साँझ के दीप

एल्बम के बचे हुए पन्ने

सीताराम गुप्ता, पीतमपुरा, दिल्ली- 110034 जीवन रूपी अलबम में भरे हुए पन्नों से अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं बचे हुए पन्ने।      उम्र के विभिन्न अगले पड़ावों पर पहुँचने के बाद हम प्रायः यही सोचते हैं कि अब जीवन में कुछ नया सीखने अथवा जीवनवृत्ति में परिवर्तन करने का समय व्यतीत हो चुका है। प्रायः पच्चीस-तीस […]

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पॉपकॉर्न माइंड: एक नई महामारी

क्यों है चर्चा में पॉपकॉर्न माइंड? मानसिक स्वस्थ्य के क्षेत्र में आजकल एक शब्द चर्चा में है ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ या ‘पॉपकॉर्न माइंड’। दुनिया भर में पॉपकॉर्न ब्रेन के मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ती जा रही है कि कई स्टडी में इसे ‘महामारी’ की संज्ञा दी जाने लगी है। वर्तमान ‘ग्लोबल विलेज’ के युग

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धरती मात समान

प्रत्येक शाम को  हम कुछ अवकाश प्राप्त (भले ही नौकरी से हो या व्यवसाय से) दोस्त पार्क में बैठ राजनीति वाले विषय से हट किसी भी प्रकार के अन्य विषय पर आपस में चर्चा कर लेते हैं। इसी क्रम में एक शाम हम कुछ दोस्त पार्क में बैठ गपशप कर रहे थे। इसी बीच हम बैठे लोगों में से

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खुशियों की चाबी

 राजश्री राठी, गौरक्षण रोड, महेश‌ कॉलनी, अकोला, महाराष्ट्र पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है मानव जनम बहुत पुण्य के पश्चात मिलता है। मानव जीवन में ही मनुष्य मनचाहा लक्ष्य साध कर अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, परमार्थ और जनकल्याण के अच्छे कार्यों को करते हुए अपने जीवन को सार्थक करने का

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भावना मयूर पुरोहित

आर्ट ऑफ थिंकिंग

भावना मयूर पुरोहित, हैदराबाद  आर्ट ऑफ थिंकिंग   अर्थात सोचने की कला। जैसी हमारी सोच वैसे हम!!! आचार्य विनोबा भावे की एक लघुकथा याद करते है… एक बार एक मानव चलते चलते, किसी वन में भटक गया। वह एक वृक्ष के नीचे बैठा गया था। उसे मालूम नहीं था कि वह एक कल्प वृक्ष था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर

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आधुनिकता की दौड़ में पीछे छूटते संस्कार

“एक सोलह वर्ष के किशोर ने शराब पीकर गाड़ी से एक दंपति एवं उनके पांच वर्ष के छोटे बच्चे को कुचल डाला” “जायदाद के लालच में एक बेटे ने अपनी मां को मौत के घाट उतार दिया” “विद्यालय में छोटी सी बात पर झगड़ा इतना बढ़ गया कि एक छात्र ने चाकू मारकर अपने सहपाठी

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मर्यादा में रहना महत्वपूर्ण

राजू की पंतग हवा में ऊंची उड़ रही थी। उसने पास खड़े दादा जी से कहा “देखिये दादा जी, मेरी पंतग कैसे हवा में घूम रही है” दादा जी ने हंसते हुए कहा “इसकी डोर तुमने पकड़ रखी है इसलिए तो यह उड़ पा रही है।” राजू ने उत्सुकतावश दादा जी से पूछा “यदि मै

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डॉ वर्गीज़ कुरियन (प्रेरक व्यक्तित्व)

26 नवंबर 1921 को वर्तमान केरल जो उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी में आता था, के कालीकट यानि वर्तमान कोझिकोड में एक सीरियाई ईसाई परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ। पिता सिविल सर्जन थे। वह बच्चा शुरू से ही पढ़ने में मेधावी था। बड़े होने पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि ली। डिग्री लेने

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