आध्यात्म

अवतार क्या होता है?

भारत में रहने वाले सभी लोगों ने ‘अवतार’ शब्द जरूर सुना होगा भले ही हिन्दू हों या अहिंदू। विष्णु के अवतार सबसे लोकप्रिय हैं हालांकि अन्य देवताओं के भी अवतार हुए हैं। लेकिन ज़्यादातर हम इसका अर्थ धर्म से जोड़ कर लगाते हैं। अपने व्यावहारिक जीवन से जोड़ कर इसे नहीं देखते। अगर ‘अवतार’ के […]

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बेटी कोई वस्तु तो नहीं, फिर कन्यादान क्यों?

आजकल कुछ बौद्धिकतावादी लोग कहने लगे हैं कि बेटी कोई वस्तु नहीं तो फिर विवाह में कन्यादान क्यों करूँ? एक विज्ञापन ने इस विवाद को और बढ़ावा दिया। यह सही है कि समय के साथ रीति-रिवाज बदलते हैं, और बदलना चाहिए भी। इस संबंध में मेरे पास विचार करने के लिए 5 प्रश्न हैं: 1.

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सरस्वती का हाथ अभय मुद्रा में क्यों नहीं होता?

सरस्वती का हाथ अभय मुद्रा में क्यों नहीं होता? प्रत्येक भारतीय देवी देवताओं का एक प्रतीक शास्त्र होता है। चार या अधिक हाथ इसकी एक मौलिक विशेषता है जो अन्य किसी धर्म में नहीं पाया जाता है। अधिकांश देवी-देवताओं के इन चार में से एक हाथ ऊपर की तरफ होता है, जिसे अभय मुद्रा कहते

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हनुमान जी सूर्य को कैसे निगल गए थे?

बाल समय रवि भक्षि लियो तब तिनहु लोक भयौ अँधियारा ….. युग सहस्त्र योजन पर भानु, लिल्यों ताही मधुर फल जानु …….. तुलसीदास जी के ऐसे पंक्तियों से जन सामान्य में एक धारणा बन गई है कि हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया था। तुलसी दास जी ने भी ये पंक्तियाँ अपने मन से

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ये कैसी आस्था है?

मैं कई बार सड़कों के किनारे, पेड़ों के नीचे, नदियों के तट पर, रखे देवी-देवताओं की अनेक टूटी-फूटी, खंडित मूर्तियाँ, फोटो आदि देखती हूँ। आर्टिफ़िशियल फूल मालाएँ, माता की चुन्नी, भगवत नाम लिखा हुआ पटका या अंगवस्त्र इत्यादि भी होते हैं। शायद आपलोगों ने भी देखा हो। गाँव से अधिक शहरों में ऐसे दृश्य दिखते

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