वरिष्ठ पर्यटन: बदलता दृष्टिकोण

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आप 60 वर्ष से अधिक के हैं, आपके साथ आपके जीवनसाथी, दोस्त या रिश्तेदार हैं, और आप कहीं घूमने की योजना बना रहे हैं, तो विश्वास रखिए आप बहुत ही खुशकिस्मत हैं। आपने एक बहुत अच्छा निर्णय लिया है और आप बहुत अच्छा अनुभव लेने वाले हैं। क्योंकि खुश होने के लिए, कुछ अच्छा और नया देखने एवं सीखने के लिए, उम्र की कोई सीमा नहीं होती है।  

वरिष्ठ पर्यटन क्या है?

      सामान्य अर्थों में वरिष्ठ पर्यटन का आशय एक ऐसी यात्रा से है जिसका प्रबंध एक विशेष आयु वर्ग की विशेष जरूरतों के अनुरूप किया जाए।

      साधारणतया 60 वर्ष या अधिक आयु वर्ग के लोगों को वरिष्ठ नागरिक माना जाता है। यह भारत में सरकारी मानदंड है। लेकिन पर्यटन उद्योग के लिए यह उम्र सीमा 55 से शुरू होती है। यानि 55 या अधिक उम्र के पर्यटक वरिष्ठ पर्यटक माने जाते हैं। वास्तव में 55- 65 आयु वर्ग के लोग सबसे उपयुक्त वरिष्ठ पर्यटक माने जाते हैं। किन्तु यह कोई कठोर सीमा नहीं है। कई लोग इसके बाद भी शारीरिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से इतने मजबूत होते हैं कि यात्रा करने के लिए सर्वथा सक्षम होते हैं। सामान्यतः अधिक आय वर्ग के लोग इस आयु में पर्यटन करते हैं।

      65-79 आयु वर्ग के लोग अगर स्वस्थ हों और उनकी आय या बचत इतनी हो तो वे भी पर्यटन कर सकते हैं। लेकिन 80 वर्ष या अधिक आयु वर्ग के वरिष्ठ लोग सामान्यतः शारीरिक रूप से कमजोर और बीमारियों के ठिकाना बन जाते हैं। इस कारण से ये लोग स्वयं भी यात्रा से परहेज करने लगते हैं। विशेष कर ये दूर की यात्रा नहीं करना चाहते हैं। पर्यटन उद्योग के लोग भी सामान्यतः उन्हें केंद्र में रख कर कोई योजना नहीं बनाते।

वरिष्ठ पर्यटन की विशेषताएँ

¨ वरिष्ठ पर्यटन जिस आयु वर्ग के लोगों को लक्ष्य कर योजना बनाता है उस आयुवर्ग की विशेषता यह होती है कि अपने रोजगार से और पारिवारिक जिम्मेदारियों से बहुत हद तक मुक्त होने के कारण इनके पास समय पर्याप्त होता है।

¨ लेकिन शारीरिक रूप से अधिक सक्षम नहीं होने के कारण मौसम की अनियमितता, यात्रा संबंधी थकान एवं तनाव आदि के प्रति ये अधिक संवेदनशील होते हैं। इसलिए उनकी यात्रा में उनके लिए आराम और सुरक्षा की विशेष जरूरत होती है।

¨ ये भावनात्मक रूप से भी बहुत संवेदनशील होते हैं। कई वरिष्ठ व्यक्ति तो उम्र बढ्ने के साथ-साथ बच्चों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। यात्रा व्यवस्थापक को उनकी भावनात्मक संवेदनशीलता के अनुरूप व्यवहार अपनाना होता है।

¨ इनके आय का एक निश्चित स्रोत होता है, जिसमें अधिक वृद्धि की गुंजाइश नहीं होती है। आय निश्चित होने के कारण एक निश्चित बजट की योजना बनाने में समर्थ होते हैं।

