पुण्य कार्य (लघुकथा)
शादी की तैयारी पुरी हो चुकी है। बारात द्वार पर आ गई है। सभी लोग इधर-उधर कर रहे हैं। बारातियों का स्वागत कैसे किया जाय, रामप्रसादजी इसके लिए बहुत चितिंत हैं। क्या करूँ, क्या न करूँ। उनकी पत्नी परेशान देखकर बोली- “क्यों न महेन्द्रजी से कुछ पैसा उधार ले लेते हैं और लड़केवाले को जो […]
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