साँझ के दीप

साठ के ठाठ

मित्रों! साठ साल की उम्र के पड़ाव का अपना एक ठाठ होता है। न सुबह जल्दी उठ तैयार हो ऑफिस पहुंचने की चिंता न काम का प्रेशर, न अफसर की डांट का डर, न बच्चों की पढ़ाई की चिंता, बस आराम ही आराम … … एक  सामान्य नौकरीपेशा व्यक्ति इस उम्र तक रिटायर हो जाता […]

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श्राद्ध से भी ज़रूरी है वृद्धजनों का उचित सम्मान और उनकी पर्याप्त देखभाल

अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, सम्मान अथवा आभार प्रकट करने का एक तरीक़ा है श्राद्ध। निस्संदेह हमें उनका आभारी, उनका कृतज्ञ होना चाहिए। लेकिन क्या मात्र पितृपक्ष का अनुष्ठान उनके प्रति वास्तविक श्रद्धा व्यक्त करने में सक्षम हो सकता है? क्या किसी को भोजन करा देने से किसी दिवंगत की आत्मा वास्तव में तृप्त या

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वृद्धावस्था: समस्याएं और समाधान

बुढ़ापा यकीन मानिए एक अच्छी और सुखद चीज है, यह सच है कि आपको धीरे से मंच से उतार दिया जाता है पर फिर आपको दर्शक के रूप में सबसे आरामदायक कुर्सियों पर बिठा दिया जाता है।” कन्फ्यूशियस ने जब यह लिखा था तब यह सोचा भी ना होगा कि बुढ़ापा में सभी को आरामदायक

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हिंदी भाषा भारतीयता की भाषा

भारत की संपर्क भाषा हिंदी निसंदेह भारत की संपर्क भाषा हिंदी है क्योंकि जब हम अपने भावों को किसी भी भाषा में वर्णित करते हैं तो सबसे सरल और सुगम माध्यम भावनाओं को व्यक्त करने का हिंदी के अतिरिक्त और कोई हो ही नहीं सकता है। हिंदी बालक की प्रथम भाषा हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा ही

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हिंदी हैं हम

भाषा भावों और विचारों की संवाहक होती है। भाषा का स्वरूप निरंतर बदलता रहता है। वर्तमान हिंदी का उद्भव 10वीं शताब्दी में संस्कृत भाषा से हुआ है। यह सब जानते हैं कि काल के अनुसार ही वह पाली, प्राकृत और अपभ्रंश की धारा से गुजरती हुई आज अपने वर्तमान रूप में हमारे सामने है। हिंदी

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दीर्घसूत्री की कहानी

एक नदी में बहुत सी मछलियाँ रहती थीं। इनमें से तीन मछली आपस में बहुत अच्छी दोस्त थीं। तीनों के नाम थे दीर्घसूत्री, मध्यसूत्री, और आशुसूत्री। अपने नाम के अनुरूप ही तीनों के कार्य भी थे। आशुसूत्री निर्णय लेने में बहुत जल्दी करती थी। वह हमेशा समय रहते ही अपना काम कर लेती ही। लेकिन

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भारतीयता की भाषा: हिंदी

हिंदी भाषा न केवल भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर की सजीव अभिव्यक्ति भी है। यह भाषा उन धड़कनों में बसती है, जो हर भारतीय के दिल में होती हैं। हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि एक ऐसी शक्ति है, जो हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक, और आध्यात्मिक जीवन को एकजुट करती है।

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हिंदी भाषा: भारतीयता की भाषा

किसी भी देश की भाषा और साहित्य उस की सभ्यता और संस्कृति का दर्पण होता है। क्योंकि वहां की भाषा का निर्माण उस स्थान के निवासियों द्वारा निर्मित होता है, इसीलिए उन के जीवन की झांकी उस भाषा में लिखित साहित्य में दिखती है। दूसरे जिस देश, काल का जो साहित्य होता है, वह उस

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