फटेहाल मालिक- फटेहाल जूता (चीनी लोककथा) 

चीन में चांग ची नामक एक चीनी रईस रहता था। उस में एक बुरी आदत थी। वह हद दर्जे का कंजूस व्यापारी था। उसे अपने कपड़े व जूते बहुत प्रिय थे। जब भी उसके कपड़े फट जाते वह उस में पैबंद लगा दिया करता था। इस कारण उस के कपड़े में पैबंद पर पैबंद लगे […]

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जन्मदिन का उपहार (लघुकथा)

विभा और वैभव के विवाह को मुश्किल से पाँच वर्ष ही हुए थे कि दोनों के मध्य वैचारिक मतभेद इतना बढ़ गया कि नौबत तलाक तक आ पहुँची। उन्होंने इस समस्या का समाधान करने के लिए विवाह-विच्छेद करना ही उचित समझा। एक बेटा अनिरुद्ध जो कि चार वर्ष का था, दोनों की मनोदशा से अनभिज्ञ

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सरस्वती का हाथ अभय मुद्रा में क्यों नहीं होता?

सरस्वती का हाथ अभय मुद्रा में क्यों नहीं होता? प्रत्येक भारतीय देवी देवताओं का एक प्रतीक शास्त्र होता है। चार या अधिक हाथ इसकी एक मौलिक विशेषता है जो अन्य किसी धर्म में नहीं पाया जाता है। अधिकांश देवी-देवताओं के इन चार में से एक हाथ ऊपर की तरफ होता है, जिसे अभय मुद्रा कहते

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बेटी कोई वस्तु तो नहीं, फिर कन्यादान क्यों?

आजकल कुछ बौद्धिकतावादी लोग कहने लगे हैं कि बेटी कोई वस्तु नहीं तो फिर विवाह में कन्यादान क्यों करूँ? एक विज्ञापन ने इस विवाद को और बढ़ावा दिया। यह सही है कि समय के साथ रीति-रिवाज बदलते हैं, और बदलना चाहिए भी। इस संबंध में मेरे पास विचार करने के लिए 5 प्रश्न हैं: 1.

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पुण्य कार्य (लघुकथा)

शादी की तैयारी पुरी हो चुकी है। बारात द्वार पर आ गई है। सभी लोग इधर-उधर कर रहे हैं। बारातियों का स्वागत कैसे किया जाय, रामप्रसादजी इसके लिए बहुत चितिंत हैं। क्या करूँ, क्या न करूँ। उनकी पत्नी परेशान देखकर बोली- “क्यों न महेन्द्रजी से कुछ पैसा उधार ले लेते हैं और लड़केवाले को जो

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सफीर हो जाता

इश्क का गर सफीर हो जाता।नाम फिर मुल्कगीर हो जाता। जाने कब का अमीर हो जाता।बस ज़रा बे ज़मीर हो जाता। बात मन की अगर सुनी होती,कम न रहता कसीर हो जाता। उस घड़ी बेचता जो ईमां को,एक पल में वज़ीर हो जाता। शब्द होते अगर मेरे बस में,कब का तुलसी कबीर हो जाता। बात हल्की अगर कही होती,हर नज़र में हक़ीर हो जाता। साथ रहता जो उसके तकवा तो,आज रौशन ज़मीर हो जाता। फिर रिहाई उसे नहीं मिलती,ज़ुल्फ़ का जो असीर हो जाता। चूमते भी गले लगाते भी,गर निशाने का तीर हो जाता। ****

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जश्ने ज़िन्दगी

अरे नहीं नहीं….. मैं नहीं कहता हूँ कि पति पत्नी आपस में लड़ो, झगड़ो नहीं। खूब बहस करो, एक दूसरे को जी भर के कोसो, जितना सुनाना है सुनाओ, एक दूसरे की कमियाँ निकालो…. अतीत में जा कर मुद्दे ढ़ूंढ़ो, उस समय तुमने ऐसा किया था, तुमने ये कहा था…. मेरे तो भाग्य खराब थे

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राष्ट्रउत्थान के लिये संकल्पित होने का आह्वान

जैसा सभी प्रबुद्ध पाठक जानते हैं 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे हो गये हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पूर्व यानि 12 मार्च, 2021 से आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में 15 अगस्त 2022  तक मनाया जाना था लेकिन सभी वर्ग के उत्साह के मद्देनजर सरकार

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