मर्यादा में रहना महत्वपूर्ण

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राजू की पंतग हवा में ऊंची उड़ रही थी। उसने पास खड़े दादा जी से कहा “देखिये दादा जी, मेरी पंतग कैसे हवा में घूम रही है” दादा जी ने हंसते हुए कहा “इसकी डोर तुमने पकड़ रखी है इसलिए तो यह उड़ पा रही है।” राजू ने उत्सुकतावश दादा जी से पूछा “यदि मै इसकी डोर तोड़ दूं तो क्या होगा?”

डॉ. सविता स्याल
गुरूग्राम

“करके देखो राजू क्या होता है” दादा जी ने राजू को समझानें की मंशा से कहा।

राजू ने डोर तोड़ दी। थोड़ी देर में डोर से अलग हुई पंतग हिचकोले खाते हुए नीचे आ गिरी और मिट्टी में मिल गयी। वास्तव में दादा जी इस उड़ती हुई पंतग के माध्यम से राजू को मर्यादा का महत्व समझाना चाहते थे।

जीवन, परिवार, समाज और राष्ट्र सुचारू रुप से चलते रहे इसके लिये मर्यादा बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। सड़क पर लाल बत्ती पर खड़े वाहन इस मर्यादा का उदाहरण है। यदि सभी वाहन चलाने वाले अपनी मर्यादा का ध्यान न रखें तो आप समझ सकते है कितनी दुर्घटनायें हो जायेंगी।

विद्यालयों में बच्चों को मर्यादा का पाठ पढ़ाया जाता है क्योंकि जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए यह गुण होना बहुत आवश्यक है। कक्षा में अपनी निर्धारित सीट पर बैठना, प्रार्थना के समय निर्धारित स्थान पर खड़े रहना। विद्यालय की गतिविधियों में मर्यादा में रहकर भाग लेना। बचपन में सिखाया गया मर्यादा और अनुशासन का पाठ बड़े होने पर सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।

आजकल लोग स्वतंत्रता को स्वछंदता मानने की भूल कर बैठते है। मन तो सदा मर्यादा को तोड़ने के लिये उतावला रहता है उसे मर्यादा में रखना बहुत आवश्यक है। मन यदि मर्यादा में होगा तो इन्द्रियां भी वश में रहेगी क्योंकि मन को इन्द्रियों का राजा कहा जाता है।

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यदि हम वाणी को मर्यादा में नही रखेंगे बिना सोचे-समझे बोलते रहेंगे तो झगड़े बढ़ेंगे। जिह्वा को स्वादिष्ट लगने वाले भोजन को ग्रहण करने में मर्यादा का पालन नही करेंगे तो स्वास्थ्य पर भारी पड़ेगा मैट्रो, बस, ट्रेन की पंक्ति को तोड़ आगे बढ़ना चाहेंगे तो सहयात्रियों के कोप के भागी बनेंगे।

बड़े-बड़े खिलाड़ी चाहे फुटबॉल का मैदान हो या क्रिकेट का, यदि खेल के नियमों की मर्यादा तोड़ते है तो उन पर पैन्लटी लगायी जाती है और बार-बार नियम तोड़ने पर खेल से बाहर कर दिया जाता है।

नदी का पानी जब किनारे तोड़कर बाहर आने लगता है तो उस पर बांध बना दिया जाता है।

जो देश अपने देश की सीमा की मर्यादा में न रह अतिक्रमण करते है तो युद्ध की स्थिति बन जाती है।

मर्यादित एवं अनुशासित जीवन संघर्षों से जुझने की शक्ति देता है, अतः मर्यादा में रहना सीखें।

शुभकामनाएं

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