Babita Jha

Founder president of CLF

आधुनिकता की आड़ में बढ़ते वृद्धाश्रम

भारत सांस्कृतिक रूप से एक समृद्ध देश रहा है। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’, ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ व ‘अतिथि देवो भव’ इसका मूल स्वभाव मंत्र रहा है। दादी-नानी द्वारा बच्चों को उनके बचपन में ‘मिल-बाँट खाय, राजा घर जाय’ सिखाने की परंपरा रही है। यह वही देश है जहाँ श्रवण कुमार अपने बूढ़े व अंधे माता-पिता को बहँगी […]

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कोई बात नहीं (लघुकथा)

भूषण खाना खाकर उठा। सोफे पर बैठकर मोजे को पहनने लगा। सुखिया समझ गयी कि आज उसे ड्यूटी जाने में देर हो गयी। बोली- “बारिश का मौसम है। बदली छा रही है। पता नहीं बेटा, कब और पानी गिर जाएगा।” भूषण एक थैले में कुछ रखा और चलने लगा। “रूको बेटा, इसे पहन लो, क्योंकि

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बयार (लघुकथा)

“होटल के हाल में “हिंदी दिवस” का कार्यक्रम चल रहा था। मुख्य अतिथि बहुत प्रभावी भाषण दे रहे थे। श्रोता मंत्र मुक्त होकर उन्हें सुन रहे थे। कार्यक्रम संपन्न हुआ और सब लंच के लिए बाहर निकलने लगे। शहर का सबसे बढ़िया होटल था, इसलिए शानदार दावत थी। खाने के साथ-साथ कार्यक्रम की सफलता के

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वो नाश्ता (लघुकथा)

‘फिर से सूखी रोटी और आलू की सब्जी। पिछले तीन महीने से यही खाना खा-खाकर ऊब चुका हूं। मैं नहीं खाऊंगा’- खाने की थाली को गुस्से में उलटते हुए पप्पू ने कहा। ‘अरे बेटा! खाने का अपमान नहीं करते हैं। सुबह में अपने घर से खाना खाकर ही बाहर निकलना चाहिए। कल तुम्हारे पसंद का

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शिशु को गर्भ में ही दे सकती हैं अच्छे संस्कार

सुबह सुबह अखबार में किशोरों द्वारा अपराध की खबरें देखकर सरिता जी का मन खिन्न हो गया। गंभीरता से अखबार पढ़ते-पढ़ते सरिता जी ने कहा,” पता नहीं आजकल के मां-बाप बच्चों को कैसे संस्कार देते हैं। ना ये शिष्टाचार जानते हैं, ना छोटे-बड़े का लिहाज करना जानते हैं। दिन भर भद्दे गाने सुनते और गुनगुनाते

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कैसे दिए जाएँ बच्चों में संस्कार?

तरुण आज ऑफिस से जल्दी घर आ गए थे। वह पारिवारिक व्यक्ति थे। परिवार के साथ समय बिताना, बच्चों से बाते करना उन्हें अच्छा लगता था। आते समय उन्होने रास्ते में जलेबी खरीदा। घर आकर बड़ी बेटी स्नेहा, जो कि अभी 6-7 वर्ष की थी, को दे दिया। बेटी ने जलेबी प्लेट में रख कर

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संस्कार क्या है और क्यों आवश्यक है?

65 वर्षीय प्रभा जी ने विवाह के बाद मायके और ससुराल दोनों के संबंधियों से संपर्क नहीं रखा। पड़ोसियों और मित्रों से भी लगभग संपर्क में नहीं थीं। पति-पत्नी दोनों अच्छे पदों पर थे, बच्चों को पढ़ाने  और उनके करियर बनाने में व्यस्त रहे दोनों। माँ-बाप या सास-ससुर का भी कभी ख्याल नहीं रखा। उन्हें

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भावना मयूर पुरोहित

कन्या पूजन और श्रवण कुमार के देश में वृद्धाश्रम

भारत एक ऐसा देश है जिसमें विश्व में सबसे पुरानी संस्कृति की नींव है। जहाँ कन्या पूजन होता है। वहीं भ्रूण हत्याएँ भी होती हैं। यहाँ नारी की पूजा भी होती हैं और नारियों का अपमान भी होता हैं। भगवान श्री राम अपने पिताजी की आज्ञा का पालन करने के लिए हंसते हुए वनवास चले गए थे। साथ में

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