आलेख

डिजिटल युग में पढ़ाई

अपनी जरूरतों और भावनाओं को तो पशु भी अभिव्यक्त करते हैं, पर उस पर विचार करना एक ऐसा कार्य है जो केवल मनुष्य कर सकता है। मनुष्य को ही यह शक्ति मिली है कि वह अपने मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ा सकता है। अपने विचारों को एक सकार रूप दे सकता है और इसे दूसरे […]

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60 की उम्र के बाद के लिए मेरी तैयारी 

आप के शहर से…… न्यूज चैनल….अगर …..आप में से कोई इस व्यक्ति को पहचानता है। तो कृपया हमें संपर्क करें यह हमें मोहाली सेक्टर नंबर 5 के बस अड्डे पर बहुत ही दयनीय अवस्था में मिले हैं। उनकी हालत इस अवस्था में नहीं है कि यह अपने विषय में अपना घर और शहर का पता

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60 के बाद की उम्र

नहीं जरूरत बुजुर्गों की  हर बच्चा बुद्धिमान बहुत हैl उजड़ गए सब बाग  बच्चे बगीचे, दो गमले में शान बहुत हैl 60 की उम्र के बाद के लिए तैयारी विषय जितना सुंदर हैं उतना गंभीर भी है। प्रथम प्रश्न यह है कि 60 या उससे अधिक जीवन अवधि जीने की कितने प्रतिशत संभावना है खासकर

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60 की उम्र के बाद मेरी तैयारी

हम सभी बाल्यावस्था, शैशवावस्था, प्रौढ़ अवस्था और वृद्धावस्था में प्रवेश करते हैं। किंतु पता नहीं जब तरुणाई की अवस्था चल रही होती है तो वह क्षण बहुत ही तीव्र गति से व्यतीत हो जाते हैं। हँसते खिलखिलाते, और ज्यों-ज्यों बुढ़ापा आता है हम बुढ़ापे को देखकर मायूस होने लगते हैं। हमारे अंगों में पहले के

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60 के बाद के लिए मेरी तैयारी

रोज की तरह आज भी मेरी नींद सुबह 6 बजे खुल गई। बेटे-बहू थोड़े देर से उठते हैं। उन लोगों को देर रात तक कंप्यूटर कर काम करना होता है न। आजकल का जीवन भी कितना मुश्किल हो गया है। पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं। हमारी ड्यूटी तो शाम 4 बजे खत्म हो जाती थी।

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वृद्धावस्था: समस्याएं और समाधान

बुढ़ापा यकीन मानिए एक अच्छी और सुखद चीज है, यह सच है कि आपको धीरे से मंच से उतार दिया जाता है पर फिर आपको दर्शक के रूप में सबसे आरामदायक कुर्सियों पर बिठा दिया जाता है।” कन्फ्यूशियस ने जब यह लिखा था तब यह सोचा भी ना होगा कि बुढ़ापा में सभी को आरामदायक

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हिंदी भाषा भारतीयता की भाषा

भारत की संपर्क भाषा हिंदी निसंदेह भारत की संपर्क भाषा हिंदी है क्योंकि जब हम अपने भावों को किसी भी भाषा में वर्णित करते हैं तो सबसे सरल और सुगम माध्यम भावनाओं को व्यक्त करने का हिंदी के अतिरिक्त और कोई हो ही नहीं सकता है। हिंदी बालक की प्रथम भाषा हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा ही

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हिंदी हैं हम

भाषा भावों और विचारों की संवाहक होती है। भाषा का स्वरूप निरंतर बदलता रहता है। वर्तमान हिंदी का उद्भव 10वीं शताब्दी में संस्कृत भाषा से हुआ है। यह सब जानते हैं कि काल के अनुसार ही वह पाली, प्राकृत और अपभ्रंश की धारा से गुजरती हुई आज अपने वर्तमान रूप में हमारे सामने है। हिंदी

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