आलेख

बिल्कुल वसंत सा है स्त्री जीवन

वसंत और स्त्री अलग कहां हैं? दोनों एक ही तो हैं! घर में बेटी आ जाए या बहू आ जाए तो मानो वसंत ही आ जाता है। एक नई रौनक आ जाती है। समाज, परिवार, साहित्य और फिल्मों में कई अवसरों पर विभिन्न उद्गारों के माध्यम से इसे महसूस किया जा सकता है। आंगन की […]

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विचार संप्रेषण की आजादी

अनेक विविधताओं से भरा भारत, ‘अनेकता में एकता’ के लिए जाना जाता है। यही एकता उसको आज़ादी की ओर ले गयी और आज, भारत अपनी आज़ादी की हीरक जयंती मना रहा है। भारत एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। संविधान सभा के सदस्य 1935 में स्थापित प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष विधि से चुने गए। फिर साल 1946 के

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जश्ने ज़िन्दगी

अरे नहीं नहीं….. मैं नहीं कहता हूँ कि पति पत्नी आपस में लड़ो, झगड़ो नहीं। खूब बहस करो, एक दूसरे को जी भर के कोसो, जितना सुनाना है सुनाओ, एक दूसरे की कमियाँ निकालो…. अतीत में जा कर मुद्दे ढ़ूंढ़ो, उस समय तुमने ऐसा किया था, तुमने ये कहा था…. मेरे तो भाग्य खराब थे

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राष्ट्रउत्थान के लिये संकल्पित होने का आह्वान

जैसा सभी प्रबुद्ध पाठक जानते हैं 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे हो गये हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पूर्व यानि 12 मार्च, 2021 से आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में 15 अगस्त 2022  तक मनाया जाना था लेकिन सभी वर्ग के उत्साह के मद्देनजर सरकार

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प्रीति चौधरी

जश्ने ज़िन्दगी

जीवन एक उत्सव है जिसे हमें  हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए। चाहे वह उम्र का कोई सा भी पड़ाव हो किंतु जीने का उत्साह और उमंग कम नहीं होनी चाहिए। वृद्ध मन में तो तरुणाई का मौसम हमें जवान रखना होगा क्योंकि मन के हारने से ही हार होती है। कहा भी गया है:  “मन

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सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ

जीवन का आरंभ जैसे उत्सव के साथ होता है, इसका अंत भी वैसे ही उत्साह और खुशी से क्यों न हो? पश्चिमी देशों में कुछ संगठन इसी उद्देश्य से मृत्यु के निकट पहुंचे लोगों के लिए एक उत्सव मनाते हैं जिसे “सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ” कहते हैं। यह एक तरह से जीवन के अंत से पहले

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जिंदगी को जश्न कैसे बनाएँ 

इस दुनिया में सब कुछ परिवर्तनशील है केवल एक अटल सत्य को छोड़ कर। वह सत्य है मृत्यु। मृत्यु अपनी हो या अपनों की, होती यह दुखदायी और डरावनी ही है। पर क्या करें? यह अटल सत्य जो है। तो क्यों न इसका स्वागत उसी तरह करें जैसा हम जीवन के शुरुआत यानि जन्म का

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‘पढ़ाई’क्या है और यह मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करता है?

भारतीय दर्शन मस्तिष्क के विकास के पाँच स्तर या पक्ष की बात करता है। इन स्तरों को समझना अपनी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के लिए जरूरी है। ‘पढ़ना’ बौद्धिक क्षमता बढ़ाने का एक साधन है। डिजिटल या फिजिकल- दोनों माध्यमों की तुलना से पहले देखते हैं कि हमारा मस्तिष्क कार्य कैसे करता है। मौलिक प्रश्न

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