आलेख

खुशी की तलाश

मित्रों! खुश कौन नहीं रहना चाहता। खुशी  के पीछे हम जीवन भर भागते ही रहते हैं, मृगतृष्णा की भाँति। लेकिन खुशी हमसे आँख मिचौली खेलती ही रहती है।       वास्तव में खुशी की कोई एक विशेष परिभाषा नहीं है प्रत्येक व्यक्ति इसकी अपनी ही एक परिभाषा गढ़ रहा है। कोई कहता है धन में खुशी […]

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क्षमा

मित्रों! मनुष्य विधाता की सर्वश्रेष्ठ कृति है क्योंकि वह एक बुद्धिजीवी है, उसमें विवेक की शक्ति है। वह अच्छे-बुरे एवं गुण-अवगुण का अंतर समझता है।       आज हम बात करेंगे एक महत्वपूर्ण गुण क्षमा की। इसके विषय में अपनी बात करने से पहले मैं आपसे एक छोटी-सी कहानी साझा करना चाहती हूँ।       एक छोटा-सा

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बच्चों के दिया जा सकने वाला सबसे बड़ा उपहार

भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा एक बहुत ही प्रसिद्ध प्रसंग है उनके द्वारा अपने ही फुफेरे भाई शिशुपाल का वध करना। कथा इस प्रकार है कि जन्म के समय शिशुपाल के तीन आँखें और चार हाथ थे। आकाशवाणी यह हुई कि जिस किसी के गोद में जाने से उसके अतिरिक्त अंग गायब हो जाएंगे,

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खुशियों की चाबी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है मानव जनम बहुत पुण्य के पश्चात मिलता है। मानव जीवन में ही मनुष्य मनचाहा लक्ष्य साध कर अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, परमार्थ और जनकल्याण के अच्छे कार्यों को करते हुए अपने जीवन को सार्थक करने का सौभाग्य केवल मानव को ही मिला है। हमारे

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आर्ट ऑफ थिंकिंग

आर्ट ऑफ थिंकिंग  अर्थात सोचने की कला। जैसी हमारी सोच वैसे हम!!! आचार्य विनोबा भावे की एक लघुकथा याद करते है… एक बार एक मानव चलते चलते, किसी वन में भटक गया। वह एक वृक्ष के नीचे बैठा गया था। उसे मालूम नहीं था कि वह एक कल्प वृक्ष था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर जो सोचते हैं वही सच

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आर्ट ऑफ थिंकिंग

मेरी एक मित्र है सुषमा। उसके नैन नक्श और शारीरिक बनावट अच्छी है लेकिन रंग साफ नहीं है। उसकी छोटी बहन का रंग गोरा है। छोटी बहन के स्वभाव और काम के कारण लोग उसकी प्रशंसा करते हैं। बचपन में जब सुषमा को घर के बड़े लोग किसी गलती पर डांटते तो उसे लगता वह

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टैरेस गार्डनिंग

आज मैं आपको अपनी टैरेस गार्डन प्रारंभ करने की दास्ताँ सुनाने जा रहा हूँ। बात उस समय की है जब मैं अपनी लखनऊ पोस्टिंग के दौरान छुट्टी में अपने घर महू आ रहा था। रास्ते में पड़ने वाले देवास शहर जहाँ की फूल गोभी बहुत बड़े आकार के साथ ही बहुत सफेद होने के कारण

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उद्देश्य प्रेरित जीवन: कितना जरूरी हैं सफल वृद्धावस्था के लिए?

प्रस्तावना इतिहास इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि प्राचीन कल मे वृद्धों की स्थिति अत्यंत उन्नत एवं सम्मानीय थी। उन्हें समाज एवं परिवार मे अलग वर्चस्व था। परिवार की समस्त बागडोर उनके हाथों मे हुआ करती थी। परिवार का कोई भी फैसला उनकी सलाह के आधार पर ही होता था। उन्हीं की सत्ता एवं

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