पहला एहसास

Share

‘मेरी बात मानिए बच्चन बाबू, लड़का होनहार है, यहाँ गाँव में रह कर ज्यादा कुछ नहीं कर पाएगा। अभी तक इसने सारे क्लास में फर्स्ट लाएं है लेकिन यदि इसे सही समय पर सही जगह नहीं भेजा गया तो एक होनहार बच्चे का भविष्य खराब हो सकता है।’ शत्रुघ्न सर ने चाय की चुस्की लेते हुए अमित के पिता जी से कहा।

लेखक –  धीरज सिन्हा
टीएफ 1, प्लॉट नं 20, विधायक कॉलोनी
न्याय खंड 1, इंदिरापुरम (गाजियाबाद)
 

  अमित दूसरे कमरे में बैठा सोच रहा था पता नहीं आज शत्रुघ्न सर क्यों घर पर मिलने आएं हैं, लगता है जरूर मेरा इस बार का रिजल्ट खराब आया है, तभी शत्रुघ्न सर पापा से मेरी शिकायत करने आए हैं। जबकि मैंने तो पूरी मेहनत और लगन से पढ़ाई करके फिर एक्जाम दिया था, कहीं मैं आठवीं क्लास में फेल तो नहीं हो गया। खैर अब असल बात तो सर के जाने के बाद ही पता चल पाएगा।

     इसी उधेड़बुन में अमित लगा रहा। लगभग आधे घंटे तक पापा से बातचीत करने के बाद सर जाने के लिए खड़े हुए तो पापा भी उनके साथ साथ बाहर चले गये।

  अमित भागता हुआ अपनी माँ के पास  पहुँचा और माँ से पूछने लगा, माँ माँ शत्रुघ्न सर क्यों आए थे? कहीं मैं आठवीं क्लास में फेल तो नहीं हो गया और सर पापा से मेरी शिकायत करने आएँ हों । माँ ने अमित से कहा, बेटा मुझे अभी कुछ नहीं पता, जब तुम्हारे पापा आएँगे तो वही बताएँगे। अमित बहुत ही बेचैनी से अपने पापा जी का इंतजार करने लगा। पापाजी आए परन्तु अमित से कुछ भी नहीं कहा।

       अमित दूसरे दिन सुबह नहा-धो कर स्कूल चला गया। उस दिन एक्जाम का रिजल्ट आने वाला था और सारे बच्चे बेचैन थे। एक्जाम का रिजल्ट घोषित हुआ और अमित अपने क्लास में फर्स्ट आया। अमित खुशी-खुशी अपने घर आया और माँ और पिताजी को अपना रिजल्ट दिखाया। मगर ये क्या, माँ-पापा को कोई आश्चर्य हुआ ही नहीं, उन्होंने बस बहुत सारी बधाई और शुभकामनाएँ दिए मानों वो इसी के लिए बैठे  हों। फिर माँ ने कहा अमित हाथ मुँह  धोकर आ जाओ तुम्हारी और पापा का भोजन लगा रही हूँ ।

  अमित कल के शत्रुघ्न सर के आने वाली बात भूल चुका था। फटाफट हाथ मुँह धोकर तैयार हो कर भोजन करने आ गया। दोनों लोगों ने भोजन किया और बच्चन जी अपने काम से बाहर चले गए।

  शाम को अमित पढ़ाई कर रहा था तभी उसके पिताजी ने आवाज लगाई, अमित-अमित। अमित भागता हुआ पिताजी के पास पहुँचा। पिताजी ने गंभीरता से अमित को अपने पास बिठाया। अचानक अमित के दिमाग में कल शत्रुघ्न सर के आने वाली बात याद आ गई। अब उसने सोचा, हो सकता है कल किसी और बात की शिकायत सर ने की हो, अब डांट पड़ सकती है, पापा ने जरूर मुझे सर वाली बात बताने के लिए बुलाया है।

