Babita Jha

Founder president of CLF

मालिक से बात मत छुपाना (बंगाल की लोककथा)

गरिया हाट के पास नंदूराय अकेला रहता था। गांववालों ने मिलकर उसे कुछ रुपये देकर उसका ब्याह करवा दिया। उसकी पत्नी आरती रोज देखती नंदूराय की नौकरी भी नहीं। घर में अनाज नहीं… वह सारा दिन यों ही बैठा रहता है तो उसने सोचा नंदूराय को कहीं किसी के पास काम पर लगा दे। वह […]

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लक्ष्मीपूजा (लघुकथा)

धनतेरस का दिन था। ऐसा लग रहा था मानो, कार्तिक मास की काली रातों ने सच में रंजन के घर-परिवार को ढँक लिया हो। रंजन की पत्नी मालती छ:-सात माह से डायलिसिस पर थी। पूरे परिवार की हालत खराब थी। फिर आज तो उसकी कंडीशन कुछ और ज्यादा ही क्रिटिकल हो गयी। वह बार-बार करवटें

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प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार विभिन्न कारक 

बीते कई दिनों से देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण बेहद ख़तरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इसकी वजह से वहां के निवासियों को न केवल सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है बल्कि आंखों में जलन और त्वचा सम्बन्धी अन्य परेशानियां भी हो रही हैं। द्वारका इलाके में हवा की गुणवत्ता का स्तर 900 के

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ये कैसी आस्था है?

मैं कई बार सड़कों के किनारे, पेड़ों के नीचे, नदियों के तट पर, रखे देवी-देवताओं की अनेक टूटी-फूटी, खंडित मूर्तियाँ, फोटो आदि देखती हूँ। आर्टिफ़िशियल फूल मालाएँ, माता की चुन्नी, भगवत नाम लिखा हुआ पटका या अंगवस्त्र इत्यादि भी होते हैं। शायद आपलोगों ने भी देखा हो। गाँव से अधिक शहरों में ऐसे दृश्य दिखते

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एल्बम के बचे हुए पन्ने

सीताराम गुप्ता, पीतमपुरा, दिल्ली- 110034 जीवन रूपी अलबम में भरे हुए पन्नों से अधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं बचे हुए पन्ने।      उम्र के विभिन्न अगले पड़ावों पर पहुँचने के बाद हम प्रायः यही सोचते हैं कि अब जीवन में कुछ नया सीखने अथवा जीवनवृत्ति में परिवर्तन करने का समय व्यतीत हो चुका है। प्रायः पच्चीस-तीस

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पॉपकॉर्न माइंड: एक नई महामारी

क्यों है चर्चा में पॉपकॉर्न माइंड? मानसिक स्वस्थ्य के क्षेत्र में आजकल एक शब्द चर्चा में है ‘पॉपकॉर्न ब्रेन’ या ‘पॉपकॉर्न माइंड’। दुनिया भर में पॉपकॉर्न ब्रेन के मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ती जा रही है कि कई स्टडी में इसे ‘महामारी’ की संज्ञा दी जाने लगी है। वर्तमान ‘ग्लोबल विलेज’ के युग

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जीना सीखो

सुख दुख जीवन के साथी है, इससे ना घबराओ जी।हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।। कल क्या होगा किसने देखा, फिर क्यों सोचा करते हो।सही कर्म की राहे चलते, फिर भी सारे डरते हो।। मुश्किल आती है जीवन में, उससे भी टकराओ जी।हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।। मिट्टी

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धरती मात समान

प्रत्येक शाम को  हम कुछ अवकाश प्राप्त (भले ही नौकरी से हो या व्यवसाय से) दोस्त पार्क में बैठ राजनीति वाले विषय से हट किसी भी प्रकार के अन्य विषय पर आपस में चर्चा कर लेते हैं। इसी क्रम में एक शाम हम कुछ दोस्त पार्क में बैठ गपशप कर रहे थे। इसी बीच हम बैठे लोगों में से

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