स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन कहा गया है क्योंकि धन कमाने और उसका उपयोग करने के लिए स्वस्थ रहना आवश्यक है। धन ही नहीं धर्म भी स्वस्थ शरीर के बिना नहीं हो सकता है। इसीलिए तो महाकवि कालीदास ने ‘कुमारसम्भव’ में कहा है “शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्” अर्थात शरीर ही धर्म का पहला और उत्तम साधन है। लेकिन यह कटु सत्य है कि हम सबसे पहले अपने स्वास्थ्य की ही उपेक्षा करते हैं। कम-से-कम तब तक जो जरूर करते हैं जब तक स्वस्थ होते हैं। बीमारी होने के बाद डॉक्टर के पास जाना और उनके बताए हुए दवा और परहेज तो हम मजबूरी में कर लेते हैं। लेकिन अपनी दिनचर्या में से अपने लिए समय नहीं निकाल पाते। क्यों न हम अपने लिए 30 मिनट निकाले “30 मिनट्स फॉर मी”। इस 30 मिनट में से 15 मिनट अपनी शारीरिक स्वास्थ्य के लिए रखें “15 मिनट्स फॉर फिटनेस।”
कई लोगों को लगता है कि 15 मिनट के वर्क आउट से उनपर क्या असर होगा! उन्हें उन स्टडी की रिपोर्ट देखनी चाहिए जो इस संबंध में हुए हैं। ज़्यादातर रिपोर्ट इस बात से सहमत हैं कि अधिक समय तक कम इंटेन्स के साथ किए गए वर्क आउट/एक्सरसाइज़ से ज्यादा प्रभावी वे वर्क आउट/एक्सरसाइज़ होते हैं जो सही तरीके से कम समय लगा कर लेकिन नियमित रूप से किए जाए। आप 45 मिनट तक सैर करें लेकिन आपकी गति इतनी कम हो कि न तो आपके फेफड़ों पर, न ही हृदय पर कोई प्रभाव पड़े, और वह भी कभी करें और कभी समय नहीं मिले तो नहीं करें, तो इससे अधिक प्रभावी 15 मिनट का वह सैर होगा जिसमें आपके हृदय और फेफड़े अधिक सक्रिय हों। एक पहलू यह भी है कि जोश में आकर अधिक देर करने की सोचें लेकिन व्यावहारिक रूप से ऐसा नहीं कर पाएँ तो इससे धीरे-धीरे उत्साह कम हो जाता है। इसलिए इससे अच्छा यह होगा कि समय भले ही कम हो, लेकिन इतना नियमित हो कि यह आपके डेली रूटीन का ऐसे हिस्सा बन जाए कि अगर हम अपना वर्क आउट/एक्सरसाइज़ नहीं कर पाएँ तो कुछ अधूरा-अधूरा सा लगे। कहते हैं न कुछ नहीं से कुछ भला। इसलिए समय मिलने का इंतजार नहीं कीजिए, बस अपने फ़िटनेस के लिए प्रयास शुरू कर दीजिए।
फ़िटनेस के संबंध में दूसरी सबसे जरूरी बात यह है कि प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की अपनी विशेष क्षमता और जरूरतें होतीं हैं। अपना फ़िटनेस शेड्यूल भी इसी के अनुरूप बनाएँ। आजकल ज़्यादातर लोग फिटनेस का आशय दुबले होने से लगाते हैं। उनका सारा ध्यान शरीर को पतला करने पर ही होता है। लेकिन यह बात नहीं है, फिटनेस का अर्थ है सम्पूर्ण स्वास्थ्य। अगर आपको कोई बीमारी है, डॉक्टर ने कोई परहेज बोला है, तो उसका ख्याल जरूर रखें।

अपनी क्षमता, जरूरत, अभिरुचि और अपने समय को ध्यान में रखते हुए अपने लिए ऐसा फ़िटनेस रूटीन बनाएँ जिसे आप पूरा कर सकें। इस रूटीन में इन बातों को शामिल करें:
Þ आप किस तरह के फ़िटनेस रूटीन को अपनाने वाले हैं, उदाहरण के लिए; योग, जिम, घर में ही एक्सरसाइज़, जुम्बा, एरोबिक्स, या फिर सैर, इत्यादि?
