रास्ते का पत्थर (प्रेरक कहानी)

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अपने लोगों के मनोविज्ञान को समझने के लिए एक राजा ने एक प्रयोग करने का विचार किया। उसने एक बड़ा सा पत्थर मुख्य सड़क पर रख दिया और छुप कर उधर से गुजरने वालों की प्रतिक्रिया देखने लगा।

सबसे पहले उस सड़क से राजा का महामंत्री गुजरा। वह पत्थर देख कर भुनभुनाता हुआ उसके बगल से निकल गया। उसके बाद सेनापति गुजरा। उसने भी ऐसा ही किया। अनेक लोग उस रास्ते से गुजरे सभी को दिक्कत होती थी। लोग पत्थर से बचते हुए बगल से निकल जाते। वे सरकार, राजा, प्रशासन आदि को इसके लिए दोष दे रहे थे जो रास्तों की ठीक से देखभाल नहीं कर रहे थे और लोगों को परेशानियाँ हो रही थी।

अंत में उस रास्ते से एक किसान गुजारा। उसके सिर पर सब्जियों का एक बड़ा सा गट्ठर था। उसने भी उस पत्थर को देखा। लेकिन वह अन्य लोगों की तरह उससे बच कर नहीं निकला। उसने अपना बोझ नीचे रखा और पत्थर को हटाने का प्रयास करने लगा। दुबले पतले किसान के लिए अकेले उस बड़े पत्थर को हटाना बहुत मेहनत का काम था। फिर भी वह प्रयास करता रहा। अंततः पत्थर हट गया। उसने पत्थर को जब हटा कर सड़क किनारे रख दिया तब उसकी नजर उसके नीचे रखे एक थैली पर गया। उस थैली में बहुत सारा धन रखा था साथ ही एक नोट लिखा था- “पत्थर हटाने वाले के लिए इनाम।”

कई बार हम किसी चीज को परेशानी समझ कर उससे बचने का प्रयास करते हैं या उसके लिए दूसरों को दोष देते हैं जबकि यह परेशानी वास्तव में हमारे लिए एक अवसर होता है।  

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