कहानी

नॉट आउट @हंड्रेड (व्यंग्य)

ख्वाबों, बागों और नवाबों के शहर लखनऊ में आपका स्वागत है”  यही  वो इश्तहार है जो उन लोगों ने देखा था जब लखनऊ की सरजमीं पर पहुंचे थे। ये देखकर वो खासे मुतमइन हुए थे। फिर जब जगह जगह उन लोगों ने ये देखा कि “मुस्कराइए आप लखनऊ में हैं” तो उनकी दिलफ़रेब मुस्कराहटें कान कान तक की खींसे […]

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भैया रिटायर क्या हुए…(व्यंग्य)

भैया कुछ दिन पहले ही रिटायर हुए हैं और वज़ह-बेवज़ह ही बड़े स्ट्रैस्ड हैं। रिटायर्ड आदमी की जिंदगी ऐसी हो जाती है मानो आप अचानक एक सार्वजनिक संपत्ति बन गए हों, जिसे हर कोई अपने अनुभवों और ज्ञान से सजाने-संवारने का अधिकार समझता है। रिटायरमेंट के बाद आदमी जितना अपने भविष्य के बारे में नहीं

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मुआवजा

यकीन कीजिए मेरा, मौत बहुत अच्छी चीज है। जो आपको जीते जी नहीं मिल पाता वह मरने के बाद मिल जाता है। यह अपने अनुभव से बता रहा हूं। रुकिए रुकिए। आप पूछेंगे मैं मरा कैसे, ये मैं बाद में बताऊंगा। पहले शुरुआत मेरे जीवन से। मेरी शादी लव मैरेज़ थी। शादी से पहले वह

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समझाइश (लघुकथा)

“इतने दिनों से मैं तुम्हें समझा रही थी; बात समझ नहीं आ रही थी? मेरे तन को खोखला तो कर डाला। मैंने तुम्हारे लिए कितना कष्ट सहा! दुःख सहा! कितनी पीड़ा हुई है मुझे! मैं ही जानता हूँ।” “लेकिन आपने मुझे कभी क्यों नहीं दुत्कारा? क्यों नहीं भगाया मुझे? मेरे प्रति स्नेह व अपनतत्व क्यों

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स्वीट सिक्सटी: 60 की उम्र के लिए मेरी तैयारी

“हो ग‌ए हम साठ के तो क्या हुआ दिल तो बच्चा ही हमारा है अभी” जिस प्रकार हमने अपनी किशोरावस्था को “स्वीट सिक्सटीन” कह कर बुलाया था, बस बिल्कुल वैसे ही मैंने अपनी जाती हुई “प्रौढ़ावस्था” और आती हुई “स्वर्णिमावस्था” को भी “स्वीट सिक्सटी” कह कर पुकारा। सिक्सटीन का ‘न’ हटा कर मैंने अपने जीवन

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माँ का दर्द (बालकथा)

माँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। चीनू उछलते हुए अपनी माँ से कहने लगा; हम रोज आ कर खेलेंगे न…..! हाँ बेटा चीनू; माँ ने हँसते हुए हामी भरी। खुले मैदान में चीनू जैसे और भी छोटे–छोटे बच्चे खेल रहे थे यह देख चीनू और भी खुश हो गया। चीनू

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नानक दुखिया सब संसार

शहर की झोपड़पट्टी माने वाले इलाके का नाम इंद्र पुरी था। अपने नाम के उलट मुर्गी के दड़बों की तरह बेतरतीब बसी हुई इंद्रपुरी झोपड़पट्टी की एक झोपड़ी से निब्बर रोजगार पर जाने के लिये बाहर निकला। दरवाजे के पास एक लोहे के मजबूत पाए से बंधे जंजीर का ताला खोलकर उसने रिक्शा निकाला। रिक्शे

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खुशकिस्मत

नुक्कड़ से मुड़ने पर जो पहला बड़ा सा सफेद घर है वह डॉक्टर विश्वरूप सरकार का ही है। घर क्या बंगला है यह। शहर के सबसे मंहगे इलाके में इतना बड़ा बंगला, वह भी बड़े से गार्डन के साथ। उस इलाके के लिए तो यह लैंडमार्क का भी काम करता है। पर दीवारें इतनी ऊंची

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