हम घर बनवाते समय उसकी मजबूती, खूबसूरती और कई बार वास्तु का भी, ख्याल रखते हैं पर अपने बुजुर्ग होने या घर के बुजुर्गों के लिए सुविधा का ध्यान रखना भूल जाते हैं। अब कुछ रियल एस्टेट कंपनियाँ और बिल्डर इसका ध्यान रखने लगे हैं, पर अभी भी इन चीजों को उतना जरूरी तब तक नहीं माना जाता है, जब तक उसकी जरूरत न आ पड़े।
बुजुर्गों को गिरने से बचना बहुत जरूरी होता है। वे शारीरिक कमजोरी की वजह से थक भी बहुत जल्दी जाते हैं। इसलिए ये पाँच चीजें जरूरी हैं:
1. बाथरूम में फिसलन रोधी टाइल्स
अगर घर में टाइल्स लगवा रहे हैं तो बाथरूम में इसका विशेष ध्यान रखें।
2. कमोड के पास होल्डर
आपके घर में इंग्लिश या भारतीय, जिस भी शैली का शौचालय हो, उसमे कमोड के बगल में दीवार पर अच्छी क्वालिटी का होल्डर लगाएं जिसे पकड़ कर उसके सहारे बुजुर्ग उठ सकें। कई बार झटके से उठने से चक्कर आ जाता है। हाई या लो ब्लड प्रेसर वाले लोगों में यह अधिक होता है। उम्र अधिक होने पर मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है। इससे भी उठते समय गिरने का ख़तरा होता है।

3. कॉलिंग बेल (बुलाने वाली घण्टी)
कई बार जब बुजुर्ग अपने कमरे में होते हैं, तो अचानक से उन्हे कोई अटैक आ सकता है, वे गिर सकते हैं। ऐसी स्थिति हो सकती हैं जब वे किसी को आवाज भी नहीं दे सकते हों । कई बार ऐसा भी होता है जब बुजुर्ग इस स्थिति में पड़े रह जाते हैं और दूसरे कमरे में सोए हुए उनके बच्चों को पता भी नहीं चलता है। इसलिए ऐसी घण्टी एक तो कंधे की ऊंचाइयों पर और दूसरा फर्श से कुछ ऊपर दीवार पर जरूर लगवाएँ। ऐसी कम-से-कम दो घण्टी या संभव हो तो ज्यादा, उनके कमरे में जरूर लगवाएँ।
4. पलंग की कम ऊँचाई
बुजुर्ग जिस पलंग या चौकी पर सोते हों, उसकी ऊँचाई ज्यादा नहीं हो। वह केवल इतना ऊँचा हो, जिस पर वे आराम से चढ़ सकें। उनके बेड के पास दरी बिछा कर रखें ताकि अगर वे गिर भी जाएँ तो चोट कम लगे।
बुजुर्गों के कमरे में कोई नुकीली या चोट लगने वाली चीज न रखें। समान इतना ही रखें कि आने-जाने में उन्हें दिक्कत न हो और उनके गिरने की संभावना भी कम हो।
5. सीढ़ियों में रेलिंग
बड़े सीढ़ियों में तो लोग साधारणतः रेलिंग लगते ही है। लेकिन जब छोटे जमीन पर घर बना हो तो सीढ़ी का अधिकांश भाग दो दीवारों के बीच ही आ जाता है। नीचे के 4-5 सीढ़ियाँ ही खाली बचती हैं। इसमे बहुत से लोग रेलिंग नहीं लगाते हैं । लेकिन अगर आपके घर में बुजुर्ग हैं तो सीढ़ियों के दीवार और बिना दीवार- दोनों हिस्सों में रेलिंग जरूर लगवाएँ। ये चढ़ने-उतरने में भी उन्हे सहारा देता है और गिरने से भी बचाता है।
सीढ़ियों के आसपास कहीं कोई नुकीली या धारदार चीज नहीं रहने दें।

6. सीढ़ी के पास सोफा या कुर्सी
गाँवों में तो एक मंजिला घर होता है। लेकिन शहरों में सामान्यतः बहुमंजिले घर होते हैं। छोटे फ्लैट्स में लिफ्ट नहीं होते हैं। ऐसे में अगर बुजुर्ग कहीं से आते हैं तो वे थक जाते हैं। उन्हे तुरंत ही सीढ़ियाँ चढ़ने नहीं दें, भले ही एक मंजिल ही क्यो न जाना हो। सीढ़ी के नीचे सोफा या कुर्सी रखें, वहाँ कुछ देर बैठ कर, थोड़ा-सा आराम कर, और थोड़ा पानी पिला कर ही उन्हें सीढ़ियाँ चढ़ने दें।
गाँवों में भी ऐसी सुविधाएँ रखें कि अगर आपके बुजुर्ग कहीं टहलने या किसी काम से जाते हैं तो उन्हें ज्यादा देर तक लगातार खड़ा नहीं होना पड़े और बीच-बीच में वे बैठ कर आराम करते रहें।
ये सारी सावधानियाँ छोटी-छोटी हैं लेकिन हम कई बार इनकी तरफ ध्यान नहीं दे पाते हैं। जब कोई दुर्घटना हो जाती है तो हमारे बुजुर्गों को बड़ी तकलीफ उठानी पड़ती है।