Þ इसके लिए आप किस स्थान को चुनेंगे, घर, छत, आसपास के खाली स्थान, पार्क या जिम?
Þ अगर आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, या डॉक्टर ने आपको कुछ मना किया है, तो उसे नहीं करेंगे। उदाहरण के लिए आपको घुटनों की या स्पाइन की समस्या हो, हृदय, सांस या कोई अन्य समस्या हो, तो अपनी क्षमता के अनुसार ही अपने एक्सरसाइज़ चुने। अगर स्वास्थ्य समस्याएँ हैं, तो भी आप एक्सरसाइज़ जरूर करें भले ही समस्या के अनुरूप उसमें थोड़े बहुत परिवर्तन कर लें, लेकिन इसे छोड़े नहीं क्योंकि इससे समस्या और बढ़ेगी।
Þ अगर डॉक्टर ने कुछ विशेष एक्सरसाइज़ बताया है तो उसे भी जरूर शामिल करें।
Þ अपने एक्सरसाइज़ प्लान के अनुरूप योगा मैट, आरामदायक जूते, कपड़े आदि ले लें।
Þ शुरुआत कम से करें। घड़ी साथ रखें। अपना रिव्यू करते हुए धीरे-धीरे बढ़ाएँ। उदाहरण के लिए, अगर आप 15 मिनट या 10 मिनट तक सैर करते हैं। लगातार दो या तीन सप्ताह तक करने के बाद अब आपको उतनी दूर चलने में उतनी थकान नहीं होती, जितनी शुरू में होती थी। तब भी आप अपने सैर का समय या दूरी नहीं बढ़ाए बल्कि गति बढ़ा दें। मान लीजिए आप पहले सप्ताह में 10 मिनट में 500 मीटर चलते हैं। अब उसी 500 मीटर को 8 मिनट में तय करने का प्रयास कीजिए न कि 10 मिनट में 700 मिनट चलने का।
Þ सैर, तैराकी आदि जैसे एक्सरसाइज़ तो प्रतिदिन किए जा सकते हैं। लेकिन अगर आप कार्डिक, पुश अप, प्लैंक आदि जैसे एक्सरसाइज़ करते हैं तो उसके लिए भी एक रूटीन बना लीजिए ताकि एक ही अंग को लक्ष्य कर के किए गए एक्सरसाइज़ के बाद अगले दिन उसे आराम मिल जाए और आप दूसरे अंग का एक्सरसाइज़ करें। आज अगर कार्डिक किया है तो कल मांसपेशियों को मजबूत करने वाला एक्सरसाइज़ करें।
Þ एक्सरसाइज़ के बीच में थोड़ी-थोड़ी देर पर पानी जरूर पिएँ।
Þ संतुलित आहार के बिना एक्सरसाइज़ अधिक कारगर नहीं हो सकता है।
Þ अगर 15 मिनट या 30 मिनट एक्सरसाइज़ कर लें और दिन भर कोई शारीरिक गतिविधि न करें तो भी परिणाम बहुत अनुकूल नहीं रहेगा। एक्सरसाइज़ नियमित रखते हुए अन्य समय भी प्रयास करें शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का। छोटी दूरी के लिए पैदल चलना, एक-दो मंजिल पैदल चढ़ना, घर के छोटे-मोटे काम स्वयं करना, अगर लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करना हो तो बीच-बीच में गर्दन और आँखों को आराम देना, लंबे समय के लिए बैठना हो तो बीच-बीच में टहल लेना, इत्यादि ऐसे प्रयास हो सकते हैं।
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