समुद्र-सूर्य का अद्भुत मिलन: कन्याकुमारी

Share

चंचल बच्चे जैसे उछलती-कूदती और अठखेलियाँ करती समुद्र की लहरें और उन्हें दूर से चुपचाप निहारते अभिभावक जैसे सूर्य की प्रकृति लिखित खूबसूरत एवं सजीव चित्र अगर देखना हो तो कन्याकुमारी इसके लिए बहुत उपयुक्त स्थान है।

      तमिलनाडु राज्य में स्थित कन्याकुमारी भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम बिन्दु है। इसके बाद केवल समुद्र है। यहाँ आँखों की सीमाओं से परे दूर-दूर तक फैले समुद्र के विविध रंग प्रकृति का अद्भुत सौन्दर्य प्रस्तुत करते हैं। विशेषकर सूर्योदय एवं सूर्यास्त का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है। यहाँ के समुद्र तट पर फैले रंग-बिरंगे रेत के विषय में मान्यता है कि कन्याकुमारी और शिव के विवाह के बाद विवाह की बची समग्रियाँ ही रंग-बिरंगे रेत में परिवर्तित हो गई थी।

      कन्याकुमारी भारत की धरती का अंतिम छोर है। इसके बाद यह तीन समुद्रों से घिरा है- दक्षिण में हिन्द महासागर, पश्चिम में अरब सागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी। इन तीनों सागरों के संगम स्थल पर कन्याकुमारी देवी का छोटा किन्तु सुंदर मंदिर है।

      कन्याकुमारी देवी के प्रसिद्ध मंदिर के अतिरिक्त चारों तरफ से समुद्र से घिरे संत तिरुवल्लूवर की विशालकाय मूर्ति एवं विवेकानंद रॉक भी यहाँ के मुख्य आकर्षण हैं। तिरुवल्लूवर  की मूर्ति और विवेकानंद रॉक की छवि दिन और रात के विभिन्न समयों पर सूर्य और चंद्रमा के प्रकाश के विभिन्न कोणों से पड़ने और समुद्र में उसकी प्रतिछाया के कारण अलग-अलग सौन्दर्य लिए होती है। 

      गांधी स्मारक, सुचिन्द्रम शक्तिपीठ, पद्मनाभपुरम महल, तिरुचेंद्रम, उदयगिरि किला इत्यादि यहाँ के अन्य दर्शनीय स्थल हैं।

      कन्याकुमारी तक ट्रेन या हवाई जहाज से देश के किसी भी भाग से पहुँचा जा सकता है। त्रिवेन्द्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा एवं तूतीकोरिन घरेलू हवाई अड्डा है। कन्याकुमारी जंक्शन रेलवे स्टेशन देश के अन्य प्रमुख स्टेशनों से जुड़ा है। शहर के अंदर सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी अच्छी है।

Read Also:  अनाथालय में बदलता समाज

      वैसे तो यहाँ सभी मौसम में जाया जा सकता है लेकिन यहाँ गर्मी अधिक पड़ने के कारण अक्तूबर से मार्च तक का समय पर्यटकों के लिए अधिक उपयुक्त होता है। 

****

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top

Discover more from

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading