Babita Jha

Founder president of CLF

माँ का दर्द (बालकथा)

माँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। चीनू उछलते हुए अपनी माँ से कहने लगा; हम रोज आ कर खेलेंगे न…..! हाँ बेटा चीनू; माँ ने हँसते हुए हामी भरी। खुले मैदान में चीनू जैसे और भी छोटे–छोटे बच्चे खेल रहे थे यह देख चीनू और भी खुश हो गया। चीनू […]

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नानक दुखिया सब संसार

शहर की झोपड़पट्टी माने वाले इलाके का नाम इंद्र पुरी था। अपने नाम के उलट मुर्गी के दड़बों की तरह बेतरतीब बसी हुई इंद्रपुरी झोपड़पट्टी की एक झोपड़ी से निब्बर रोजगार पर जाने के लिये बाहर निकला। दरवाजे के पास एक लोहे के मजबूत पाए से बंधे जंजीर का ताला खोलकर उसने रिक्शा निकाला। रिक्शे

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खुशकिस्मत

नुक्कड़ से मुड़ने पर जो पहला बड़ा सा सफेद घर है वह डॉक्टर विश्वरूप सरकार का ही है। घर क्या बंगला है यह। शहर के सबसे मंहगे इलाके में इतना बड़ा बंगला, वह भी बड़े से गार्डन के साथ। उस इलाके के लिए तो यह लैंडमार्क का भी काम करता है। पर दीवारें इतनी ऊंची

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साठ के ठाठ

मित्रों! साठ साल की उम्र के पड़ाव का अपना एक ठाठ होता है। न सुबह जल्दी उठ तैयार हो ऑफिस पहुंचने की चिंता न काम का प्रेशर, न अफसर की डांट का डर, न बच्चों की पढ़ाई की चिंता, बस आराम ही आराम … … एक  सामान्य नौकरीपेशा व्यक्ति इस उम्र तक रिटायर हो जाता

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श्राद्ध से भी ज़रूरी है वृद्धजनों का उचित सम्मान और उनकी पर्याप्त देखभाल

अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा, सम्मान अथवा आभार प्रकट करने का एक तरीक़ा है श्राद्ध। निस्संदेह हमें उनका आभारी, उनका कृतज्ञ होना चाहिए। लेकिन क्या मात्र पितृपक्ष का अनुष्ठान उनके प्रति वास्तविक श्रद्धा व्यक्त करने में सक्षम हो सकता है? क्या किसी को भोजन करा देने से किसी दिवंगत की आत्मा वास्तव में तृप्त या

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वृद्धावस्था: समस्याएं और समाधान

बुढ़ापा यकीन मानिए एक अच्छी और सुखद चीज है, यह सच है कि आपको धीरे से मंच से उतार दिया जाता है पर फिर आपको दर्शक के रूप में सबसे आरामदायक कुर्सियों पर बिठा दिया जाता है।” कन्फ्यूशियस ने जब यह लिखा था तब यह सोचा भी ना होगा कि बुढ़ापा में सभी को आरामदायक

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हिंदी भाषा भारतीयता की भाषा

भारत की संपर्क भाषा हिंदी निसंदेह भारत की संपर्क भाषा हिंदी है क्योंकि जब हम अपने भावों को किसी भी भाषा में वर्णित करते हैं तो सबसे सरल और सुगम माध्यम भावनाओं को व्यक्त करने का हिंदी के अतिरिक्त और कोई हो ही नहीं सकता है। हिंदी बालक की प्रथम भाषा हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा ही

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हिंदी हैं हम

भाषा भावों और विचारों की संवाहक होती है। भाषा का स्वरूप निरंतर बदलता रहता है। वर्तमान हिंदी का उद्भव 10वीं शताब्दी में संस्कृत भाषा से हुआ है। यह सब जानते हैं कि काल के अनुसार ही वह पाली, प्राकृत और अपभ्रंश की धारा से गुजरती हुई आज अपने वर्तमान रूप में हमारे सामने है। हिंदी

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