फिर हुआ

शिवपुरी, मुरादाबाद, उ.प्र
आज मौसम सुहाना।
आ गया बारिशों का जमाना
भीगिए
गाइए आज गाना॥
गातीं झर-झर फुहारें
छतों पर
दर्द लिख दीजिए
सब खतों पर
बचपने में चले जाइएगा
बूँदों से है
रिश्ता पुराना॥
युग-युगों से
प्रतीक्षा रही है
मीत! अब आस
पूरी हुई है॥
प्रेयसी आ गई
आज मिलने
बात मन की
उसे अब बताना॥
जागिए
अब निकलिए घरों से
उड़ चलें आज
मन के परों से
छेड़ दी रागिनी
पंछियों ने
देखिए
पंख का फड़फड़ाना॥
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