साँझ के दीप

घटते मूल्य: बढ़ते वृद्धाश्रम

कुछ दिन पहले कुछ दोस्तों के साथ एक वृद्धाश्रम जाने का अवसर मिला। यह एक निःशुल्क वृद्धाश्रम था जहां समान्यतः ऐसे लोग थे जिनका या तो परिवार नहीं था, या अगर था भी तो उनसे संबंध नहीं रखना चाहता था। हमलोगों में उनके प्रति सहानुभूति उत्पन्न हुई। सोचने लगी इनसे बात किया जाय और पूछा […]

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बिल्कुल वसंत सा है स्त्री जीवन

वसंत और स्त्री अलग कहां हैं? दोनों एक ही तो हैं! घर में बेटी आ जाए या बहू आ जाए तो मानो वसंत ही आ जाता है। एक नई रौनक आ जाती है। समाज, परिवार, साहित्य और फिल्मों में कई अवसरों पर विभिन्न उद्गारों के माध्यम से इसे महसूस किया जा सकता है। आंगन की

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चिन्तन

चिंतन बहुत जरूरी है, चाहे वह वैज्ञानिक चिंतन हो, आत्मचिंतन हो, सामाजिक चिंतन हो, परिवारिक चिंतन हो या राष्ट्र चिंतन हो। चिंतन हर क्षेत्र में जरूरी है। वैज्ञानिक चिंतन के कारण ही आज हमें मशीनी शक्ति और सुविधा प्राप्त है। लेकिन इस सुख-सुविधा का उपयोग, हम किस हद तक, कहां तक और कैसे करें इसमें

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जरूरी है तनमन का संतुलन

पिछले दिनों एक छोटी सी न्यूज आई थी जिसने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह न्यूज़ यह था कि प्रसिद्ध मोटीवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी ने स्वयं अपने यूट्यूब पोस्ट में बताया कि वे 2020 के अंतिम दिनों से ही डिप्रेशन (अवसाद) में चल रहे हैं। इसके लिए वे इलाज भी ले रहे हैं।

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मिसाइलमैन ‘पीपुल्स प्रेसिडेंट’: डॉ अब्दुल कलाम

वर्तमान उत्तराखंड का एक पवित्र शहर ऋषिकेश। गंगा का सुरम्य तट। एक युवक बेचैन सा टहल रहा था। उसका ध्यान प्रकृति के सौन्दर्य पर नहीं बल्कि अपने जीवन की उलझनों पर था। वह दक्षिण के समुद्र तटीय जिले रामेश्वरम से इतनी दूर यहाँ एक इंटरव्यू देने आया हुआ था। उसका परिवार आर्थिक दृष्टि से अधिक

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विचार संप्रेषण की आजादी

अनेक विविधताओं से भरा भारत, ‘अनेकता में एकता’ के लिए जाना जाता है। यही एकता उसको आज़ादी की ओर ले गयी और आज, भारत अपनी आज़ादी की हीरक जयंती मना रहा है। भारत एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। संविधान सभा के सदस्य 1935 में स्थापित प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष विधि से चुने गए। फिर साल 1946 के

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जश्ने ज़िन्दगी

अरे नहीं नहीं….. मैं नहीं कहता हूँ कि पति पत्नी आपस में लड़ो, झगड़ो नहीं। खूब बहस करो, एक दूसरे को जी भर के कोसो, जितना सुनाना है सुनाओ, एक दूसरे की कमियाँ निकालो…. अतीत में जा कर मुद्दे ढ़ूंढ़ो, उस समय तुमने ऐसा किया था, तुमने ये कहा था…. मेरे तो भाग्य खराब थे

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राष्ट्रउत्थान के लिये संकल्पित होने का आह्वान

जैसा सभी प्रबुद्ध पाठक जानते हैं 15 अगस्त, 2022 को देश की आजादी के 75 साल पूरे हो गये हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 75वीं वर्षगांठ से 75 सप्ताह पूर्व यानि 12 मार्च, 2021 से आजादी का अमृत महोत्सव पूरे देश में 15 अगस्त 2022  तक मनाया जाना था लेकिन सभी वर्ग के उत्साह के मद्देनजर सरकार

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