Babita Jha

Founder president of CLF

कैसे दिए जाएँ बच्चों में संस्कार?

तरुण आज ऑफिस से जल्दी घर आ गए थे। वह पारिवारिक व्यक्ति थे। परिवार के साथ समय बिताना, बच्चों से बाते करना उन्हें अच्छा लगता था। आते समय उन्होने रास्ते में जलेबी खरीदा। घर आकर बड़ी बेटी स्नेहा, जो कि अभी 6-7 वर्ष की थी, को दे दिया। बेटी ने जलेबी प्लेट में रख कर […]

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संस्कार क्या है और क्यों आवश्यक है?

65 वर्षीय प्रभा जी ने विवाह के बाद मायके और ससुराल दोनों के संबंधियों से संपर्क नहीं रखा। पड़ोसियों और मित्रों से भी लगभग संपर्क में नहीं थीं। पति-पत्नी दोनों अच्छे पदों पर थे, बच्चों को पढ़ाने  और उनके करियर बनाने में व्यस्त रहे दोनों। माँ-बाप या सास-ससुर का भी कभी ख्याल नहीं रखा। उन्हें

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भावना मयूर पुरोहित

कन्या पूजन और श्रवण कुमार के देश में वृद्धाश्रम

भारत एक ऐसा देश है जिसमें विश्व में सबसे पुरानी संस्कृति की नींव है। जहाँ कन्या पूजन होता है। वहीं भ्रूण हत्याएँ भी होती हैं। यहाँ नारी की पूजा भी होती हैं और नारियों का अपमान भी होता हैं। भगवान श्री राम अपने पिताजी की आज्ञा का पालन करने के लिए हंसते हुए वनवास चले गए थे। साथ में

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शादियों में बढ़ती फिजूलखर्ची और प्रदर्शन की होड़

हमारे देश में शादी एक महत्वपूर्ण संस्कार है। कुछ समय पहले तक शादियां पूर्ण पारम्परिक तरीके से और अपने गृह नगर और अपने ही निवास स्थान में होती थी लेकिन आजकल शादियों का स्वरूप पूरी तरह से बदल गया है। आज़ शादी भी एक व्यवसाय बन गया है और उसकी व्यवस्था इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों द्वारा

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वृद्धावस्था, संतान और वर्तमान

वर्तमान में गाँव शहर बन रहे हैं और शहर मेट्रो सिटी। पश्चिमी सभ्यता युवा पीढ़ी पर सिर चढ़कर बोल रही है। भारतीय संस्कृति हिचकोले खा रही है। साँसें गिन रही है। सोच, चिंतन, मनन युवा पीढ़ी का पूरी तरह बदला-बदला नजर आ रहा है। एकल परिवारों की संस्कृति ने पूरी तरह पाँव जमा लिए हैं,

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रास्ते का पत्थर (प्रेरक कहानी)

अपने लोगों के मनोविज्ञान को समझने के लिए एक राजा ने एक प्रयोग करने का विचार किया। उसने एक बड़ा सा पत्थर मुख्य सड़क पर रख दिया और छुप कर उधर से गुजरने वालों की प्रतिक्रिया देखने लगा। सबसे पहले उस सड़क से राजा का महामंत्री गुजरा। वह पत्थर देख कर भुनभुनाता हुआ उसके बगल

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बनारसी पान

बनारस स्टेशन पर जैसे ही ट्रेन रुकी। अपनी पंद्रह वर्षीय पुत्री के साथ कांता सेकंड एसी कोच से उतर पड़ी। कांता और उसकी बेटी दोनों के पास एक-एक बैग था दोनों ने अपना-अपना बैग संभाला हुआ था।    मॉम, सुना है, यहाँ के बनारसी पान बड़े फेमस है। यहाँ से सबके लिए पान लेते हुए

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भला-सामुक़द्दर न हो

ग़म  नहीं  गर  भला-सा मुक़द्दर न हो।दिल के अन्दर मगर कोई भी डर न हो। कितने ख़तरात हैं फायदा  कुछ नहीं,सर खुला हो अगर सर पे चादर न हो। बस यही है ख़ुदा से मेरी इल्तिज़ा,हुक्मरां अब कोई भी सितमगर न हो। क्या करे जा ब जा गर न घूमे कहीं,पास जिसके ज़मी पर कोई घर न हो। सच कहे कौन ज़ालिम के तब

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