Babita Jha

Founder president of CLF

कन्या पूजन और श्रवण कुमार के देश में वृद्धाश्रम!

सच में यह परमावश्यक है। हम सभी को इस विषय पर चिन्तन करना जरूरी है कि जिस देश में श्रवण कुमार जैसे पुत्र हो, जिन्होंने अपने माता-पिता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। जिस देश का आदर्श वाक्य है, “अभिवादनशीलस्य नित्य, वृद्वोपसेविन: चत्वारि तस्य वर्धयन्ते आयुवि॑द्या यशोबलम।”उस देश में वृद्धाश्रम की संख्या बढ़ती ही […]

कन्या पूजन और श्रवण कुमार के देश में वृद्धाश्रम! Read More »

वृद्धावस्था की डगर कोमल मगर

वृद्धावस्था एक धीरे-धीरे आने वाली अवस्था है जो कि स्वभाविक व प्राकृतिक घटना है। वृद्ध का शाब्दिक अर्थ है बढ़ा हुआ, पका हुआ, परिपक्व। वृद्धावस्था में शारीरिक परिवर्तन के साथ-साथ मानसिक परिवर्तन भी होते हैं जिसके प्रभाव से वृद्धों की स्वाद इंद्रियों पर प्रभाव पड़ता है। जीवन की सभी अवस्थाओं में से वृद्धावस्था एक ऐसी

वृद्धावस्था की डगर कोमल मगर Read More »

अनाथालय में बदलता समाज

एक दिन एक वृदधा न्यायालय की चक्कर लगाती मिली। पूछने पर पता चला कि उनका कोई अपना नहीं था। “ससुराल, मायके, पड़ोसी, दोस्त कोई तो होगा?” “पति की मृत्यु के बाद रिश्तेदारों ने संबंध तोड़ लिया। तीन बेटे थे, तीनों की मृत्यु हो गई, बेटी ससुराल में है। किराए के घर में यहाँ रहती हूँ।

अनाथालय में बदलता समाज Read More »

धवल प्रेम

मनु अपने घर में सबकी दुलारी थी। उसके आगे के दो दाँत बाहर की तरफ थे इसलिए सब उसे चीकू बुलाया करते। छोटे बच्चे सौंदर्य से परिभाषित नहीं होते, उनका देवत्व उन्हे सर्व प्रिय बनाता है। पर जैसे-जैसे बड़े होते हैं सापेक्षता का सिद्धांत लागू होने लगता है। यही सिद्धांत मनु पर भी लागू हुआ

धवल प्रेम Read More »

मैं पढ़ना चाहती हूँ

    डॉ. भूपेन्द्र ‘अलिप’ “तोड़ती पत्थर’ के रचनाकार कौन हैं?” शिक्षक ने ग्यारहवीं वर्ग में पढ़ने वाली उन सारी लड़कियों से पूछा जो उस वक्त उस वर्ग कक्ष में मौजूद थीं। अगली पंक्ति में बैठी पूजा ने झट से हाथ उठाकर जवाब दिया- ‘निराला’। ‘ठीक है! अच्छा पूजा के अलावा तुम लोगों में से कोई

मैं पढ़ना चाहती हूँ Read More »

गलत सवाल (लघुकथा)

उस आदमी ने पूछा, “तुम गलियों में क्यों फिर रही हो?” गाय बोली, “मैं अपने चारे की तलाश में इधर-उधर भटक रही हूँ। तुम लोग मेरी भूख की तरफ कुछ ध्यान ही नहीं देते?” गाय का प्रतिउत्तर सुनकर वह व्यक्ति झेंप गया। तब गाय ने ही पूछा, “तुम यहाँ धूप में क्यों बैठे हो?” “कड़ाके

गलत सवाल (लघुकथा) Read More »

बरसात

होगा वसंत ऋतुराज लेकिन विरह, अभिसार और कजरी तो बरसात में ही संभव है। वसंत अगर ऋतुराज है तो बरसात मधुमास। इसका अर्थ यह भी नही की बरसात में सबकुछ मधुर-मधुर है। सुख और दुःख तो जीवन के दो चक्र हैं। जब हम अपने जीवन के व्यक्तिगत इतिहास में देखते हैं तो लगता है कहाँ

बरसात Read More »

तोहफ़ा

डोरबेल बजे जा रही थी। रामसिंह भुनभुनाये “इस बुढ़ापे में यह डोरबेल भी बड़ी तकलीफ़ देती है।” दरवाज़ा खोलते ही डाकिया पोस्टकार्ड और एक लिफ़ाफा पकड़ा गया। लिफ़ाफे पर बड़े अक्षरों में लिखा था ‘वृद्धाश्रम’। रूँधे गले से आवाज़ दी- “सुनती हो बब्बू की अम्मा, देख तेरे लाड़ले ने क्या हसीन तोहफ़ा भेजा है!” रसोई

तोहफ़ा Read More »

Scroll to Top