बस जीतने वाला ही सिकंदर नहीं होता
हर एक जगह एक सा मंजर नहीं होता बाहर है जो अक्सर यहां अंदर नहीं होता क़ातिल कई ऐसे भी होते हैं जहाँ में हाथों में वो जिनके कोई खंजर नहीं होता मज़बूत अगर होते कहीं रिश्तें दिलों के तो आज मकां मेरा यूँ खंडहर नहीं होता क़ीमत जो समझता यदि शबनम की ज़रा भी […]
बस जीतने वाला ही सिकंदर नहीं होता Read More »