63 वर्षीया पुष्पा जी कई अन्य वरिष्ठ नागरिकों के एक समूह के साथ हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए गईं। साथ में कुछ युवा भी थे। वे सब शाम के समय पहुँचे जब वहाँ गंगा आरती का समय हो रहा था। इस समय स्नान करने के लिए माइक से बार-बार मना किया जा रहा था। मुख्य घाट आरती देखने वाले लोगों से भरा हुआ था। इसलिए यह समूह निर्धारित घाट, जहाँ स्नान करने वालों के लिए सुरक्षा की व्यवस्था थी, से कुछ दूर हट कर स्नान करने लगा।
वहाँ पानी का बहाव बहुत तेज था। समूह में से बहुत से लोगों को तैरने आता था। इसलिए वे सभी बिना किसी डर के स्नान करने चले गएँ। पुष्पा जी जैसे ही पानी में उतरी उनकी कानों में पानी चला गया और उन्हें चक्कर आ गया। ये तो अच्छा हुआ कि किसी ने उन्हें देख लिया और बाहर निकाल लिया। बहुत हिम्मत कर पुष्पा जी होटल आई। लेकिन उनकी तबीयत खराब होने लगी।
अब उन्होने बताया कि उनके कान का ऑपरेशन हुआ था और डॉक्टर ने उन्हें पानी में घुस का नहाने के लिए मना किया था। नहाते समय कान पर लगाने के लिए कैप दिया था ताकि पानी कान में न घुस जाय। हरिद्वार आते समय वह उसे लाना भूल गईं। अगर वह इसे बता देतीं तो लोग उन्हें गंगा नदी में प्रवेश कर स्नान नहीं देते। इसीलिए उन्होने किसी को बताया नहीं था।
दूसरा, उदाहरण है निर्मला देवी का। 76 वर्षीया निर्मला देवी भी वरिष्ठ लोगों के एक टीम के साथ द्वारकाधीश का दर्शन करने द्वारका, गुजरात गईं थीं। सभी एक होटल में रुके थे जो द्वारकाधीश मंदिर के पास ही था। टीम के साथ निर्मला देवी भी कई बार द्वारकाधीश मंदिर और आसपास के मंदिरों एवं स्नान घाटों पर जाती थीं।
जन्माष्टमी के दिन मंदिर परिसर में अधिक भीड़ होने के कारण सुरक्षाकर्मी कुछ-कुछ देर के बाद मंदिर में प्रवेश को रोक दे रहे थे। ऐसे में निर्मला देवी दर्शन कर के पहले निकल आयीं लेकिन उनके टीम के बाकी सदस्य मंदिर परिसर में ही थे। निर्मला देवी अपने को अकेला पाकर घबड़ा गईं। मोबाइल और चप्पल काउंटर पर जमा थे, जिसका टोकन उनके पास नहीं था। कई बार होटल आ-जा चुकीं थीं। इसलिए वे होटल के लिए अकेले निकल गईं।
लेकिन गलती से उन्होने दूसरा रास्ता ले लिया। बहुत देर चलने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि वह कहीं खो गई है। उन्हें अपने होटल का नाम या पता ठीक से याद नहीं था। यह तो गनीमत हुई कि किसी पुलिस वाले ने उनकी मदद की और उन्हें सही-सलामत होटल तक पहुँचा दिया।
वरिष्ठ पर्यटन आज तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बन गया है। अब वरिष्ठ केवल धार्मिक पर्यटन पर ही नहीं बल्कि अन्य प्रकार के पर्यटन पर भी जाने लगे हैं। लेकिन ऊपर के उदाहरण से स्पष्ट है कि कई बार यह यात्रा समस्याओं वाली भी हो सकती है। इसलिए अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें तो यात्रा को सुखद यादों से भरी हुई बनाया जा सकता है।
Þ जहाँ जा रहे हों, वहाँ के मौसम की जानकारी ले लें और मौसम एवं परिस्थिति के अनुरूप पोशाक इत्यादि रखें। जैसे अगर स्नान करना हो या भींगना हो तो गहरे रंग के सिंथेटिक कपड़े बेहतर होंगे। पहाड़ी स्थान पर जाना हो तो गर्म कपड़े, जूते, रेनकोट, बर्फ का रेफ़्लेक्सन रोकने वाला चश्मा आदि आवश्यकतानुसार रखा जा सकता। कुछ जगहों पर ये चीजें रेंट पर भी मिल जाती हैं।
Þ यात्रा में सामान कम-से-कम रखें।
Þ जहाँ रुकें वहाँ का पता और कुछ रुपए अपने साथ हमेशा रखें। पता और आसपास का कोई लैंडमार्क जरूर याद रखें। अगर आप परिवार या दोस्तों के साथ हो तो समूह के प्रत्येक सदस्य के पास ये होना चाहिए, विशेष कर बच्चों और बुजुर्गों के पास।
Þ अगर आप कोई दवा लें रहें हो या किसी विशेष दवा की जरूरत आपको पड़ती हो तो उसे जरूर साथ रख लें। कुछ लोगों को गाड़ियों में या ऊंचाई पर चक्कर आने या उल्टी आने की समस्या होती है। इन सबके लिए दवा हमेशा अपने पास रखें। स्वास्थ्य संबंधी स्थिति यात्रा प्रबन्धक को जरूर बताएँ ताकि वह आवश्यकता होने पर आवश्यक इंतजाम कर सके।
Þ कहीं भी घूमें-फिरे लेकिन अपने स्वास्थ्य का जरूर ख्याल रखें। अगर डॉक्टर ने कोई हिदायत दी हो तो उसे भूल से भी न भूलें क्योंकि एक छोटी सी लापरवाही बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है।
Þ अगर वहाँ आप कुछ खरीददारी करते हैं तो याद रखें इस समय आप यात्रा में हैं और इसे लेकर आपको घर जाना है। इसलिए समान के वजन, सुरक्षा और अपने बजट का जरूर ख्याल रखें क्योंकि घर से बाहर होने पर कई बार अचानक से अननुमानित खर्चे आ जाते हैं।
Þ रुकने का स्थान ऐसा रखें जहाँ से घूमने के सभी स्थान पास पड़े और यातायात के साधन सही से मिलते हों।
Þ अगर संभव हो तो वह वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या सुविधाएँ उपलब्ध है, इसका पता पहले से कर लें। अगर रजिस्ट्रेशन आदि औपचारिकताएँ हों, तो यथासंभव उसे पहले ही करवा लें। ये कार्य अगर संभव हो तो ऑनलाइन भी करे लें।
Þ अपने और अपने सामान की सुरक्षा के लिए चौकस रहें। समय रहते रुकने के स्थान पर पहुँच जाएँ। क्योंकि नए स्थान पर रास्तों आदि का पता नहीं होता है। आवश्यकता पड़ने पर गूगल या स्थानीय लोगों से मदद लें सकते हैं।
कहते हैं न सावधानी हटी, दुर्घटना घटी। थोड़ी सतर्कता रखते हुए अगर आप पर्यटन के लिए कहीं निकलते हैं तो यकीन मानिए आप अपनी यादों के खजाने में कुछ और बेहतरीन पल सजाएँगे।
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