आज़ादी के परवानों को, याद हमेशा करना।

ग्राम-पदरा, हंगलोह,
तहसील-पालमपुर,
ज़िला- कांगड़ा,
हिमाचल प्रदेश
स्वर्ग में बैठे उन वीरों को ठेस लगेगी वरना।।
लड़ी लड़ाई आज़ादी की, फूले नहीं समाए हैं।
ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं।।
लाठी गोली बम धमाके,
रूखी सूखी फाकम फाके,
जान की बाज़ी लगा गए वो,
थे वीर पूत वे इस धरा के,
अंग्रेजों के शोषण से वे अधिकाधिक सताए हैं।
तोड़ गुलामी की ज़ंजीरें, मन ही मन हर्षाये हैं।।
रोक सके न आँधी तूफ़ां,
उनके बढ़ते चरणों को,
जहां धरा पग, वन्दन करके,
नमन करो उन चरणों को,
शीश झुकाओ उन माँओ को ऐसे जिनके जाय हैं।
ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं।।
ज़ोर ज़ुल्म से हार न मानी,
अर्पण कर दी भरी जवानी,
जग में उनका कोई न सानी,
भूल न जाना तुम कुर्बानी,
सुंदर सपने उनके अब क्यों, हमने दिए भुलाए हैं।
ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं।।
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