Babita Jha

Founder president of CLF

समझाइश (लघुकथा)

“इतने दिनों से मैं तुम्हें समझा रही थी; बात समझ नहीं आ रही थी? मेरे तन को खोखला तो कर डाला। मैंने तुम्हारे लिए कितना कष्ट सहा! दुःख सहा! कितनी पीड़ा हुई है मुझे! मैं ही जानता हूँ।” “लेकिन आपने मुझे कभी क्यों नहीं दुत्कारा? क्यों नहीं भगाया मुझे? मेरे प्रति स्नेह व अपनतत्व क्यों […]

समझाइश (लघुकथा) Read More »

स्वीट सिक्सटी: 60 की उम्र के लिए मेरी तैयारी

“हो ग‌ए हम साठ के तो क्या हुआ दिल तो बच्चा ही हमारा है अभी” जिस प्रकार हमने अपनी किशोरावस्था को “स्वीट सिक्सटीन” कह कर बुलाया था, बस बिल्कुल वैसे ही मैंने अपनी जाती हुई “प्रौढ़ावस्था” और आती हुई “स्वर्णिमावस्था” को भी “स्वीट सिक्सटी” कह कर पुकारा। सिक्सटीन का ‘न’ हटा कर मैंने अपने जीवन

स्वीट सिक्सटी: 60 की उम्र के लिए मेरी तैयारी Read More »

‘पढ़ने’ की आवश्यकता

प्राचीन समय की बात है। एक गांव में चार मित्र रहते थे। चारों शिक्षा के लिए एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में गए। वहाँ रह कर उन चारों ने अन्य अनेक विद्याओं के साथ मृत संजीवनी विद्या भी सीखा। शिक्षा पूर्ण कर चारों  खुशी और उत्साह से अपने गाँव के लिए चले। वे सोचते जा रहे थे

‘पढ़ने’ की आवश्यकता Read More »

60 की उम्र के बाद मेरी तैयारी

हम सभी बाल्यावस्था, शैशवावस्था, प्रौढ़ अवस्था और वृद्धावस्था में प्रवेश करते हैं। किंतु पता नहीं जब तरुणाई की अवस्था चल रही होती है तो वह क्षण बहुत ही तीव्र गति से व्यतीत हो जाते हैं। हँसते खिलखिलाते, और ज्यों-ज्यों बुढ़ापा आता है हम बुढ़ापे को देखकर मायूस होने लगते हैं। हमारे अंगों में पहले के

60 की उम्र के बाद मेरी तैयारी Read More »

60 के बाद के लिए मेरी तैयारी

रोज की तरह आज भी मेरी नींद सुबह 6 बजे खुल गई। बेटे-बहू थोड़े देर से उठते हैं। उन लोगों को देर रात तक कंप्यूटर कर काम करना होता है न। आजकल का जीवन भी कितना मुश्किल हो गया है। पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं। हमारी ड्यूटी तो शाम 4 बजे खत्म हो जाती थी।

60 के बाद के लिए मेरी तैयारी Read More »

माँ का दर्द (बालकथा)

माँ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वाह! मैदान भी हरा–भरा है। चीनू उछलते हुए अपनी माँ से कहने लगा; हम रोज आ कर खेलेंगे न…..! हाँ बेटा चीनू; माँ ने हँसते हुए हामी भरी। खुले मैदान में चीनू जैसे और भी छोटे–छोटे बच्चे खेल रहे थे यह देख चीनू और भी खुश हो गया। चीनू

माँ का दर्द (बालकथा) Read More »

नानक दुखिया सब संसार

शहर की झोपड़पट्टी माने वाले इलाके का नाम इंद्र पुरी था। अपने नाम के उलट मुर्गी के दड़बों की तरह बेतरतीब बसी हुई इंद्रपुरी झोपड़पट्टी की एक झोपड़ी से निब्बर रोजगार पर जाने के लिये बाहर निकला। दरवाजे के पास एक लोहे के मजबूत पाए से बंधे जंजीर का ताला खोलकर उसने रिक्शा निकाला। रिक्शे

नानक दुखिया सब संसार Read More »

खुशकिस्मत

नुक्कड़ से मुड़ने पर जो पहला बड़ा सा सफेद घर है वह डॉक्टर विश्वरूप सरकार का ही है। घर क्या बंगला है यह। शहर के सबसे मंहगे इलाके में इतना बड़ा बंगला, वह भी बड़े से गार्डन के साथ। उस इलाके के लिए तो यह लैंडमार्क का भी काम करता है। पर दीवारें इतनी ऊंची

खुशकिस्मत Read More »

Scroll to Top