संपादकीय

‘सीखना’ क्यों सीखना जरूरी है?

रामायण का एक प्रसंग है। सीता हरण हो चुका था। राम और लक्ष्मण दोनों भाई उनकी खोज में थे। कबंध ने उन्हें इसके लिए सुग्रीव से मिलने की सलाह दी। किन्तु, सुग्रीव उस समय अपना राज्य ही नहीं बल्कि अपना घर और परिवार भी खो कर अपनी जान बचाने के लिए यहाँ-वहाँ भाग रहे थे। […]

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प्रेम और मोह

हस्तिनापुर के महाराजा शांतनु ने प्रथम पत्नी के  जाने के कुछ वर्षों बाद निषादराज दशराज की पुत्री सत्यवती से विवाह करने का विचार किया। इस विवाह के लिए निषादराज सहर्ष तैयार थे। लेकिन उन्होने एक शर्त रखा।       शर्त यह थी कि उनकी पुत्री से उत्पन्न पुत्र ही उनका उत्तराधिकारी होगा। चूँकि शांतनु को पहली

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‘नहीं है’ का होना  

महाभारत का एक बहुत ही विशिष्ट पात्र हैं कर्ण। वह एक विरल वीर और दानी थे  लेकिन इतिहास में वह नायक नहीं बल्कि दुखांत नायक के रूप में याद रखे गए। कारण था उनका सामाजिक स्तर क्रम में छोटी (शूद्र) मानी जाने वाली जाति “सूत” का होना। ऐसा कारण स्वयं कर्ण ने माना। ऐसा मानने

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अपूर्ण का सम्पूर्ण होना

एक पाँच साल का बच्चा अपने नए फुटबॉल लेकर बड़े उत्साह से दौड़ता हुआ अपनी माँ के पास गया। व्हीलचेयर पर बैठी माँ के पैरों से लाड़ से लिपट कर बोला “अम्मी! अम्मी! तुम इसे फेंको।” माँ को अपने पैर नहीं होने का जैसा शिद्दत से एहसास इस समय हुआ, वैसा शायद पहले कभी नहीं

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