Babita Jha

Founder president of CLF

बुढ़ापा की दशा को एक सही दिशा की जरूरत

वृद्धावस्था जीवन यात्रा का नैसर्गिक व अंतिम पड़ाव होता है। मानव जीवन चक्र चार अलग-अलग अवस्थाओं से गुजरती है: बाल्यावस्था, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था व वृद्धावस्था। प्रकृत्ति खुद को एक चक्रीय पद्धति से परिवर्तित करती है। यह ठीक उसी प्रकार है जैसे: मौसम का बदलना, इतिहास का दुहराना आदि। ठीक उसी तरह एक वृद्ध व्यक्ति अपने जीवन […]

बुढ़ापा की दशा को एक सही दिशा की जरूरत Read More »

तुम मिली …जीने को और क्या चाहिए

था बिछोह दो दशकों का भारी, विलग हो हुई अधूरी; बस साँसे थी तन में,               शक्तिहीन मन-प्राण। थे कुछ शिकवे और शिकायत, उस अनंत सत्ता से; बनी फरियादी दिया फरियाद; याद किया तुम्हें जब-जब, नयन नीर सजल, अधीर मन-प्राण हुई आज पुनः संबल पाकर तुमको एक क्षण सहसा चौंकी! कहीं दिवा स्वप्न

तुम मिली …जीने को और क्या चाहिए Read More »

वृद्धावस्था और व्यवहार परिवर्तन

वृद्धावस्था ऐसी अवस्था है जिससे लगभग सभी को गुजरना है। इससे निपटने की जो तैयारी रखते हैं वे समझदार हैं क्योंकि वे जानते हैं इस अवस्था में ऐसा परिवर्तन आयेगा जो मन पसंद न होगा। योगासन अपना कर, भोजन पर, क्रोध आदि पर अंकुश लगा कर स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ मानसिकता रखने वाले वृद्ध समाज

वृद्धावस्था और व्यवहार परिवर्तन Read More »

सेवानिवृत्त कर्मचारी

मैं सेवानिवृत्त कर्मचारी, पहले दरबार लगाता था। अब बना हुआ हूँ दरबारी। मैं सेवानिवत कर्मचारी।। पहले कार्यालय जाता था, अपनी कुछ धौंस जमाता था, अब तो मन में ले टीस बड़ी मैं बना हुआ हूँ घरबारी। मैं… … पहले मैं रोब जमाता था, मन माफिक भोजन पाता था, अब तो भोजन के लिए मुझे करनी

सेवानिवृत्त कर्मचारी Read More »

वृद्धावस्था में व्यवहार में परिवर्तन

 कहते हैं ढ़लती उम्र के साथ लोगों को अपनी सारी इच्छाएं सीमित कर लेनी चाहिए। ऐसा करना दैहिक, मानसिक और पारिवारिक तीनों तापों का समन कर सुख शांति प्रदान करने वाला और हितकारी होगा। मगर ऐसा होता नहीं है। बुढ़ापे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए और भी ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है।

वृद्धावस्था में व्यवहार में परिवर्तन Read More »

भोजपुरी में रामायण के रचयिता पं0 व्रतराज दुबे ‘विकल’ से साक्षात्कार

       चौरासी वर्ष की आयु में एक ऐसा साहित्यकार जिन्होंने भोजपुरी में ‘करुनाकर रामायन’ (करुणाकर रामायण) सहित भोजपुरी और हिन्दी में कई ग्रंथों की रचना की है। उनकी लेखनी आज भी सतत् क्रियाशील है।   पं. व्रतराज दुबे “विकल” की रचनाएँ साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग, नवराष्ट्र, अँजोर, भोजपुरी माटी, जयभोजपुरी, आखर ग्रुप सहित आकाशवाणी पटना से

भोजपुरी में रामायण के रचयिता पं0 व्रतराज दुबे ‘विकल’ से साक्षात्कार Read More »

वृद्धावस्था में व्यवहार में होने वाले परिवर्तन और उनके कारण

 चिड़चिड़ापन, झल्लाहट, क्रोध, कहीं मन नहीं लगना, उत्साह की कमी, दूसरों की खुशी के प्रति उदासीन रहना, खिन्नता इत्यादि व्यक्ति का स्वाभाविक गुण होता है, जो लगभग सभी व्यक्तियों में होता है, लेकिन इनकी मात्रा प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न-भिन्न होती है। यहाँ तक कि एक ही व्यक्ति में समय, स्थान, परिस्थिति के अनुसार अलग-अलग हो

वृद्धावस्था में व्यवहार में होने वाले परिवर्तन और उनके कारण Read More »

ऑनलाइन दादीमाँ

हुए बब्लू की नजरें अनायास ही दादाजी की तरफ उठ गई। वे पास ही एक कुर्सी पर बैठे हुए जाने किन ख्यालों में खोए हुए थे। उनकी उम्र 75 साल से कम न थी। उनके झुर्रियों से भरे चेहरे पर उदासी और आँखों में एक विरानी-सी दिख रही थी।        बब्लू को ध्यान आया कि

ऑनलाइन दादीमाँ Read More »

Scroll to Top