जश्ने ज़िन्दगी

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अरे नहीं नहीं…..

मैं नहीं कहता हूँ कि पति पत्नी आपस में लड़ो, झगड़ो नहीं। खूब बहस करो, एक दूसरे को जी भर के कोसो, जितना सुनाना है सुनाओ, एक दूसरे की कमियाँ निकालो…. अतीत में जा कर मुद्दे ढ़ूंढ़ो, उस समय तुमने ऐसा किया था, तुमने ये कहा था…. मेरे तो भाग्य खराब थे जो तुम्हारे पल्ले पड़ी आदि आदि…  

विनय बजाज
 

पर कुछ बातों का ख्याल रखना…..

यह झगड़े का एपिसोड किसी के सामने न हो, विशेष रूप से बाहर से आए किसी मेहमान के समक्ष अथवा बच्चों के सामने…. मेहमानों के सामने अगर महाभारत हुई तो सोशल मीडिया के सौजन्य से पूरे खानदान के पास खबर पंहुच जाएगी और बच्चे चूंकि बहुत नाजुक मनस्थिति के होते हैं तो उनके दिल पर बुरा असर पड़ेगा जो कि बरसों बरस उनके जेहन में समाया रहेगा….

ये तो हुआ झगड़े का पारिवारिक और सामाजिक परिपेक्ष्य….

अब जरा व्यक्तिगत स्तर पर आ कर सोचिए…

हमें पता है कि जिसने जन्म लिया है उसकी मौत भी सुनिश्चित ही है। हम अपने आसपास के अनेक परिवारों के बारे में जानते हैं, सुनते हैं कि फलां का पति अल्पायु में ही अचानक चला गया, या फलां की पत्नी अच्छी भली थी पर अचानक ही भगवान को प्यारी हो गई… पर क्या हम उनके दिलों की भावनाओं से परिचित हो पाते हैं जिनका जीवन साथी अकस्मात ही उन्हें अकेला छोड़ कर चला गया हो….. क्या हम उनके दिलों में झांक कर देख सकते हैं कि वो अब अपनी पुरानी बातों को सोच कर, याद कर, कितना पछता रहे हैं… अब उनको अपने लाईफ पार्टनर की एक-एक बात, वो चुहलबाजी, वो शरारतें, वो साथ गुजरे पल, वो एक दूसरे की आंखों में देख कर पहरों बातें करना, वो इक-दूजे को नखरे दिखाना, वो हंसी मजाक, वो दिल्लगी, वो साथ साथ अपने घर, अपने बच्चों और उनके भविष्य के लिए देखे गए सपने…… सब कुछ कितना याद करते होंगे, कितना मन भर जाता होगा, पर अब दुखी होने से, ठंडी आहें भरने से वो बीते पल वापस तो नहीं आ सकते हैं।

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इसलिए मित्रों, याद रखो, यहाँ इस धरती पर कोई भी इंसान पूर्ण नहीं है, सबमें कुछ अच्छाईयां हैं तो कुछ बुराईयां भी हैं, इसलिए जिसे स्वीकार करो, पूरी तरह से करो, उसकी बुराईयों, उसकी कमजोरियों के लिए उसे कोसो मत। तुम खुद भी तो पूर्ण नहीं हो, तुम्हारे अंदर भी तो बुराईयां हैं, कमियाँ हैं।

हमें पता नहीं है कि कब किसका बुलावा आ जाए और वो हमें छोड़ कर चला जाए बहुत दूर जहाँ से वापस आना संभव नहीं है। तो जितना समय हमारे पास है उसका भरपूर उपयोग करो, मगर झगड़े में नहीं सिर्फ और सिर्फ प्यार में।  

“जिंदगी के सफर में गुज़र

जाते हैं जो मुकाम

वो फिर नहीं आते

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वो फिर नहीं आते……… “

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