Babita Jha

Founder president of CLF

खुशियों की चाबी

 राजश्री राठी, गौरक्षण रोड, महेश‌ कॉलनी, अकोला, महाराष्ट्र पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है मानव जनम बहुत पुण्य के पश्चात मिलता है। मानव जीवन में ही मनुष्य मनचाहा लक्ष्य साध कर अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, परमार्थ और जनकल्याण के अच्छे कार्यों को करते हुए अपने जीवन को सार्थक करने का […]

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भावना मयूर पुरोहित

आर्ट ऑफ थिंकिंग

भावना मयूर पुरोहित, हैदराबाद  आर्ट ऑफ थिंकिंग   अर्थात सोचने की कला। जैसी हमारी सोच वैसे हम!!! आचार्य विनोबा भावे की एक लघुकथा याद करते है… एक बार एक मानव चलते चलते, किसी वन में भटक गया। वह एक वृक्ष के नीचे बैठा गया था। उसे मालूम नहीं था कि वह एक कल्प वृक्ष था। इस वृक्ष के नीचे बैठकर

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मर्यादा में रहना महत्वपूर्ण

राजू की पंतग हवा में ऊंची उड़ रही थी। उसने पास खड़े दादा जी से कहा “देखिये दादा जी, मेरी पंतग कैसे हवा में घूम रही है” दादा जी ने हंसते हुए कहा “इसकी डोर तुमने पकड़ रखी है इसलिए तो यह उड़ पा रही है।” राजू ने उत्सुकतावश दादा जी से पूछा “यदि मै

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आधुनिकता की दौड़ में पीछे छूटते संस्कार

“एक सोलह वर्ष के किशोर ने शराब पीकर गाड़ी से एक दंपति एवं उनके पांच वर्ष के छोटे बच्चे को कुचल डाला” “जायदाद के लालच में एक बेटे ने अपनी मां को मौत के घाट उतार दिया” “विद्यालय में छोटी सी बात पर झगड़ा इतना बढ़ गया कि एक छात्र ने चाकू मारकर अपने सहपाठी

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गिलास रख दीजिए (प्रेरक कहानी)

एक प्रोफेसर ने अपने छात्रों को एक प्रयोग करने के लिए कहा। उन्होने  पानी भरा हुआ गिलास सभी छात्रों को पकड़ने के लिए कहा। छात्रों ने ऐसा ही किया। प्रोफेसर ने बहुत देर तक उन्हें वैसे ही रहने दिया। कुछ समय बाद छात्रों का हाथ दर्द करने लगा। प्रोफेसर ने छात्रों से पूछा गिलास या

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चतुर चोर (लोक कथा)

किसी गाँव मे एक बहुत ही चतुर चोर रहता था। लोगों का कहना था कि वह आदमी की आंखों का काजल तक उड़ा सकता था। उसे अपने इस चोरी की कला पर गर्व भी था। एक दिन उस चोर ने सोचा कि जबतक वह राजधानी में नहीं जाएगा और अपना करतब नहीं दिखाएगा, तब तक

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मोह, ममता एवं प्रेम

भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ा एक बहुत ही प्रसिद्ध प्रसंग है उनके द्वारा अपने ही फुफेरे भाई शिशुपाल का वध करना। कथा इस प्रकार है कि जन्म के समय शिशुपाल के तीन आँखें और चार हाथ थे। आकाशवाणी यह हुई कि जिस किसी के गोद में जाने से उसके अतिरिक्त अंग गायब हो जाएंगे,

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डॉ वर्गीज़ कुरियन (प्रेरक व्यक्तित्व)

26 नवंबर 1921 को वर्तमान केरल जो उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी में आता था, के कालीकट यानि वर्तमान कोझिकोड में एक सीरियाई ईसाई परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ। पिता सिविल सर्जन थे। वह बच्चा शुरू से ही पढ़ने में मेधावी था। बड़े होने पर मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि ली। डिग्री लेने

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