जिम्मेदारियाँ निभाने के बाद आई जिंदगी को जीने की बारी

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जिंदगी जीने का शौक हमें भी है जनाब
मगर यह नहीं हो पाता क्योंकि जिम्मेदारियां ज्यादा है

शिखर चंद जैन
कोलकाता

बहुत सही है यह बात। शादी के 1-2 साल बाद बच्चे के जन्म लेने के बाद से उनके पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा फिर शादी-विवाह करने की जिम्मेदारियां निभाते-निभाते अपनी जिंदगी को जिंदादिली से जीने के सपने देखता एक युवा जोड़ा कब उम्रदराज हो जाता है पता ही नहीं चलता। इसी बीच बच्चे अपने करियर व नई गृहस्थी को संभालने में व्यस्त हो जाते हैं। वे अपने अलग मकान, दूसरे शहर, दूसरे राज्य अथवा दूसरे देश में चले जाते हैं तो अक्सर पति-पत्नी अकेले पड़ जाते हैं।

चॉइस है आपकी

उम्र के इस मुकाम पर आपके पास दो विकल्प होते हैं या तो आप अपने बच्चों के स्वार्थ और अपने अकेलेपन को कोसते हुए, दुखी व परेशान होते हुए जीवन को काटते या बिताते रहें या फिर इसे अपनी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण और “मी टाइम” मानते हुए अपनी जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा लेने का उत्सव मानते हुए अपने जीवन साथी के साथ पूरी तरह इंजॉय करें। पहला ऑप्शन आप को ठीक से जीने नहीं देगा और दूसरा ऑप्शन आपको जल्दी मरने नहीं देगा।

ऐसे जियें जीवन की दूसरी पारी

अपनी हॉबीज पूरी करें- आपकी बहुत सी हसरतें और शौक होंगे जिन्हें आपने जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा कर खत्म कर दिया होगा। अब वक्त है उन्हें पूरा करने का। आप अपनी पसंदीदा किताबें और पत्रिकाएं पढ़ें, चित्रकारी और पेंटिंग करें, मूवी और टीवी सीरियल देखें, म्यूजिक सुनें, बागवानी करें यानी कुछ भी ऐसा करें जिसे करके आपके मन को खुशी मिले और आपका समय आराम से इनमें व्यतीत हो जाए। मनोविज्ञानी कहते हैं कि हॉबीज में इंवॉल्व रहकर न सिर्फ मन को प्रसन्न रखा जा सकता है बल्कि तन को भी स्वस्थ और तंदुरुस्त रखा जा सकता है।

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नए रोल में ट्राई करें

आपने एक अच्छे माता-पिता, भाई-बहन होने का फर्ज निभा दिया है। अब वक्त है समाज के लिए कुछ करने का, एक अच्छा पड़ोसी बनने का, एक अच्छा नागरिक बनने का।

ऐसे में सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े और अपनी शारीरिक-मानसिक क्षमता के अनुरूप काम करें। आप कॉलोनी के गरीब बच्चों को पढ़ाने, किसी कमजोर व असहाय वृद्ध दंपत्ति के लिए दवा, दैनिक जरूरत की चीजें लाने उनके लिए सरकारी कागजात या अन्य कार्यवाहियाँ पूरी करने का काम कर सकते हैं, अपनी सोसाइटी में एक्टिव रोल निभाकर वहां के मेंटेनेंस व को-ओर्डिनेशन का काम कर सकते हैं। मोहल्ले की समस्याओं के लिए नगर निगम या अन्य सरकारी विभागों में आवाज उठा सकते हैं। इससे मन लगेगा, आप एक्टिव रहेंगे और आपकी प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।

जीवनसाथी के साथ क्वालिटी टाइम

व्यस्तता के दिनों में आपके जीवन साथी आपसे हमेशा शिकायत करते रहे होंगे कि आप शांति से बैठ कर दो पल उनसे बातें नहीं करती, उनके साथ हंसी ठिठोली नहीं करती या गेम नहीं खेलती। अब जबकि आपके पास वक्त है आप आसानी से उनकी यह शिकायत दूर कर सकती हैं।

आप दोनों साथ बैठकर टीवी पर मूवी-सीरियल देखें, लूडो कैरम, चेस आदि खेलें, सुबह की सैर पर साथ जाएं, शाम को कॉलोनी के पार्क में टहलने जाएं। इन चीजों से आप दोनों के बीच बाँडिंग बढ़ेगी।

नई चीजें सीखें

सीखने की कोई उम्र नहीं होती। ना कोई नई चीज सीखने में कभी देर होती है। अब आप उन चीजों को सीखें, जो नए जमाने में जरूरी हो गई है।

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जैसे इंटरनेट का इस्तेमाल करके आवश्यक सेवाओं और वस्तुओं के नाम पते खोजना, अपनी रूचि के विषयों पर जानकारी वाली सामग्री खोजना, स्मार्ट फोन पर यूट्यूब पर गाने व ग़ज़ल सुनना, ई मेल लिखना और पढ़ना, व्हाट्सएप, फेसबुक व इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों से बातचीत व संवाद का आदान प्रदान करने की आदत डालें।

इससे ना सिर्फ आपका मन लगेगा बल्कि बदलते जमाने की नई जानकारियां व सूचनाएं भी मिलती रहेंगी।

पर्यटन करें

युवावस्था में आप सैर सपाटे के शौकीन रहें होंगे लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों व समय की कमी से कहीं नहीं जा पाए हों तो अब आप को रोकने वाला कौन है! साल में एक-दो बार अपनी पसंद के पर्यटन स्थल या तीर्थ स्थल पर जाने का कार्यक्रम बनाएं। हां, योजना बनाते वक्त अपनी सेहत और बजट का ध्यान जरूर रखें।

सेहत पर फोकस करें

अधेड़ अवस्था में शरीर की कार्यप्रणाली एवं कई अंग तुलनात्मक रूप से कम सक्रिय हो जाते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होने लगती है। इसलिए इन दिनों आपको सुबह-शाम 45 मिनट से एक घंटे का समय अपनी फिजिकल व मेंटल फिटनेस के लिए रिजर्व रखना चाहिए। वाकिंग, जोगिंग, मेडिटेशन के साथ-साथ म्यूजिक सुनने व फल सब्जियों का सेवन करने, सादा भोजन लेने की आदत डालनी चाहिए।

रिश्तेदारों से बाँडिंग बढ़ाएं

आपके बहुत सारे मित्र और रिश्तेदार ऐसे होंगे जो आपको हमेशा कम मिलने जुलने या कम बातचीत करने का उलाहना देते होंगे। अब आपको अपने पड़ोसियों, मित्रों, पूर्व सहयोगियों, रिश्तेदारों से थोड़े-थोड़े अंतराल पर मिलने, उनसे फोन पर बात करने या सोशल मीडिया के माध्यम से जुड़े रहने की आदत डालनी चाहिए। इससे 3 फायदे हैं- पहला, परिचितों के साथ क्वालिटी टाइम बीतता है, दूसरा मूड अच्छा रहता है और तीसरा आपका सपोर्ट सिस्टम तैयार होता है जो मुसीबत में आपके काम आ सकता है।

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