माँ (त्रिकोणीय तुकांत कविता)

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माँ

हाँ

रूप

साकार

मूर्तिकार

जीव संचार

संसार आधार

अद्भुत चमत्कार

स्तन क्षीर फुहार

त्याग प्रेम दया विहार

संवेदना वात्सल्य फुहार

गंगा जमुना सरस्वती सार

कुटुंब उज्जवल भावि गुहार  

सदन मजबूत नींव एकाधार

चार धाम यात्रा पवित्र चरण द्वार

जननी धात्री मातृ प्रसू उपनाम हार

सशरीर जगत जननी दिव्य अवतार

अधर सदैव उच्चरित आशीर्वचन धार

माँ मनुष्य स्वरूप साक्षात् अन्नपूर्णा अवतार।

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