  तभी पिताजी ने कहा, अमित तुम्हारी आठवीं कक्षा का रिजल्ट आ गया है और तुम नौवीं क्लास में चले गए हो। हम सोच रहे हैं तुम्हारा दाखिला शहर के सरकारी स्कूल में करा दें। वहाँ का माहौल भी अच्छा रहता है और तुम्हे अपने भविष्य के लिए भी बहुत सारे रास्ते दिखेंगे। अमित डर गया, लेकिन पापा मैं वहाँ शहर के बच्चों के मुकाबले पढ़ाई में पिछड़ जाऊँगा । पिताजी ने कहा, नहीं तुम शहर के बच्चों से कम नहीं हो, कल शत्रुघ्न मास्टर आए थे और उन्होंने ही मुझे ऐसी सलाह दी जो मुझे सही भी लगा। हमलोग परसों शहर भीरू चाचा के यहाँ चलेंगे। मैं कल जरूरी तैयारी कर लेता हूँ । तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है, तुम्हे सिर्फ अपने पढ़ाई में मन लगाना है।

  फिर क्या, एक दिन बाद पिताजी के साथ अमित शहर भीरू चाचा के यहाँ चला गया। गाँव के मुकाबले शहर भीड़भाड़ वाला जगह था, गाड़ियाँ आ-जा रही थीं। अमित पहले भी भीरू चाचा के यहाँ आ चुका था और शहर उसे अच्छा लगता था।

     भीरू चाचा से बातचीत के बाद शहर के अच्छे को-एड वाले सरकारी स्कूल में नामांकन हो गया। नौवीं क्लास की पढ़ाई शुरू हो गई। लेकिन ये क्या, अमित शहरी बच्चों के सामने कम्प्लेक्स में आने लगा। उसे लगता शहरी बच्चे पढ़ाई में ज्यादा अच्छे हैं। फिर क्या, अमित दिन-रात मन लगा कर पढ़ाई करने लगा। धीरे-धीरे अमित सभी टीचर्स और कुछ सिम्पल इंटेलिजेंट स्टूडेंट्स का फेवरेट होने लगा।

Read Also:  वृद्धावस्था में व्यवहार में परिवर्तन

  अमित की सफलता का राज यह था यदि क्लास में टीचर ने कोई सवाल पूछा, चाहें किसी भी विषय में हो, यदि कोई दूसरा स्टूडेंट उसे अमित से पहले बना कर दिखा देता तो अमित दिल पर ले लेता और पुन: नए जोश से पढ़ाई करने लगा जाता। अब लगभग अमित के सेक्शन के सारे स्टूडेंट्स उसकी काबिलियत को स्वीकार कर चुके थे।

  अब बारी थी अमित की नौवीं क्लास के सभी सेक्शनों में आगे होने की। अब अमित को अक्सर नौवीं क्लास के सबसे अच्छे सेक्शन (ए) में बिठाया जाने लगा, जहाँ उसका सामना शहर के कान्वेंट और पब्लिक स्कूल से आये बच्चों से होने लगा। अमित गाँव से आया था अतः उसने लड़कियों को इतनी सिरियसली पढ़ाई करते कभी नहीं देखा था।

  लेकिन ये क्या, यहाँ तो जैसे क्लास में किसी को परमिशन ही नहीं था कोई भी सवाल को पहले बना कर टीचर को दिखाने का। कोई भी विषय हो सबमें लड़कियों का ही बोलबाला था । बेचारा दिन रात मेहनत करके पढ़ाई करने लगा।

    गाँव में उसे अंग्रेजी भाषा की शुरुआती पढ़ाई अच्छी नहीं मिली, इसलिए वो नए सेक्शन में शहरी लड़के-लड़कियों से पिछड़ जाता। तभी जाने-अनजाने अमित को कक्षा की सबसे मेधावी छात्रा तमन्ना से थोड़ी जुड़ाव-सी होने लगी, क्योंकि अमित अपने द्वंद्वी के रूप में तमन्ना को ही हर समय अपने करीब पाता। कोई भी सवाल बनाना हो, या तो अमित पहले बना कर टीचर को दिखा देता या जरा भी देर होती तो तमन्ना दिखा देती। मुकाबला टक्कर का होता था। घर पर भी अमित जब भी कहीं बैठा होता, उसे क्लास की याद आ जाती और वो फटाफट सब कुछ छोड़कर पढ़ने बैठ जाता, क्योंकि उसे तमन्ना को मात देनी थी।

