दुनिया को समझाने वाले

पहले ख़ुद को तो समझा ले
लोग पुकारें कैसे तुझको
कम-से-कम इक नाम रखा ले
कब से देख रहा सूरज को
वो अपनी आँखें न जला ले
देखो वो इक परदेसी है
इस बस्ती में घर न बना ले
कोई आने वाला होगा
अब तक जाग रहे घर वाले
****
दुनिया को समझाने वाले
पहले ख़ुद को तो समझा ले
लोग पुकारें कैसे तुझको
कम-से-कम इक नाम रखा ले
कब से देख रहा सूरज को
वो अपनी आँखें न जला ले
देखो वो इक परदेसी है
इस बस्ती में घर न बना ले
कोई आने वाला होगा
अब तक जाग रहे घर वाले
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