Babita Jha

Founder president of CLF

एक दोस्ती ऐसा भी…(लघुकथा)

“लो दादाजी …ये आया….आया…एरोप्लेन, आपके पास, इस में बैठकर जल्दी आ जाओ मेरे घर” पाँच वर्षीय क्षितिज ने साथ वाले फ्लैट में व्हीलचेयर पर बैठे एक वृद्ध की ओर अपने कागज का बनाया हुआ जहाज उड़ा दिया। उधर उनके नौकर ने फुर्ती से कैच कर उन्हें पकड़ाया तो वह ज़ोर-ज़ोर से ठहाका लगाते हुए उसका […]

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प्रतिदान (लोक कथा)

नानी ने बच्चों को अपने पास बुलाया और अहिंसा का पाठ पढ़ाते हुए उन्हें एक लोककथा सुनाई जो इस प्रकार थी।  उस बड़ी रियासत के जंगलों में बसाए गए एक मुनिवर के आश्रम में जंगल से भटका हुआ एक बाघ कहीं से आ घुसा। बाघ भूखा था और मुनिवर आश्रम में अकेले थे। उनके शिष्य

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सच्ची श्रद्धा और भक्ति (लोक कथा)

भक्त के मन में भगवान के प्रति सच्ची भक्ति हो, तभी यह कहावत सच होती है, “मन चंगा तो कठौती में गंगा।” इसी कहावत को चरितार्थ किया था भक्त रैदास ने। वे जूते गांठने का काम करते थे और साथ में भगवद भक्ति में लीन रहते थे। उनके यहां से होकर बहुत-से संतजन और ब्राह्मण

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प्रेम की भूख

पीपल के पेड़ के नीचे बैठे उस वृद्ध भिक्षुक में न जाने ऐसा क्या था कि मां हर रोज़ उसके लिए खाना निकालती थी। वह भिक्षुक निश्चित समय पर अपनी साफ़-सुथरी थाली लेकर भोजन ले जाता था, मुंह से कुछ न कहता उसकी आंखे ढेरों आशीष देती थीं। कई बार हम बच्चे कहते थे “तुम

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फ़लसफ़ा जीवन का

सब अपनो को पहचान लो भई !!  हम अपनी सोसाइटी की शान हैं फूलों की मुस्कान है हमे सीनियर सिटीजन समझने की भूल न करना!! हम जब मस्ती में पार्क में गीत नये पुराने गाते रहते हैं कितने तरुण तरुणी शरमा जाते हैं कितने हमउम्र के दिल को धड़का देते है चिड़ियों सी बेपरवाह जब

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एसी कैसे कार्य करता है?

गर्मी की आहट के साथ बहुत से लोगों ने या तो एसी का उपयोग शुरू कर दिया होगा या फिर सर्विसिंग करवा कर अब उपयोग शुरू करने का विचार कर रहे होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं यह कमरे को ठंढा कैसे करता है? “ठंडी हवा उत्पन्न कर? बहुत लोगो ऐसा सोचते हैं लेकिन यह

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जिज्जी के परसाई (व्यंग्य)

सत्तो जिज्जी और पत्तो जिज्जी आजकल नामी लेखिका बनी बैठी हैं। पत्तो जिज्जी तो ज्यादातर घर-गृहस्थी में व्यस्त रहती हैं, उन्हें सोसाइटी के व्हाट्सअप ग्रुप और किटी पार्टी में चुगली और परनिंदा के भरपूर अवसर मिल जाते हैं इसलिये उन्हें लिखने पढ़ने में मजा नहीं आता। अलबत्ता इतना जरूर लिख पढ़ देती हैं कि लेखिका

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जीवन को भरपूर जियें

“अब आप कितना काम करेंगे?”  “आराम कीजिए। क्या जिंदगी भर काम ही करते रहेंगे?” ऐसा कहने वाले आपको अनेक शुभचिंतक मिलेंगे, जब आप नौकरी से रिटायर होते हैं। आपका दिल भी कहता है कि अब ऑफिस जाना तो है नहीं, कोई निर्धारित दिनचर्या नहीं है। जब मर्जी वह सो सकता है, जग सकता है। अब

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