60 के बाद की उम्र

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नहीं जरूरत बुजुर्गों की 

हर बच्चा बुद्धिमान बहुत हैl

उजड़ गए सब बाग  बच्चे बगीचे, दो गमले में शान बहुत हैl

देवराज अग्रवाल
अधिवक्ता
विवेकानंदपुरी, दिल्ली 

60 की उम्र के बाद के लिए तैयारी विषय जितना सुंदर हैं उतना गंभीर भी है। प्रथम प्रश्न यह है कि 60 या उससे अधिक जीवन अवधि जीने की कितने प्रतिशत संभावना है खासकर महानगरों में वर्तमान स्थिति को देखते हुए जहां के मिलावटी खानपान एवं प्रदूषण की वजह से छोटी-छोटी उम्र में भयंकर बीमारियां एवं हार्ट अटैक जैसी समस्या आ रही है।

चलो सामाजिक समस्या से हट कर पॉजिटिव विचारधारा रखते हुए विषय पर वापसी आते हैं। मैं अपने स्वयं की बात करता हूं तो मेरी 60 वर्ष के बाद की तैयारी से ज्यादा पूर्व की तैयारी पर अधिक ध्यान है क्योंकि 60 के बाद तो व्यक्ति दूसरे पर निर्भर हो रहा है तो स्वयं क्या ही करेगा।

जहां तक पूर्व समय की बात करे तब 60 से अधिक आयु के व्यक्ति अपने अनुभव से परिवार और समाज का मार्गदर्शन करते थे, किंतु आज किसी को अनुभव के लिए बुजुर्गों की आवश्यकता नहीं है। आजकल ऑनलाइन खूब सारा ज्ञान और अनुभव भरा पड़ा है।

अतः मेरा विश्वास है कि मैं स्वयं की बात करूं तो मुझे 60 वर्ष की उम्र तक एक ऐसा मार्ग जरूर प्रशस्त कर देना चाहिए जिस पर आने वाली पीढ़ी या समाज चल सके। तभी स्वयं का जीवन सार्थक हो सकता है और आने वाली पीढ़ी की यादों में समाया जा सकता है। आज जो तमाम मंदिर, धर्मशाला, वन क्षेत्र, नदियां, वैज्ञानिक शोध, स्कूल, कॉलेज, गौशाला, बारात घर, अस्पताल, धार्मिक ग्रंथ, सत साहित्य इत्यादि रुप में जिन महान विभूतियों ने मार्ग स्थापित कर दिया वह आज उनकी स्वयं की पीढ़ी के साथ साथ समाज को भी राह दिखा रहा है। उन्हें आज किसी न किसी रूप में स्मरण किया जा रहा है।

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एक दूसरा पक्ष यह भी हो सकता है कि मैने जीवन में बहुत काम कर लिया और अब चैन की नींद और खूब घूमना फिरना करूंगा। यह सोच भी सही है किंतु मैं व्यक्तिगत रूप से इसका समर्थन नहीं करता।

अतः मेरा यही मानना है कि 60 वर्ष की आयु आते आते कोई ना कोई ऐसा सेवा रूपी वृक्ष लगाया जाए जिससे स्वयं को और आने वाले पीढियों और समाज छाया और मार्गदर्शन प्राप्त हो क्योंकि यह निर्विवाद सत्य है की।

“आया है जो जाएगा राजा रंग फकीर एक सिंहासन चढ़ चला एक बंधा जंजीर।”

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