जरूरी है तनमन का संतुलन

Share

पिछले दिनों एक छोटी सी न्यूज आई थी जिसने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह न्यूज़ यह था कि प्रसिद्ध मोटीवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने स्वयं अपने यूट्यूब पोस्ट में बताया कि वे 2020 के अंतिम दिनों से ही डिप्रेशन (अवसाद) में चल रहे हैं। इसके लिए वे इलाज भी ले रहे हैं। इस पोस्ट ने लोगों को इसलिए आश्चर्य में डाल दिया कि दूसरों को मोटिवेट करने वाला व्यक्ति स्वयं कैसे डिमोटिवेट हो सकता है, जबकि दिखने में तो उनके पास वे सभी उपलब्धियां हैं जिसका सपना हर व्यक्ति देखता है।

संदीप माहेश्वरी के विवाद ने कई पुरानी विवादों को फिर से चर्चा में ला दिया। प्रसिद्ध एक्टर दीपिका पादुकोण और ऋतिक रोशन सहित अन्य अनेक तथाकथित सफल व्यक्ति सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं कि वे डिप्रेशन के दौर से गुजरे हैं।

इस सबसे इतना तो तय है कि अगर आप डिप्रेस्ड हैं या एंजाइटी जैसे किसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं इसका अर्थ यह नहीं है कि आप किसी कठिन स्थिति में पड़े हैं। बल्कि यह है कि आप यद्यपि दूसरों से बहुत अच्छी स्थिति में हैं पर अपनी समस्या को ठीक से संभाल नहीं पा रहे हैं। या फिर किसी शारीरिक या किसी अन्य कारण से आप बीमार हैं और अगर ठीक से इलाज कराएंगे और दृढ़ इच्छा शक्ति से ठीक होना चाहेंगे तो आप फिर से बिलकुल ठीक हो कर एक सामान्य जिंदगी जी सकते हैं।

हाल में ही राजस्थान के कोटा में कई विद्यार्थियों द्वारा किए गए आत्महत्या ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि जब सब कुछ अच्छा दिख रहा था, उनके सामने उज्ज्वल भविष्य के सपने थे, तो आखिर वे कौन-सी परिस्थितियाँ हुई कि इन बच्चों ने ऐसा अतिवादी कदम उठा लिया।

Read Also:  भोजन और भजन की ये 5 सावधानियाँ रखेंगी आपको सेहतमंद

अनेक क्षेत्र में उपलब्धियों के बावजूद यह भी सच है कि भारत उन देशों में शामिल हैं जहां अवसाद के मरीजों के संख्या सबसे अधिक है। इनमें युवा भी बड़ी संख्या में शामिल हैं। भारत उन देशों में शामिल हैं जहां सबसे अधिक युवा आत्महत्या करते हैं। भारत उन देशों में शामिल है जहां सबसे अधिक हृदय रोगी हैं, जहां सबसे अधिक डायबिटीज़ के रोगी हैं, जहां किडनी और आँखों के कार्निया के प्रत्यारोपण के लिए वर्षों तक की प्रतीक्षासूची होती है। यह आंकड़ा तब है जब बड़ी संख्या में लोग हॉस्पिटल तक नहीं पहुँच पाते, या फिर उनकी बीमारी पहचानी नहीं जाती।

इसका अर्थ यह हुआ कि अपना देश भारत जिस तेजी से दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा है उससे अधिक तेजी से दुनिया का सबसे रोगी देश भी बन रहा है। शारीरिक और मानसिक- दोनों प्रकार के रोगियों में वृद्धि देखी गई है। यह वृद्धि युवा में भी हो रही है। चिकित्सा सुविधा जिस तेजी से बढ़ रहा है उससे अधिक तेजी से बीमारों की संख्या बढ़ रही है।

देश में हुए अध्ययन हो, या विश्व स्वास्थ संगठन के अध्ययन, सभी के आंकड़े यही बताते हैं कि हमारे दैनिक दिनचर्या में बहुत तेजी से परिवर्तन आ रहा है। इसका हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पर रहा है। खानपान की गलत आदतें; स्क्रीन टाइम (जो समय हम मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी के सामने बिताते हैं) बढ़ना; लंबे समय तक बैठना या खड़े रहना; शारीरिक कार्य कम करना; खेलकूद, व्यायाम आदि का अभाव; सोशल मीडिया के अधिक प्रयोग से अनुपयुक्त दृश्यों और विचारों का मस्तिष्क पर हावी होना, तनाव, पर्यावरण प्रदूषण, इत्यादि कारण तेजी से हमें एक बीमार समाज बनाते जा रहे हैं।

Read Also:  स्वस्थ जीवन की कुंजी है सक्रिय जीवन

अतः हमारी एक बड़ी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने शरीर और मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के प्रयास करें। शरीर और मन के स्वस्थ रहने से तो हम परिवार, समाज और देश के लिए कुछ कर पाएंगे। कहा भी गया है “शरीरम खलु धर्म साधन:” अर्थात शरीर ही धर्म का साधन है।

        ****

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top

Discover more from

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading