साठ के ठाठ

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मित्रों! साठ साल की उम्र के पड़ाव का अपना एक ठाठ होता है। न सुबह जल्दी उठ तैयार हो ऑफिस पहुंचने की चिंता न काम का प्रेशर, न अफसर की डांट का डर, न बच्चों की पढ़ाई की चिंता, बस आराम ही आराम … … एक  सामान्य नौकरीपेशा व्यक्ति इस उम्र तक रिटायर हो जाता है अथवा अपने व्यवसाय की जिम्मेदारी अपने आने वाली पीढ़ी के कंधों पर डालकर निश्चित हो जाना चाहता है। लेकिन जो व्यक्ति उम्र के इस पड़ाव के लिए स्वयं को पहले से तैयार नहीं करते उनके लिए यह बहुत यह समय बहुत कष्टप्रद हो जाता है और वह अपने आप को बहुत असुरक्षित अनुभव करते हैं. अतः इस समय के लिए पहले से ही स्वयं को तैयार करके रखें।

 
डॉ. सविता स्याल
गुरूग्राम 

आर्थिक रूप से सशक्त बने

अपने बुढ़ापे के लिए अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा अवश्य बचाये थोड़ा-थोड़ा करके बचाने से इस उम्र तक एक अच्छी खासी रकम बचा पाएंगे। वैसे बहुत-सी कंपनियों में प्रोविडेंट फंड और फैमिली पेंशन जैसी सुविधाएं भी होती है। जो आपकी तनख्वाह का कुछ हिस्सा लेकर जमा करते रहते हैं और फिर रिटायरमेंट के समय ब्याज सहित वह राशि आपको लौटा देते हैं।

एक दो इंश्योरेंस पॉलिसी भी अवश्य लें जिसमें कम से कम एक मेडिकल इंश्योरेंस भी हो जिससे बुढ़ापे में आवश्यकता पड़ने पर अस्पताल का खर्चा निकल जा सके। नियमित रुप से पालिसी के प्रीमियर का भुगतान करते रहे।

अपने बचत में से कुछ पैसा इस प्रकार से निवेश किया जा सकता है जिससे आपको बुढ़ापे में कुछ आमदनी हो जाए।

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अपनी सेहत का ध्यान रखें

नियमित रूप से व्यायाम, सैर एवं उचित खान-पान के द्वारा शरीर को स्वस्थ रखना भी बुढ़ापे के लिए एक प्रकार का निवेश ही है। इससे 60 साल की उम्र के पश्चात भी आपका स्वास्थ्य ठीक  रहेगा और आपको बीमारियां नहीं सतायेगी।

अपनी कोई हॉबी रखें

अभी से अपना कोई शौक अथवा हॉबी  रखें। जैसे ड्राइंग पेंटिंग, संगीत, बागवानी, कोई गेम खेलना या पुस्तक पढ़ना आदि जिससे वह शौक रिटायरमेंट के बाद आपको समय बिताने में सहायता करें।

मित्र बनाएं

ऐसे मित्र बनाये जो लंबे समय तक आपका साथ निभाए। उम्र बढ़ाने के साथ-साथ बच्चे अपने जीवन में व्यस्त हो जाते हैं ऐसे में पुराने मित्र बहुत काम आते हैं। वैसे भी मित्रों के साथ समय बिताने से व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। मानसिक रूप से स्वस्थ रहना आपके शरीर  को स्वस्थ रखता है।

रिश्ते संभाले

पैसे और जवानी के घमंड में आकर रिश्तों की बालि ना चढ़ाएं। न जाने जीवन के किस मोड़ पर किस रिश्तेदार की आवश्यकता पड़ जाए और  वह आपकी सहायता के लिए आगे आए।

ऐसा कहा जाता है कि साठ के बाद के वर्ष आपके जीवन के स्वर्णिम वर्ष है क्योंकि आपके पास जीवन अनुभवों की पूंजी है। कुछ लोग इसे सैकेंड इनिंग आफ लाईफ भी कहते हैं।

इस प्रकार साठ साल की उम्र के लिए  अपने आपको को मानसिक रूप से  तैयार करें। शारीरिक और मानसिक रूप से यदि आप उम्र के इस पड़ाव के लिए तैयार हैं तो निश्चय ही जीवन का यह समय आप बड़े ठाठ से बिता पायेगें।

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