वरिष्ठ नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार

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निहारिका वैद्य, जोधपुर

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार यूरोपीय देशों में आर्थिक मंदी के दौर में परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएँ बढ़ी हैं। एक अध्ययन के अनुसार यूरोप के 60 वर्ष से अधिक आयु के जनसंख्या के लगभग 15% भाग 2019 में किसी-न-किसी प्रकार के दुर्व्यवहार का शिकार हुआ। विभिन्न अध्ययनों के आधार पर विशेषज्ञों द्वारा यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि कोरोना संकट के कारण आर्थिक मंदी और बेरोजगारी का भी बहुत अधिक कुप्रभाव वरिष्ठ लोगों पर पड़ेगा।

      कुछ उदाहरण ऐसे हैं जहाँ अपनी आय कम हो जाने पर बच्चों ने अपने पर निर्भर माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार किया। दूसरी तरफ ऐसे भी उदाहरण हैं जब माता-पिता की किसी गंभीर बीमारी के कारण बच्चों को अपनी नौकरी या व्यवसाय छोडनी पड़ी। सरकारें भी अभी इस स्थिति में नहीं हैं कि वरिष्ठ लोगों या उनकी देखभाल करने वाले लोगों के लिए कोई व्यापक आर्थिक सुरक्षा उपलब्ध करवा सके। 

      ऐसे में वरिष्ठ लोगों की घरेलू दुर्व्यवहार से सुरक्षा बहुत आवश्यक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) “वृद्धों के प्रति दुर्व्यवहार” (elder abuse) को इस तरह परिभाषित करता है –

“कोई एक अकेली घटना, या घटना की पुनरावृति, या उचित कार्यवाई का अभाव, जिससे वृद्ध व्यक्ति को हानि हो, या वह किसी कठिनाई में पड़े, अगर किसी ऐसे संबंध में घटित होता है, जहाँ विश्वास की अपेक्षा की जाती है।” (a single or repeated act, or lack of appropriate action, occurring within any relationship where there is an expectation of trust which causes harm or distress to an older person)।

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      यह दुर्व्यवहार आर्थिक, शारीरिक, मानसिक या यौन संबंधी हो सकते हैं, या जानबूझ कर अथवा अनजाने में किए जाने वाले उपेक्षा से रूप में भी हो सकता है। इसका आशय यह अगर वृद्ध व्यक्ति किसी के साथ रहते हैं, या उस पर आश्रित हैं, तो उस व्यक्ति की यह नैतिक और कानूनी बाध्यता है कि वह उनकी समुचित देखभाल करे और अपनी आर्थिक क्षमता के अनुसार उनकी जरूरतें पूरी करे। भले ही वह उनके बच्चे हों, भाई, भतीजा या कोई अन्य रिश्तेदार। 

     बहुत से ऐसे लोग हैं जो परिवार के वरिष्ठ सदस्य को परिवार का सदस्य नहीं बल्कि एक अनावश्यक जिम्मेदारी मानते हैं। कुछ लोग वरिष्ठ सदस्यों की संपत्ति या आय हड़पने के लिए भी उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं। शारीरिक और आर्थिक दुर्बलता के कारण वे चुपचाप उत्पीड़न सहन करने के लिए विवश होते हैं।

     यही कारण है कि उनकी सुरक्षा के लिए विशेष प्रयास करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसके लिए विभिन्न देशों की सरकारें प्रयास कर रही हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ और इसके सहयोगी संगठन भी इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। वृददों के उत्पीड़न के विरुद्ध सरकारों और आम लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली के पहल पर प्रतिवर्ष 15 जून को “विश्व वृद्ध उत्पीड़न जागरूकता दिवस (World Elder Abuse Awareness Day) मनाया जाता है।

      अपने देश में भी इस तरह के उत्पीड़न रोकने के लिए कानूनी प्रावधान हैं लेकिन अभी ये कानूनी उपाय बहुत अधिक प्रभावी नहीं हो पाए हैं। वरिष्ठ लोगों के लिए आर्थिक सहायता और सुरक्षा संबंधी योजनाएँ अपर्याप्त हैं।

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     वास्तव में बुजुर्गों का स्वयं उनके ही निकट संबंधी द्वारा उत्पीड़न एक मानसिक और नैतिक विकृति का परिचायक है। यह एक सामाजिक और नैतिक समस्या अधिक है। इसलिए सरकार के साथ-साथ यह समाज की भी जिम्मेदारी है कि अपने बुजुर्गों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन का आश्वासन दे सके।

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