आर्ट ऑफ थिंकिंग
आर्ट ऑफ थिंकिंग अर्थात सोचने की कला। जैसी हमारी सोच वैसे हम!!! आचार्य विनोबा भावे की एक लघुकथा याद करते है… एक बार एक मानव चलते चलते, किसी वन में भटक गया। वह एक वृक्ष के नीचे बैठा गया था। उसे मालूम नहीं था कि वह एक कल्प वृक्ष था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर जो सोचते हैं वही सच […]