मास्क ऑफ स्माइल- डिप्रेशन का एक रूप

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मास्क ऑफ स्माइल क्या है?

लेखिका- वामिका शर्मा, छात्रा, विधि स्नातक, अंतिम वर्ष,  दिल्ली

एक मुस्कान एक हजार आँसू छिपा सकती हैं— यह तो कहावत है।

      मगर यही छिपे हुए आँसू कहीं किसी बड़ी मुसीबत को न्योता तो नहीं दे रहे? बहुत से लोग अपनी हंसी के पीछे अपने दुख और चिंता छिपा लेते है। आपका सामना कितने ही ऐसे लोगों से होता है, जो खुश दिखते जरूर हैं, मगर अंदर से खुश होते नहीं है। आप सोच रहे होंगे कोई डिप्रेशन में खुश कैसे रह सकता है। कुछ लोगों में हँसी के पीछे भी डिप्रेशन (अवसाद) हो सकता है। डिप्रेशन (अवसाद) का कोई चेहरा या अभिव्यक्ति नहीं है। डिप्रेशन में व्यक्ति दुखी दिखे, ये जरूरी नहीं है।

      बीते दिनों कुछ मामलों ने हमें बहुत बड़ा सबक दिया है कि डिप्रेशन की पहचान करना इतना आसान नहीं है। कभी-कभार मन उदास होना (Low Feel करना) या मूड अच्छा ना होना एक सामान्य बात है। लेकिन जब ऐसा बहुत समय तक रहे और आप चाह कर भी इससे उबर नहीं पाते, तो यह डिप्रेशन हो सकता है। जीवन में कोई उम्मीद नहीं दिखती है। ऐसे में ना दोस्त अच्छे लगते हैं और ना ही किसी और काम में मन लगता है। सकारात्मक (Positive) बातें भी नकारात्मक (Negative) लगती हैं।

      डिप्रेशन धीरे-धीरे व्यक्ति के जीवन को उस बिंदु पर ले जाता है जहाँ वह भूल जाता है कि यह सब कैसे शुरू हुआ था। यानि वह डिप्रेशन या उदासी का कारण नहीं जानता है। बस उदास रहता है। इस डिप्रेशन में व्यक्ति अन्दर से तो उदास और निराश होता है पर बाहर से खुश होने का दिखावा करता है। जिसे “मुस्कुराता हुआ अवसाद” (Smiling Depression) कहा जाता है।

      “स्माइलिंग डिप्रेशन” कोई टेक्निकल शब्द नहीं है। इस स्थिति को मनोवैज्ञानिक “अलाक्षणिक डिप्रेशन” (Atypical Depression) कहते है। यह “Statistical Manual of Mental Disorders” (DSM-5) में सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन इसे “असत्यापित लक्षणों” (Non-Conforming Symptoms) के साथ “Major Depressive Disorder” (MDD) माना जाता है। ये डिप्रेशन का ही एक रूप है।

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            स्माइलिंग डिप्रेशन की स्थिति को सामान्य डिप्रेशन से अधिक खतरनाक माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है दुनिया भर में लगभग 264 मिलियन से अधिक लोगों में डिप्रेशन है।

      ऐसा कई बार होता है लोग छोटे-मोटे दुःख, या बीते बुरे दिन को भी डिप्रेशन का नाम दे देते हैं। जो बिलकुल भी ठीक बात नहीं है।

      डिप्रेशन सामान्य उदासी से बहुत अलग है। स्माइलिंग डिप्रेशन से पीड़ित लोगों की पहचान करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उन लोगों को ऐसा लगता है कि उनके पास दुखी होने का कोई कारण नहीं है- उनके पास नौकरी, एक अपार्टमेंट और शायद बच्चे या साथी भी हैं। वे मुस्कुराते हैं। वे अभिवादन (नमस्कार/हेलो आदि) का प्रत्युत्तर भी अच्छे से देते हैं और खुशनुमा तरीके से बातचीत करते है।

      संक्षेप में वे सामान्य रूप से सामान्य और सक्रिय जीवन जीते हुए, अन्य लोगों को दिखाने के लिए अपने चेहरे पर झूठी मुस्कुराहट का एक आवरण (mask) लगा लेते हैं।

      कोरोना के इस दौर में जहाँ हमने पिछले कुछ महीनों से आवरण (मास्क) लगाना शुरू किया है वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो ना जाने कितने सालों से मास्क लगाये घूम रहे है। जी हाँ वह मास्क है स्माइलिंग मास्क। इस मास्क के अंदर वे अपना डिप्रेशन, अपने दुख, उदासी, आँसू आदि बखूबी छिपा लेते है। जहाँ हम कुछ देर बाद मास्क से परेशान हो जाते हैं। वहीं ये लोग इस परेशानी और चिढ़ (frustration) को मुस्कुराहट के साथ झेलते है। हालाँकि अंदर से वे निराश और उदास होते हैं, और कभी-कभी यह सब खत्म करने के बारे में भी विचार करते हैं।

      लोग कई कारणों से मुस्कान के पीछे अपने डिप्रेशन को छिपाने की कोशिश करते हैं:

  • Þ वे चिंता करते हैं कि दूसरे लोग उनके बारे क्या सोचेंगे;
  • Þ वे दूसरों पर बोझ नहीं बनना चाहते;
  • Þ उन्हें नौकरी छूटने का डर होता है;
  • Þ उन्हें लगता है कि अगर वे खुश रहने का नाटक करेंगे तो डिप्रेशन चला जाएगा;
  • Þ वे महसूस नहीं करना चाहते कि वे उदास हैं;
  • Þ वे नहीं जानते कि मदद कैसे ली जाए या मदद लेना नहीं चाहते।
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      डिप्रेशन के कई अलग-अलग रूप हैं। एक मुस्कुराहट के पीछे डिप्रेशन को छिपाने का इनमे से कोई एक मकसद हो सकता है।

