औरों के साथ-साथ स्वयं का विकास भी अत्यंत आवश्यक है
‘‘जो पुल बनाएँगे’’ शीर्षक से अज्ञेय की एक कविता है। कविता इस प्रकार से है: जो पुल बनाएँगे/ वे अनिवार्यतः/ पीछे रह जाएँगे/ सेनाएँ हो जाएँगी पार/ मारे जाएँगे रावण/ जयी होंगे राम/ जो निर्माता रहे/ इतिहास में/ बंदर कहलाएँगे। जो पर्वतों की ऊँची चोटियों पर पहुँचकर झंडा फहराते हैं विजेता कहलाते हैं लेकिन जो […]
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