“अब आप कितना काम करेंगे?”
“आराम कीजिए। क्या जिंदगी भर काम ही करते रहेंगे?”

शुभाश्री अपार्टमेंट
बरियातु
रांची, झारखंड
ऐसा कहने वाले आपको अनेक शुभचिंतक मिलेंगे, जब आप नौकरी से रिटायर होते हैं। आपका दिल भी कहता है कि अब ऑफिस जाना तो है नहीं, कोई निर्धारित दिनचर्या नहीं है। जब मर्जी वह सो सकता है, जग सकता है। अब करना ही क्या है, खाना-पीना, घूमना है। समय काटने के लिए तो सोचना ही नहीं है, हाथ में मोबाइल है ही!
कुछ लोग तो खुद भी सोचने लगते हैं, साठ-पैंसठ वर्ष के हो गये हैं, अब क्या करना है? वैसे लोगों को देखकर लगता है कि वे बस दिन काट रहे हैं और सचमुच वैसे व्यक्ति की सक्रियता कम हो जाती है। अगर उनके बाल-बच्चे साथ नहीं है, अपनी पढ़ाई या नौकरी के कारण दूर रहते हैं तो धीरे-धीरे वे अकेलेपन का शिकार होने लगते हैं। उनको जीवन निरर्थक लगने लगता है। वास्तव मे सेवा निवृति का मतलब नौकरी से रिटायर होना है, जिंदगी से नहीं।
मुंशी प्रेमचंद की बातें याद रखनी चाहिए-
“सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम जिंदगी है।“
वास्तव में सेवानिवृत्ति या रिटायरमेंट जीवन के एक नये द्वार खोलता है। व्यक्ति की वास्तविक जिंदगी शुरू होती है। यह वह समय है, उसे अपने बारे में सोचने का समय मिलता है। वह अपनी जिंदगी को अपने अनुसार जी सकता है। नौकरी के दौरान वैसे काम, वैसे शौक जो पूरा नहीं कर पाता था, अब उसे पूरा करने का समय आ गया है। ये काम जीवन को खुशियों से भर देते हैं। जीवन में स्फूर्ति आ जाती है।
यह वह समय होता है, जब आप कुछ अलग तरह के काम कर अपने को व्यस्त रख सकते हैं। एक नियमित दिनचर्या बनाकर सक्रिय और खुश रह सकते हैं। अगर आपके कुछ शौक हैं तो अच्छी बात है। ऐसे बहुत सारे काम हैं, अपनी रूचि के अनुसार कुछ भी शुरू कर सकते हैं, जैसे-
1. आप कुछ क्रिएटिव काम जिसमें आपकी रूचि हो कर सकते हैं, लिखना, ड्राइंग करना, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई इत्यादि।
2. घर में जगह हो तो छत पर या बालकनी में बागवानी कर सकते हैं। यह काम ऐसा है जो संतुष्टि के साथ शारीरिक सक्रियता को बढ़ाता है।
3. अपने समय का उपयोग किताबें और पत्र-पत्रिकाओं को पढ़ने में कर सकते हैं।
4. अगर आपकी रूचि खाना बनाने और खाने में है तो नयी-नयी रेसिपी आजमा सकते हैं।
5. नई-नई जगहों को देखने और घूमने जा सकते हैं।
6. पहले समय नहीं था, अब आप चाहें तो समाजसेवा कर सकते हैं। किसी अनाथ-आश्रम या वृद्ध-आश्रम में लोगों के साथ समय बिता सकते हैं।
कहने का अर्थ यही है कि नौकरी से रिटायर होने के बाद व्यक्ति केवल सोने-खाने और टेलीविजन, मोबाइल में समय न बिताकर अपने शौक को पूरा करें। यह वह समय होता है जब आप निश्चिंत होकर उन सभी चीजों को कर सकते हैं जो आपको आनंद देते हैं। वास्तव में सेवा निवृति–
जज्बे और जूनून के साथ जीने का समय है
देखा जो ख्वाब, पूरा करने का समय है
बेफ्रिक हो जीवन जीने का समय है।।
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