  अमित के चाचा और चाची भी अमित के आ जाने से खुश थे क्योंकि उनका एकलौता बेटा सुमित भी अमित की संगत में आकर पढ़ाई करने में मन लगाने लगा था। इसी बीच अमित की पढ़ाई भी निखरती गई और शहरी बच्चें भी अमित को पसंद करने लगें।

  अक्सर उसकी कॉपी एक लड़के से दूसरे, और दूसरे से तीसरे के पास घूम जाती। एक दिन लंच ब्रेक में अमित क्लास में ही बैठा कुछ पढ़ाई कर रहा था। तभी तमन्ना एक तुमने भौतिकी विज्ञान का न्यूटन के दूसरे गति के नियम का सवाल बना लिया है क्या। अमित एकदम अकचका गया, आज तक ना तो उसने किसी लड़की से बात की थी ना ही किसी लड़की ने उससे बात की थी।

       वो एकदम से घबरा गया, अपने आप को संभालते हुए उसने लड़खड़ाते आवाज में पूछा, …… जी क्या, …..क्या कहा आपने। तमन्ना ने दोबारा अपनी सवाल दोहराया, आपने भौतिकी विज्ञान का न्यूटन के दूसरे गति के नियम का सवाल बना लिया है। ….. जी, जी हाँ, बना लिए है, ल…. लेकिन आ…आज तो भौतिक विज्ञान का घंटी है ही नहीं, बताइए…. । …..कुछ नहीं मेरा एक दो सवाल फँस रहा था तो सोची आपसे डिस्कस कर लूँगी । …..क्या आप मेरी मदद करोगे। इतने में क्लास का समय होने लगा था, बाकी के बच्चें क्लास में आने लगे थे। अमित असहज होता जा रहा था। उसने बिना कुछ बात किए बोल दिया …. म…मैं आपको कल अपनी कॉपी दे दूँगा, ……आप देख लेना, फिर भी समझ ना आए तो मैं समझा दूँगा । तमन्ना ने अमित को थैंक्स कहा और अपने सीट पर चली गई।

  इधर अगले विषय के टीचर ने आकर पढ़ाना शुरू कर दिया परन्तु अमित को कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। उसके दिल की धड़कन काफी तेज हो चुकी थी, शहर की लड़की, इतनी निर्भयता से सबके सामने आकर बात कर गई थी, गाँव में तो इस तरह लड़का-लड़की कभी खुले में बात नहीं कर सकते थे। वो अपनी जिंदगी में पहली बार किसी लड़की से बात किया था जिसको उसने प्रतिद्वंद्वी के रूप में ही, लेकिन सबसे करीब माना था। उसके इस तरह एकदम पास आकर अचानक से बात करना, अमित को विश्वास हीं नहीं हो रहा था। अब स्कूल के सारे पीरियड बीत चुके थे और घर जाने का समय आ गया, अमित को कुछ पता नहीं चला। रास्ते में भी अमित कहाँ जा रहा है कुछ ध्यान नहीं था।

Read Also:  भोजपुरी में रामायण के रचयिता पं0 व्रतराज दुबे ‘विकल’ से साक्षात्कार

  अमित घर पहुँचा, जल्दी-जल्दी अपनी भौतिक विज्ञान की कॉपी निकाला और सारे सवाल देख गया। कल ये कॉपी तमन्ना के पास जाएगी, ऐसा सोच अमित कॉपी को बार-बार देखता, कहीं कोई कमी तो नहीं है मेरी कॉपी में, ये जिल्द पुरानी हो गई है, नया जिल्द लगा देता हूँ, मेरा नाम तो ठीक से लिखा है न। इसी उधेड़ बुन में वह पढ़ाई भी नहीं कर सका। रात्रि का खाना खाने में भी मन नहीं लग रहा था, चाचा ने पूछा भी, अमित क्या बात है, कोई परेशानी है, तबियत तो ठीक है ना। कोई बात नहीं चाचा जी, सब ठीक है, कोई बात नहीं है। फिर खाना खाकर अमित अगले दिन का रुटीन लगाया जिसमें भौतिक विज्ञान की कॉपी का विशेष ध्यान रखा।

