Babita Jha

Founder president of CLF

वृद्धावस्था और व्यवहार परिवर्तन

वृद्धावस्था ऐसी अवस्था है जिससे लगभग सभी को गुजरना है। इससे निपटने की जो तैयारी रखते हैं वे समझदार हैं क्योंकि वे जानते हैं इस अवस्था में ऐसा परिवर्तन आयेगा जो मन पसंद न होगा। योगासन अपना कर, भोजन पर, क्रोध आदि पर अंकुश लगा कर स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मानसिकता रखने वाले वृद्ध समाज […]

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सेवानिवृत्त कर्मचारी

मैं सेवानिवृत्त कर्मचारी, पहले दरबार लगाता था। अब बना हुआ हूँ दरबारी। मैं सेवानिवत कर्मचारी।। पहले कार्यालय जाता था, अपनी कुछ धौंस जमाता था, अब तो मन में ले टीस बड़ी मैं बना हुआ हूँ घरबारी। मैं… … पहले मैं रोब जमाता था, मन माफिक भोजन पाता था, अब तो भोजन के लिए मुझे करनी

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वृद्धावस्था में व्यवहार में परिवर्तन

 कहते हैं ढ़लती उम्र के साथ लोगों को अपनी सारी इच्छाएं सीमित कर लेनी चाहिए। ऐसा करना दैहिक, मानसिक और पारिवारिक तीनों तापों का समन कर सुख शांति प्रदान करने वाला और हितकारी होगा। मगर ऐसा होता नहीं है। बुढ़ापे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए और भी ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है।

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भोजपुरी में रामायण के रचयिता पं0 व्रतराज दुबे ‘विकल’ से साक्षात्कार

       चौरासी वर्ष की आयु में एक ऐसा साहित्यकार जिन्होंने भोजपुरी में ‘करुनाकर रामायन’ (करुणाकर रामायण) सहित भोजपुरी और हिन्दी में कई ग्रंथों की रचना की है। उनकी लेखनी आज भी सतत् क्रियाशील है।   पं. व्रतराज दुबे “विकल” की रचनाएँ साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग, नवराष्ट्र, अँजोर, भोजपुरी माटी, जयभोजपुरी, आखर ग्रुप सहित आकाशवाणी पटना से

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वृद्धावस्था में व्यवहार में होने वाले परिवर्तन और उनके कारण

 चिड़चिड़ापन, झल्लाहट, क्रोध, कहीं मन नहीं लगना, उत्साह की कमी, दूसरों की खुशी के प्रति उदासीन रहना, खिन्नता इत्यादि व्यक्ति का स्वाभाविक गुण होता है, जो लगभग सभी व्यक्तियों में होता है, लेकिन इनकी मात्रा प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न होती है। यहाँ तक कि एक ही व्यक्ति में समय, स्थान, परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग हो

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ऑनलाइन दादीमाँ

हुए बब्लू की नजरें अनायास ही दादाजी की तरफ उठ गई। वे पास ही एक कुर्सी पर बैठे हुए जाने किन ख्यालों में खोए हुए थे। उनकी उम्र 75 साल से कम न थी। उनके झुर्रियों से भरे चेहरे पर उदासी और आँखों में एक विरानी-सी दिख रही थी।        बब्लू को ध्यान आया कि

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समुद्र-सूर्य का अद्भुत मिलन: कन्याकुमारी

चंचल बच्चे जैसे उछलती-कूदती और अठखेलियाँ करती समुद्र की लहरें और उन्हें दूर से चुपचाप निहारते अभिभावक जैसे सूर्य की प्रकृति लिखित खूबसूरत एवं सजीव चित्र अगर देखना हो तो कन्याकुमारी इसके लिए बहुत उपयुक्त स्थान है।       तमिलनाडु राज्य में स्थित कन्याकुमारी भारत की मुख्य भूमि का दक्षिणतम बिन्दु है। इसके बाद केवल समुद्र

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पहला एहसास

‘मेरी बात मानिए बच्चन बाबू, लड़का होनहार है, यहाँ गाँव में रह कर ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा। अभी तक इसने सारे क्लास में फर्स्ट लाएं है लेकिन यदि इसे सही समय पर सही जगह नहीं भेजा गया तो एक होनहार बच्चे का भविष्य खराब हो सकता है।’ शत्रुघ्न सर ने चाय की चुस्की लेते

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