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¨ वरिष्ठ पर्यटक सामान्यतः आधुनिक तकनीकों से बहुत अधिक परिचित नहीं होते हैं।

वरिष्ठ पर्यटन में वृद्धि के कारण

      वर्तमान में यातायात एवं सूचना के साधनों के बढ़ने से पर्यटन पहले की अपेक्षा आसान हो गया है।

      अब घूमने के लिए विकल्प भी अधिक हो गए हैं। भारत में धार्मिक पर्यटन की पुरानी परंपरा रही है। अब थीम आधारित पर्यटन, प्रकृतिक पर्यटन इत्यादि विभिन्न विकल्प पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं।

      लोगों के पास आर्थिक और अन्य साधन बढ़े हैं। इसलिए वरिष्ठ पर्यटन तेजी से बढ़ते व्यवसायों में से एक हो गया है।

      वरिष्ठ पर्यटन बढ़ने का एक कारण बदलता दृष्टिकोण भी है। बच्चों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा लेने के बाद अगर पैसे और समय बचता है तो कई लोग फिर से अपनी ज़िंदगी जीना चाहते हैं। इस समय तक उनके बच्चे अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो जाते हैं। उनके लिए इससे अच्छा समय और क्या होगा अपने लिए जीने का?

      वर्तमान समय में वरिष्ठ लोगों की एक बड़ी समस्या अकेलेपन का है। संयुक्त परिवार परंपरा लुप्त होने के कगार पर है। उनके युवा बच्चे अपने रोजगार और परिवार को संभालने में इतने व्यस्त रहते हैं कि उनके पास माता-पिता या दादा-दादी के लिए समय बहुत कम बच जाता है। उनकी विवशता अपनी जगह पर सही भी है। ऐसे में घर के वरिष्ठ सदस्य अकेले और अलग-थलग से महसूस करने लगते हैं। उनके रिश्तेदार और सहकर्मी भी कम होने लगते हैं। उनमें अपनी अनुपयोगिता और उपेक्षा का भाव आता है। चाहे-अनचाहे उनमें एक निराशा और नकारात्मकता आने लगती है। ऐसे में पर्यटन से उनमें एक नई स्फूर्ति और उत्साह का संचार होता है। उन जगहों की यादें, उनकी फोटो और वीडियो घर लौटने पर भी उनके इस भाव को बनाए रखते हैं।

      वरिष्ठ पर्यटन का आशय यह नहीं कि घर से कहीं बहुत दूर ही जाया जाय। कई बार हम जीवन के आपाधापी में अपने आसपास की खूबसूरत चीजों को भी नहीं देख पाते। मेरे आसपास कई ऐसे लोग हैं जो वर्षों से किसी शहर में रहते हैं और नौकरी करते हैं। लेकिन वे कभी एक पर्यटक की नजर से पूरा शहर नहीं घूमे हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जब लोग वर्षों से रहते हुए भी अपने आसपास के स्थानों और चीजों को नहीं देख पाते। 60 के बाद का उम्र इन स्थानों और चीजों के फुर्सत से देखने और समझने की उम्र है।

    यही कारण है कि आज वरिष्ठ पर्यटन या सीनियर टूरिज़म सबसे अधिक वृद्धि दर वाला व्यवसाय बन गया है। यह वृद्धि वैश्विक स्तर पर देखा जा रहा है। अब पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग वरिष्ठ पर्यटन के लिए अलग से पैकेज देने लगे हैं। 

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वरिष्ठ पर्यटन के लिए चुनौतियाँ