  रात्रि में बिस्तर पर नींद नहीं आ रही थी, बार-बार तमन्ना और उसकी बातें आँखों के सामने आ जाती। अमित चाह कर भी सो नहीं पा रहा था। कभी करवट बदलता, तो कभी उठ कर पानी पीने जाता। फिर कुछ समय बाद घड़ी देखता, अरे, अभी तो रात के बारह भी नहीं बजें। सुबह कब होगी, स्कूल भी जाना है, तमन्ना को कॉपी देना है। तमन्ना अभी क्या कर रही होगी, क्या वो भी मेरे बारे में सोच रही होगी। चौदह साल की उम्र में पता नहीं अमित ने क्या-क्या सोच लिए। फिर पता नहीं कब आँख लग गई और सुबह ही नींद खुली।

   सुबह बिल्कुल खास थी। चूँकि सरकारी स्कूल में तब कोई ड्रेस नहीं था, अमित अपना सबसे मनपसंद कमीज पहन कर सज-संवर कर स्कूल गया। स्कूल पहुँचते ही नजरें तमन्ना को ढूँढने लगी, लेकिन तमन्ना दिख नहीं रही थी। क्या तमन्ना स्कूल नहीं आई, कहीं उसकी  तबियत तो खराब नहीं हो गई या फिर क्लास में मेरे साथ बातचीत करते देख किसी ने उसके घर कम्पलेन कर दिया हो। उसके मम्मी-पापा ने स्कूल नहीं जाने दिया हो।

       अमित बेचैन होता रहा, बड़ी मुश्किल से एक घंटी पढ़ाई किया। अब अमित की बेचैनी और बढ़ती जा रही थी। फिर अमित ने निर्णय लिया कि तमन्ना के साथ जो लड़की आई थी उससे पूछता हूँ। लेकिन अमित को उस लड़की से बात करने का मौका नहीं लग रहा था। फिर लंच टाइम में अमित ने हिम्मत करके उस दूसरी लड़की से पूछ ही डाली, रश्मि, ….. रश्मि तमन्ना नहीं आई क्या? रश्मी एकदम से घबरा गई, जैसे अमित ने उससे क्या पूछ लिया हो। अमित ने घबराते हुए दूबारा पूछा, ….….त… तमन्ना आज नहीं आई क्या? रश्मी ने संभलते हुए कहा, ….नहीं, …..आज नहीं आई, क्यों कुछ बात है क्या……। अमित को अजीब लगा, अरे….. ये लड़की तो कल तमन्ना के साथ आई थी मेरे पास, फिर ये कैसे बेरूखी से बात कर रही है……। अमित ने निराश भाव से जवाब दिया, न….नहीं कोई बात नहीं है।….. फिर अमित क्लास रूम में आकर उधेड़बुन में लग गया। उसकी सारी तैयारी रखी रह गई थी, उपर से रश्मी की बेरूखी बातें।

    अमित बिल्कुल उदास हो गया। वह दिन अमित पर बहुत भारी बीता । अब अमित आगे की रणनीति तैयार करने में लग गया। क्या करूँ, कल तो भौतिक विज्ञान की क्लास नहीं है कॉपी ले जाऊँ या नहीं। लेकिन अगर तमन्ना आएगी और मुझसे कॉपी मँगेगी तो क्या करूँगा। इसी उधेड़बुन में शाम का समय जल्दी बीत गया और अंत में अमित ने फैसला किया कि वो भौतिक विज्ञान की कॉपी लेकर स्कूल जाएगा, लेकिन किसी भी दोस्त को बताएगा नहीं।

Read Also:  बरसात

  फिर सुबह अमित स्कूल के लिए तैयार हो गया। आज उसे तमन्ना सुबह-सुबह ही दिख गई। फिर भी अमित ने गंभीरता रखते हुए उससे बात नहीं किया। लेकिन छिपी नजर से इस उम्मीद से तमन्ना को देखता मानो तमन्ना अब उससे कॉपी के बारे में बात करने आएगी। एक घंटी बीत गई, दो घंटी बीत गई, तीन घंटी बीत गई, पर ये क्या, तमन्ना ने तो मुड़ कर देखा तक नहीं। अमित इंतजार करता रहा, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे तमन्ना ने अमित से कोई बात ही ना की हो। आज का दिन समाप्त होने वाला है लेकिन तमन्ना ने देखा तक नहीं। उसके हाव-भाव में कोई बदलाव था ही नहीं।

