सोमनाथ-द्वारका: भगवान श्रीकृष्ण के वैभवशाली नगर

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आस्थावान हिंदुओं की एक हार्दिक अभिलाषा होती है कि जीवन में कम-से-कम एक बार सोमनाथ और द्वारकाधीश (इसका वर्तनी द्वारिकाधीश के रूप में भी किया जाता है) के दर्शन उन्हें मिल जाए। सोमनाथ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। इनके पास ही एक और ज्योतिर्लिंग नागेश्वर महादेव के नाम से है। द्वारका नगरी भगवान श्रीकृष्ण के परम वैभवशाली राजधानी रही थी। अगर समय हो तो सोमनाथ और द्वारका के आसपास कई और भी प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व के खूबसूरत स्थल देखने के लिए हैं।

सोमनाथ

      यह गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में वेरावल बन्दरगाह में स्थित है। वर्तमान वेरावल के आसपास का क्षेत्र ही प्राचीन काल में प्रभास क्षेत्र कहलाता था। प्रभास क्षेत्र में ही भगवान कृष्ण के कुल का अंत हुआ था। वर्तमान में  समुद्र के किनारे स्थित अत्यंत मनोरम सोमनाथ मंदिर के लिए यह प्रसिद्ध है। मंदिर की कलात्मकता जितनी सुंदर है उसे समुद्र की लहरें और भी सुंदर बना देती है। मंदिर परिसर में समुद्र के किनारे बैठने से सारे तनाव भूल कर शांति का खुशनुमा अनुभव होता है।

      मुख्य मंदिर के परिसर में ही शिव जी का एक छोटा मंदिर हैं। कहा जाता है कि यह मंदिर ही प्राचीन सोमनाथ मंदिर है जिसे विदेशी आक्रांताओं द्वारा कई बार तोड़ा गया था। वर्तमान मंदिर स्वतन्त्रता के बाद बनवाया गया है। ऐसी मान्यता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग अत्यंत प्राचीन है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी है और इसके मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्र देव ने किया था। चंद्र देव का एक नाम सोम होने के कारण इसका नाम सोमनाथ पड़ा।

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      सोमनाथ की महिमा इसके ज्योतिर्लिंग के कारण तो है ही पुण्य क्षेत्र होने के कारण यहाँ श्राद्ध, नारायण बलि आदि कर्मों का भी विशेष महत्त्व है। यहाँ हिरण, कपिला और सरस्वती नदी का संगम है, जिस पर स्नान के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं। 

      पुराणों के अनुसार प्रभास क्षेत्र ही वह क्षेत्र हैं जहाँ यदुवंशियों का नाश हुआ था और भगवान श्री कृष्ण के चरणों में भील का चलाया हुआ तीर लगा था। अतः भगवान कृष्ण से संबन्धित कई दर्शनीय तीर्थ स्थल भी आसपास हैं।

      सोमनाथ से लगभग 200 किमी की दूरी पर द्वारिका पुरी है। माना जाता है कि यहीं भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी द्वारिका थी जो उनके स्वधाम गमन के बाद समुद्र में समा गई। वर्तमान भेंट  द्वारिका द्वीप को मूल द्वारिका का भाग माना जाता है। मान्यता है कि यही वह स्थान है जिसे कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को दिया था, और सुदामा भक्ति में लीन होकर यहीं आजीवन रहें। यहाँ द्वारिका से स्टीमर द्वारा पहुँचा जाता है। वहाँ भी कई दर्शनीय मंदिर हैं।

      द्वारिका में समुद्र-गोमती संगम पर द्वारिकाधीश का मंदिर है जिनके दर्शन के लिए श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं। यह हिंदुओं के प्रसिद्ध चार धामों में शामिल है। द्वारिका के आसपास भी कई अन्य दर्शनीय तीर्थ स्थल हैं।

      सोमनाथ-द्वारिकाधीश यात्रा का सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि यहाँ धार्मिक स्थल के साथ-साथ समुद्र तट का प्रकृतिक सौन्दर्य भी मिलता है। यहाँ जाने के लिए मौसम की कोई बंदिश नहीं है। यहाँ हर मौसम में जाया जा सकता है।

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      देश के किसी भी हिस्से से ट्रेन या हवाईजहाज से अहमदाबाद आकर इन दोनों स्थानों तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।

      यहाँ सर्दी अधिक नहीं पड़ती। कोई पहाड़ी चढ़ाई नहीं है। इसलिए ऐसे वरिष्ठ लोग जो अधिक चलने के लिए समर्थ नहीं हैं, भी यहाँ जा सकते हैं। मंदिर परिसर में उनके लिए बैटरी रिक्शा और व्हीलचेयर की व्यवस्था है। यह अधिक महँगी जगह भी नहीं है। इसलिए अपने समय और बजट के अनुकूल आप सोमनाथ-द्वारकाधीश दर्शन के लिए योजना बना सकते हैं। 

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