डिप्रेशन के लक्षण

      जैसा कि पहले कहा गया है इसके लक्षणों को पहचानना कठिन है, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण हैं जो संकेत दे सकते हैं कि कोई व्‍यक्ति स्माइलिंग डिप्रेशन का शिकार हो रहा है:

  • 1. डिप्रेशन में सबसे पहले नींद बहुत अनियमित हो जाती है। या तो नींद नहीं आती (Insomnia)     या बहुत अधिक  (Hypersomnia) आती है।
  • 2. किसी भी काम में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते। जो काम करने में पहले मज़ा आता था या आसान लगता था, अब उस काम में मन नहीं लगता या करने में मुश्किल लगने लगता है।
  • 3. हर समय उदास, असहय और निराश अनुभव करते हैं। 
  • 4. पाचन क्रिया अनियमित हो जाना, मुँह का सूखना, महिलाओं में मासिक चक्र का अनियमित हो जाना, साँस लेने में परेशानी, सिर, छाती, कन्धों, जोड़ों, पैरों में बार-बार दर्द होना, इत्यादि इसके शारीरिक लक्षण है।
  • 5. खुद को दोषी समझना, अकेले रहना, कोशिश करके भी नकारात्मक विचारों को नियंत्रित नहीं कर पाना इत्यादि इसके मानसिक लक्षण होते हैं।
  • 6. भूख का ना लगना या फिर बहुत अधिक लगना, जिसकी वजह से वजन में एकाएक कमी आना या वजन का बढ़ना।
  • 7. हाथों को मोड़ना, अंगुलियाँ चटकाना, छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ जाना या आक्रामक हो जाना, अधिक क्रोध करना आदि भी हो सकता है।
  • 8. कई बार ये लोग नशे के भी आदी बन जाते हैं।
  • 9. ये अपनी ज़िंदगी को व्यर्थ समझने लगते हैं। इसलिए आत्महत्या का भी विचार आता है। खुद को ख़त्म करने के बारे में बातें करना, अचानक ही दोस्तों को अलविदा कहना, उनसे मिलकर अचानक ही कभी बहुत मायूस हो जाना और कभी बहुत खुशी जाहिर करना, जैसे अनियमित व्यवहार भी देखे जाते हैं।

डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्ति की सहायता कैसे करें?

      अगर आप इस स्थिति से परेशान किसी भी व्‍यक्ति को जानते हैं या देखते हैं तो उससे प्रेम से बर्ताव करें। उसकी देखभाल करें और उसका साथ दें। उसकी बातों को सुनें। उससे बहस नहीं करें। उसकी सहायता करने के लिए उसे कोई सलाह न दें। उस पर न तो गुस्सा करें या न संदेह करें। उसे खुश करने का प्रयास करे। उसका मनोबल बढ़ाने की कोशिश करें।

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      इस तरह के पीड़ित व्यक्ति से व्यवहार में बहुत सावधानी रखने की जरूरत होती है। लेकिन उन्हें अकेले छोड़ना भी नहीं चाहिए। उन से मिलते-जुलते और बातचीत करते रहें। उनसे सहानुभूती न जताएँ। बल्कि उन्हें यह अनुभव कराने का प्रयास करें कि वे आपके लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। उनमें कितनी सकारात्मक बातें हैं। साथ ही यह भी कि वे अकेले नहीं हैं बल्कि आप भी उनके साथ हैं। उनकी गतिविधियों का सावधानी से निरीक्षण करतें रहें। (क्योंकि उनके दिमाग में आत्महत्या जैसे अतिवादी विचार भी आ सकते हैं)

      हमारी मनःस्थिति (Mood) सेरोटोनिन (Serotonin) नामक तत्व से नियंत्रित होता हैं। 90 प्रतिशत सेरोटोनिन पेट में ही बनता है। इस वजह से खानपान का संतुलित होना शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को प्रभावित कर सकता है। जिससे हमारा मूड प्रभावित हो सकता है। इसलिए उनके लिए संतुलित भोजन का ध्यान रखें। सही इलाज के लिए डॉक्टर से बात करें और उन्हें किसी मनोचिकित्सक (Psychiatrist) के पास ले जाएँ ।

      अमेरिका में Rutgers University द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों ने सप्ताह में दो बार ध्यान (Meditation), शारीरिक व्यायाम (Physical Activity), Talk therapy जैसे चिकित्सा लिया और अपने जीवन शैली में सुधार किया, उन्होंने केवल आठ सप्ताह में अपने डिप्रेशन के स्तर में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट का अनुभव किया।

      आस्ट्रेलिया के तंत्रिका वैज्ञानिक विक्टर फ्रैंकल (Viktor Frankl) ने लिखा कि “जीवन का एक उद्देश्य (goal) होना” अच्छे मानसिक स्वास्थ्य की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि हमें जिम्मेदारी और चुनौतियों से मुक्त होकर “तनाव रहित अवस्था” में रहने का लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए, बल्कि हमें जीवन में कुछ नया करने के लिए हमेशा प्रयास करते रहना चाहिए। हमे खुद से ध्यान हटाकर और किसी चीज पर ध्यान देना चाहिए ताकि अपने उद्देश्य को पूरा कर सकें।

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