      वरिष्ठ पर्यटन में सबसे महत्त्वपूर्ण विषय होता हैं वरिष्ठ पर्यटकों को चिकित्सीय सहायता पहुंचाना और उनकी सुरक्षा का ध्यान रखना। अलझाइमर जैसे कई मानसिक बीमारियों में शुरू में यद्यपि मरीज सामान्य दिखता है। लेकिन वह कभी-कभी भूलने लगता है। इस बात का पता घर वालों को या स्वयं मरीज को देर से चलता है। ऐसे मरीजों को बाहर अकेले जाने में उनके रास्ता या पता भूलने का खतरा होता है। इसलिए स्थायी पता एवं जहाँ रुकें हो उसका पता एवं किसी करीबी व्यक्ति का मोबाइल नंबर लिखित रूप से तथा  कुछ पैसे हमेशा उनके पास होना चाहिए। साथ ही एक व्यक्ति हमेशा उनके साथ रहे, यह व्यवस्था होनी चाहिए।

      बहुत सारे वरिष्ठ लोगों को घुटने, जोड़ों इत्यादि की समस्या होती है। इसलिए इनके ठहरने के कमरे में उनके अनुरूप कमोड, बेड, उनके बाथरूम में फिसलन-रोधी फर्श इत्यादि होना चाहिए।

      वरिष्ठ पर्यटन के व्यवस्थापक को इन सभी व्यवस्थाओं का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही उनके स्वास्थ्य और डॉक्टर की सलाह के अनुरूप भोजन और दवा आदि की व्यवस्था भी होनी आवश्यक है।

कुछ रोचक तथ्य

      पर्यटन उद्योग से जुड़े अध्ययनों में वरिष्ठ पर्यटन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों का पता चलता है।

Þ विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार वैश्विक रूप से कुल पर्यटकों में से प्रतिवर्ष 593 मिलियन लोग 60 वर्ष या अधिक उम्र के होते हैं। अध्ययनों के अनुसार वरिष्ठ लोगों की संख्या 2050 तक कुल वैश्विक आबादी की लगभग एक-चौथाई हो जाएगी। उस वर्ष कुल पर्यटकों में वरिष्ठ आबादी का भाग दो बिलियन ट्रिप तक पहुँचने का अनुमान है।

Þ ब्रिटेन में कुल पर्यटन व्यय का लगभग 60% हिस्सा 50 या अधिक आयु वर्ग से आता है।

Þ अधिक समय उपलब्ध होने के कारण वरिष्ठ लोग समान्यतः अधिक लम्बी यात्रा (ट्रिप)- आठ सप्ताह तक का, करते हैं।

Þ 1946-1964 के बीच पैदा हुए लोग औसतन वर्ष में 4-5 यात्रा करते हैं। उनमें बिना किसी परेशानी के यात्रा करने की संभावना सबसे अधिक होती है।

Þ अधिक समय उपलब्ध होने के कारण वरिष्ठ लोग यात्रा का अधिक आनंद लेते हैं। प्रकृतिक दृश्यों को देखकर वे अधिक सार्थक एवं अधिक गहन अनुभव करते हैं। इतना ही नहीं कई वरिष्ठ लोग ऐसे होते हैं जो पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, कैनोइंग, स्कूबा डाइविन्ग और स्कीइंग जैसे तथाकथित शारीरिक सक्षमता वाले रोमांचक खेलों और गतिविधियों में भी रुचि दिखाते हैं। अध्ययन बताते हैं कि वरिष्ठ लोग अपनी शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक कल्याण के लिए अधिक जागरूक होते हैं। इसलिए वे आराम से पर्यटन गतिविधियों का आनंद लेते हुए नए कौशल सीखने, नए गतिविधियों में भाग लेने और नए लोगों से बातचीत करने में रुचि दिखाते हैं।

Þ पर्यटन उद्योग से जुड़े अध्ययन बताते हैं कि वे अपेक्षाकृत अधिक भुगतान करके भी ऐसा पैकेज लेना चाहते हैं जिसमें पर्यटन संबंधी उनकी सारी जरूरते पूरी हो सके, साथ ही अन्य वरिष्ठ यात्रियों से मिलने जुलने का मौका मिल सके।

