समाज में अव्यवस्थित जीवन और परिवार का अनुसरण कितना उचित और कितना अनुचित है।

जिस तरह से हमारे शरीर की सबसे छोटी इकाई कोशिका है, हजारों कोशिकाओं से मिलकर उत्तक का निर्माण होता है और उसके बाद हमारे शरीर का ढांचा तैयार होता है, उसी तरह परिवार समाज की एक छोटी सी इकाई है। आधुनिक समय में सामाजिक मर्यादा और कर्तव्यों का पतन हो रहा है। इसका परिणाम हुआ […]

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मिर्जा गालिब: उर्दू और फारसी के महान शायर

“रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायलजब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।” यह पंक्ति है महशूर शायर मिर्जा गालिब के जिनका हाल में ही 27 दिसंबर हो जन्मदिवस मनाया गया है। इनका भौतिक जीवन काल तो 27 दिसंबर 1796 से 15 फरवरी 1869 तक रहा लेकिन इनकी रचनाएँ आज

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अभिमान क्यों? किसलिए? किसका?

यह संसार नश्वर है अतः यहाँ किसी का कुछ नहीं यानि अपना होता हुआ भी, कुछ भी अपना नहीं होता, तो फिर सवाल उठता है, अभिमान क्यों? हालाँकि अभिमान से शायद ही कोई बचा हो यानि हर वर्ग में, हर क्षेत्र में, हर उम्र वालों में सभी जगह यह विषाणु [वायरस] मौजूद मिलेगा। जबकि हम

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नॉट आउट @हंड्रेड (व्यंग्य)

ख्वाबों, बागों और नवाबों के शहर लखनऊ में आपका स्वागत है”  यही  वो इश्तहार है जो उन लोगों ने देखा था जब लखनऊ की सरजमीं पर पहुंचे थे। ये देखकर वो खासे मुतमइन हुए थे। फिर जब जगह जगह उन लोगों ने ये देखा कि “मुस्कराइए आप लखनऊ में हैं” तो उनकी दिलफ़रेब मुस्कराहटें कान कान तक की खींसे

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भैया रिटायर क्या हुए…(व्यंग्य)

भैया कुछ दिन पहले ही रिटायर हुए हैं और वज़ह-बेवज़ह ही बड़े स्ट्रैस्ड हैं। रिटायर्ड आदमी की जिंदगी ऐसी हो जाती है मानो आप अचानक एक सार्वजनिक संपत्ति बन गए हों, जिसे हर कोई अपने अनुभवों और ज्ञान से सजाने-संवारने का अधिकार समझता है। रिटायरमेंट के बाद आदमी जितना अपने भविष्य के बारे में नहीं

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याददाश्त को ठीक बनाए रखने के लिए अनिवार्य है मानसिक सक्रियता

कुछ लोग, विशेष रूप से बढ़ती उम्र में कहते हैं कि उनकी याददाश्त बड़ी ख़राब है और वे जल्दी ही चीज़ों को भूल जाते हैं। जहाँ तक भूलने की बात है भूलना एक स्वाभाविक क्रिया है। यदि हम हर चीज़ को याद रखने की कोशिश करेंगे, तो हमारा दिमाग़ परेशान हो जाएगा। अतः कुछ चीज़ें

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मुआवजा

यकीन कीजिए मेरा, मौत बहुत अच्छी चीज है। जो आपको जीते जी नहीं मिल पाता वह मरने के बाद मिल जाता है। यह अपने अनुभव से बता रहा हूं। रुकिए रुकिए। आप पूछेंगे मैं मरा कैसे, ये मैं बाद में बताऊंगा। पहले शुरुआत मेरे जीवन से। मेरी शादी लव मैरेज़ थी। शादी से पहले वह

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डिजिटल युग में पढ़ाई

अपनी जरूरतों और भावनाओं को तो पशु भी अभिव्यक्त करते हैं, पर उस पर विचार करना एक ऐसा कार्य है जो केवल मनुष्य कर सकता है। मनुष्य को ही यह शक्ति मिली है कि वह अपने मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ा सकता है। अपने विचारों को एक सकार रूप दे सकता है और इसे दूसरे

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