  बेचारा अमित भौतिक विज्ञान का कॉपी दिए बिना वापस घर ले आया। अमित बहुत उदास हो गया था। लेकिन शहर के दोस्त उसे अकेला नहीं छोड़ते। फिर कुछ दिन में अमित ठीक हो गया। लेकिन वह तमन्ना को हमेशा अपने निकट के प्रतिद्वंद्वी के रूप में मानता। हमेशा अमित को लगता कि तमन्ना उससे बात करेगी। लेकिन खुद अमित ने कभी कोशिश नहीं की।

  वार्षिक परीक्षा आई, परिणाम भी घोषित हुए। अमित प्रथम स्थान हासिल किया। अब दसवीं कक्षा में दोस्त उसे जाने-अनजाने तमन्ना को लेकर मजाक कर लिया करते। तभी अमित ने अपने एक दोस्त संजीव से भौतिक विज्ञान की कॉपी वाली बात बता दी। तमन्ना की ये बात उसके दोस्त को बहुत बुरी लगी। उसने कहा, यार तुम्हे तमन्ना को प्रोपोज करना चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि वो भी तुम्हे पसंद करती होगी। फिर क्या, संजीव तमन्ना की एक-एक हरकत को ध्यान से देखता और उसे अमित से जोड़कर अमित को अच्छा महसूस कराता। ऐसे ही दिन बीतते गए।

  दसवीं बोर्ड का रिजल्ट घोषित हो गया दोनों फर्स्ट रैंक में आए और दोनों को पुरस्कृत करने के लिए स्कूल से चयन हुआ और उन्हें दूसरे शहर जाने का मौका मिला। संजीव  अमित को रात-दिन तमन्ना को प्रोपोज करने का तरीका बताने लगा। दुनिया की सारी प्रेम कहानियों का वास्ता देने लगा। फिर अमित ने निर्णय लिया कि अब मामला या तो आर या पार।

     अवार्ड समारोह में जाने से पहले संजीव ने एक लेटर पैड और खुशबुदार पेन अमित को गिफ्ट किया और अमित के साथ मिलकर प्यारा-सा प्रेम पत्र लिखने को बोला। दो-चार पेज फाड़ने के बाद आखिर एक पत्र फाइनल हुआ। फिर उसे कैसे देना है इसके लिए अमित को हौसला दिया और ट्रेंड किया।

  अमित और तमन्ना के साथ में स्कूल के और भी बच्चे और शिक्षक अवार्ड समारोह में गये। अमित हमेशा मन में योजना बनाता कि अभी ये पत्र तमन्ना को दे देना है लेकिन जब भी वो ऐसा करने के लिए उसके पास आता, उसकी निर्दोष सूरत, सादगी भरी बातें और निष्कपट व्यवहार देखकर अमित उसे प्रोपोज नहीं कर पाता। एक मौका, दो मौका, तीन मौका। जब भी अमित तमन्ना के पास पत्र देने के लिए सोच कर जाता, उसकी धड़कन बढ़ जाती और वो कुछ भी नहीं बोल पाता। एक पूरा दिन बीत गया, सारे बच्चे वापस अपने शहर लौट आए।

वापस आने के बाद अगले दिन संजीव ने एक्साइटेड होकर अमित से पूरी कहानी बताने को कहा। अमित ने आपबीती सुनाई और संजीव से कहा, यार ये समय मेरे लिए प्यार-मोहब्बत के लिए नहीं है, हाँ, ये सही है तमन्ना को मैं पसंद करता हूँ, लेकिन उसके मन में ऐसा कुछ नहीं है, वो जब भी मिलती, अच्छे से बात करती है, और यदि मैं उसे इस तरह की बात करूँगा तो उसे बुरा लग सकता है। मैं तमन्ना से ये बात कहूँगा ही नहीं, और ये मेरी जिन्दगी की एक सुहानी याद बन कर हमेशा जिंदा रहेगी। ये मेरी पहली एहसास बनकर रहेगी…….

****

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top

Discover more from

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading