल मिलेंगे।” “ठीक है। रखता हूँ। बाय।” दूसरे दिन दोपहर के समय रास्ते से जोर से आवाज आया, “बालू है घर पर।” माँ ने घर का गेट खोला, तो […]

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प्रेम का परिमार्जन

शोभना ने अपना जीवन अपनी गृहस्थी के हवाले कर दिया था। सौ प्रतिशत का उसका यह प्रयास बेहतर परिणाम दे रहा था। एक आदर्श नींव पर उसका परिवार भली प्रकार फल-फूल रहा था और क्यों ना हो, शोभना अपने खून-पसीने से इसका सिंचन जो कर रही थी।        यूँ तो सास-ससुर साथ नहीं रहते थे

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तिथियों वाला कैलेंडर (लघुकथा)

“गुड़ी पड़वा” के दिन तिथियों वाला हिंदी कैलेंडर खुशी से फूला नहीं समा रहा था। वह कभी दाएं डोल रहा था तो कभी बाएं…! दूसरी दीवार पर टंगे अंग्रेजी कैलेंडर को उसकी खुशी फूटी आंखों नहीं सुहा रही थी।        “ए मिस्टर… तुम ज्यादा मत खुश हो! मेरे व्यक्तित्व के सामने तुम्हारा क्या अस्तित्व? जैसा

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समझदार चिड़िया (लोककथा)

(आत्मकथ्य- दादी नानी की कहानियाँ)  एक चिड़ा और एक चिड़िया थी। दोनों बड़े प्रेम से साथ साथ रहते थे। एक दिन चिड़ा को चावल व चिड़िया को दाल मिली। दोनों ने मिलकर खिचड़ी बनाने की सोची। दोनों अग्नि-पानी व बर्तन की व्यवस्था में जुट गये। चिड़िया कुम्हार के यहाँ से सिराई (मिट्टी का सकोरा) भी

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अवतार क्या होता है?

भारत में रहने वाले सभी लोगों ने ‘अवतार’ शब्द जरूर सुना होगा भले ही हिन्दू हों या अहिंदू। विष्णु के अवतार सबसे लोकप्रिय हैं हालांकि अन्य देवताओं के भी अवतार हुए हैं। लेकिन ज़्यादातर हम इसका अर्थ धर्म से जोड़ कर लगाते हैं। अपने व्यावहारिक जीवन से जोड़ कर इसे नहीं देखते। अगर ‘अवतार’ के

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जरूरी है तनमन का संतुलन

पिछले दिनों एक छोटी सी न्यूज आई थी जिसने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह न्यूज़ यह था कि प्रसिद्ध मोटीवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने स्वयं अपने यूट्यूब पोस्ट में बताया कि वे 2020 के अंतिम दिनों से ही डिप्रेशन (अवसाद) में चल रहे हैं। इसके लिए वे इलाज भी ले रहे हैं।

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मिसाइलमैन ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’: डॉ अब्दुल कलाम

वर्तमान उत्तराखंड का एक पवित्र शहर ऋषिकेश। गंगा का सुरम्य तट। एक युवक बेचैन सा टहल रहा था। उसका ध्यान प्रकृति के सौन्दर्य पर नहीं बल्कि अपने जीवन की उलझनों पर था। वह दक्षिण के समुद्र तटीय जिले रामेश्वरम से इतनी दूर यहाँ एक इंटरव्यू देने आया हुआ था। उसका परिवार आर्थिक दृष्टि से अधिक

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माँ (त्रिकोणीय तुकांत कविता)

माँ हाँ रूप साकार मूर्तिकार जीव संचार संसार आधार अद्भुत चमत्कार स्तन क्षीर फुहार त्याग प्रेम दया विहार संवेदना वात्सल्य फुहार गंगा जमुना सरस्वती सार कुटुंब उज्जवल भावि गुहार   सदन मजबूत नींव एकाधार चार धाम यात्रा पवित्र चरण द्वार जननी धात्री मातृ प्रसू उपनाम हार सशरीर जगत जननी दिव्य अवतार अधर सदैव उच्चरित आशीर्वचन धार

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