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Þ 38% वरिष्ठ पर्यटक किसी-न-किसी प्रकार की शारीरिक अक्षमता के कारण अपनी सुरक्षा और स्वस्थ्य सुविधाओं के लिए अधिक चिंतित होते हैं।

Þ जर्नल ऑफ हॉस्पिटल मार्केटिंग एण्ड मैनेजमेंट के एक अध्ययन के अनुसार वरिष्ठ पर्यटकों में सबसे लोकप्रिय गतिविधियाँ क्रमशः हैं: ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों का दर्शन (88.1%), रेस्टोरेन्ट में भोजन (85.7%) और खरीददारी करना (77.4%)। शिकार, मछ्ली पकड़ना, पानी के खेल, धूप स्नान, कैंपिंग तथा  लंबी पैदल यात्रा कम लोकप्रिय हैं (आंकड़े: checkfront.com से साभार)।

Þ सिल्वर ट्रैवल एड्वाइजर द्वारा हाल में ही किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 77% वरिष्ठ यात्री कोविड के लिए टीकाकरण के छह महीने के अंदर बुकिंग और यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। उसी सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से 46% का कहना था कि मिलने वाले अवसरों का यथासंभव लाभ उठा कर वे यात्रा करना पसंद करते हैं।

Þ स्किफ्ट के आंकलन के अनुसार 2021 में वरिष्ठ यात्रियों की बुकिंग में तीव्र वृद्धि हुई है।

      लेकिन ये सभी आँकड़े पश्चिमी देशों के अध्ययन पर आधारित हैं। भारत में इस विषय पर यद्यपि अधिक अध्ययन नहीं हुए हैं। पर यह तो स्पष्ट है कि यहाँ भी यही रुझान है।

      पर यहाँ यात्रा की प्रकृति में अंतर है। यहाँ वरिष्ठ यात्रियों को हम दो वर्गों में रख सकते हैं। पहला, तीर्थयात्री। हमारे देश में तीर्थ यात्रा और धार्मिक यात्रा की एक परंपरा रही है। अधिकांश हिन्दू मरने से पहले एक बार चार धाम की यात्रा और गंगा स्नान करना चाहते हैं। सभी सिक्ख अमृतसर स्वर्ण मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं। सभी मुस्लिम मक्का की यात्रा कर अपना जीवन सफल बनाना चाहते हैं। ब्रज परिक्रमा, नंदादेवी यात्रा आदि जैसी धार्मिक आस्था वाली यात्राएँ देश के लगभग प्रत्येक भाग में प्रचलित हैं।

      धार्मिक यात्राओं में आस्था मूल तत्त्व होता है। इसलिए रास्ते और ठहरने आदि के तकलीफ भी लोग आराम से झेल लेते हैं। आज भी धार्मिक पर्यटन इस उद्योग का एक प्रमुख हिस्सा है।

      लेकिन अब वरिष्ठ लोगों में धार्मिक यात्रा के अतिरिक्त मनोरंजन या रोमांच के लिए यात्राओं की प्रवृति भी बढ़ रही है। युवा हॉस्टल एसोशिएशन रोमांचक यात्रा करने वालों की एक अंतराष्ट्रीय संस्था है। भारत में इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। राज्य स्तर पर भी इसकी शाखाएँ हैं। यह संस्था अनेक पहाड़ों के लिए रोमांचक यात्राओं का आयोजन करती है। यह नाम से भले ही युवा है लेकिन सभी आयु वर्ग के लोग इसकी यात्राओं में शामिल हो सकते हैं। इसकी कई यात्राओं में सेवानिवृत वरिष्ठ लोगों की संख्या युवा लोगों से अधिक हो जाती है।

      ये सभी उदाहरण यह बताते हैं कि वरिष्ठ जनसंख्या का दृष्टिकोण बदल रहा है। यही कारण है कि यहाँ भी पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग वरिष्ठ पर्यटकों के लिए विशेष पैकेज लाने लगे हैं।  

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