कहानी

प्रतिदान (लोक कथा)

नानी ने बच्चों को अपने पास बुलाया और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें एक लोककथा सुनाई जो इस प्रकार थी।  उस बड़ी रियासत के जंगलों में बसाए गए एक मुनिवर के आश्रम में जंगल से भटका हुआ एक बाघ कहीं से आ घुसा। बाघ भूखा था और मुनिवर आश्रम में अकेले थे। उनके शिष्य […]

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सच्ची श्रद्धा और भक्ति (लोक कथा)

भक्त के मन में भगवान के प्रति सच्ची भक्ति हो, तभी यह कहावत सच होती है, “मन चंगा तो कठौती में गंगा।” इसी कहावत को चरितार्थ किया था भक्त रैदास ने। वे जूते गांठने का काम करते थे और साथ में भगवद भक्ति में लीन रहते थे। उनके यहां से होकर बहुत-से संतजन और ब्राह्मण

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प्रेम की भूख

पीपल के पेड़ के नीचे बैठे उस वृद्ध भिक्षुक में न जाने ऐसा क्या था कि मां हर रोज़ उसके लिए खाना निकालती थी। वह भिक्षुक निश्चित समय पर अपनी साफ़-सुथरी थाली लेकर भोजन ले जाता था, मुंह से कुछ न कहता उसकी आंखे ढेरों आशीष देती थीं। कई बार हम बच्चे कहते थे “तुम

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जरा सी लापरवाही,पड़ जाती है बहुत ही भारी (लोक कथा)

एक दिन जब हंस उड़ कर दीवानजी के छत पर जा कर बैठा और इधर-उधर देख रहा था उसी समय उसको दीवानजी की पुत्रवधू ने पकड़ लिया क्योंकि दीवानजी की पुत्रवधू गर्भवती थी और उसने सुन रखा था कि यदि गर्भावस्था में हंस का मांस खाया जाय तो होने वाली सन्तान सब तरह से सर्वगुण

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मालिक से बात मत छुपाना (बंगाल की लोककथा)

गरिया हाट के पास नंदूराय अकेला रहता था। गांववालों ने मिलकर उसे कुछ रुपये देकर उसका ब्याह करवा दिया। उसकी पत्नी आरती रोज देखती नंदूराय की नौकरी भी नहीं। घर में अनाज नहीं… वह सारा दिन यों ही बैठा रहता है तो उसने सोचा नंदूराय को कहीं किसी के पास काम पर लगा दे। वह

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लक्ष्मीपूजा (लघुकथा)

धनतेरस का दिन था। ऐसा लग रहा था मानो, कार्तिक मास की काली रातों ने सच में रंजन के घर-परिवार को ढँक लिया हो। रंजन की पत्नी मालती छ:-सात माह से डायलिसिस पर थी। पूरे परिवार की हालत खराब थी। फिर आज तो उसकी कंडीशन कुछ और ज्यादा ही क्रिटिकल हो गयी। वह बार-बार करवटें

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गिलास रख दीजिए (प्रेरक कहानी)

एक प्रोफेसर ने अपने छात्रों को एक प्रयोग करने के लिए कहा। उन्होने  पानी भरा हुआ गिलास सभी छात्रों को पकड़ने के लिए कहा। छात्रों ने ऐसा ही किया। प्रोफेसर ने बहुत देर तक उन्हें वैसे ही रहने दिया। कुछ समय बाद छात्रों का हाथ दर्द करने लगा। प्रोफेसर ने छात्रों से पूछा गिलास या

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चतुर चोर (लोक कथा)

किसी गाँव मे एक बहुत ही चतुर चोर रहता था। लोगों का कहना था कि वह आदमी की आंखों का काजल तक उड़ा सकता था। उसे अपने इस चोरी की कला पर गर्व भी था। एक दिन उस चोर ने सोचा कि जबतक वह राजधानी में नहीं जाएगा और अपना करतब नहीं दिखाएगा, तब तक

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