Babita Jha

Founder president of CLF

अपना सूरज

दुनिया में कई बड़े बड़े वैज्ञानिक प्रयोग हुए हैं, वैज्ञानिक आविष्कार हुए हैं, बड़े-बड़े वैज्ञानिक प्रोजेक्ट चल रहे हैं। लेकिन यह सब समान्यतः कोई सरकार या बड़ी बड़ी कंपनियाँ चलाती हैं। पर आज कहानी एक ऐसे प्रोजेक्ट की जहां एक छोटे से गाँव के लोगों ने अपने बल पर अपना एक कृतिम सूर्य बना लिया।   […]

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मनाने का विधान

हमारी लोक संस्कृति में तो रूठे हुओं को ही नहीं बिना रूठे हुओं को भी मनाने का विधान है। मकर संक्रांति का दिन हमारे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में ही नहीं दक्षिण भारत तथा देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में भी यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता

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अकेला ..थकेला…आरेला.. जारेला (व्यंग्य)

राजनीति के रंग भी बहुत इन्द्रधनुषी हैं। मगर कभी घटाटोप अंधेरे में राग एकलवन्ती भी। यों लम्बी पारियों के जश्न। वे जनता तो कभी थे ही नहीं, बस नेता ही नेता थे। जब देखो तब मंच पर। सदाबहार मंचेला। मंच पर ही पड़ोसी शिखरों से अपना-अपना ‘साधेला।’ बिन माला के गला कभी सजा नहीं। गला

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जिम्मेदारियाँ निभाने के बाद आई जिंदगी को जीने की बारी

जिंदगी जीने का शौक हमें भी है जनाबमगर यह नहीं हो पाता क्योंकि जिम्मेदारियां ज्यादा है बहुत सही है यह बात। शादी के 1-2 साल बाद बच्चे के जन्म लेने के बाद से उनके पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा फिर शादी-विवाह करने की जिम्मेदारियां निभाते-निभाते अपनी जिंदगी को जिंदादिली से जीने के सपने देखता एक युवा जोड़ा कब

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तन्मे मनः शिवसंकल्पमस्तु अर्थात् मेरा मन शुभ संकल्प वाला हो

यदि किसी घाटी अथवा किसी बड़े से कमरे में हम कुछ बोलते हैं तो वो आवाज वहाँ गूँजने लगती है और बार-बार हमें सुनाई पड़ती है। इसी प्रकार से हमारे मन में उठने वाले विचारों की गूँज भी बार-बार प्रतिध्वनित होकर हमें सुनाई पड़ती है और उसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। मन

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प्रीति चौधरी

जश्ने ज़िन्दगी

जीवन एक उत्सव है जिसे हमें  हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए। चाहे वह उम्र का कोई सा भी पड़ाव हो किंतु जीने का उत्साह और उमंग कम नहीं होनी चाहिए। वृद्ध मन में तो तरुणाई का मौसम हमें जवान रखना होगा क्योंकि मन के हारने से ही हार होती है। कहा भी गया है:  “मन

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दरक जाते हैं

चेहरे बुजुर्गों के फूल से खिल जाते हैं बच्चे जब मिलने चले  आते हैं… यह सच कहते हुए लोगों को सुना बुढ़ापे में बचपन ही तो दोहराते हैं… दिल का अच्छा खफ़ा-ख़फ़ा सा है रुठे हुए शख्स को चलो सब मनाते हैं… हार जाएंगे सन्नाटे जो ठान लो तुम, चलो एक गीत तरन्नुम में गुनगुनाते

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सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ

जीवन का आरंभ जैसे उत्सव के साथ होता है, इसका अंत भी वैसे ही उत्साह और खुशी से क्यों न हो? पश्चिमी देशों में कुछ संगठन इसी उद्देश्य से मृत्यु के निकट पहुंचे लोगों के लिए एक उत्सव मनाते हैं जिसे “सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ” कहते हैं। यह एक तरह से जीवन के अंत से पहले

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