निकला पुत्र बेदर्द हमारा। वो ना समझे दर्द हमारा।
स्वर्ग सिधार गई है पत्नी, कोई नहीं हमदर्द हमारा।।1
सारी उमर कमाया खिलाया। लेकर कर्ज, पढ़ाया लिखाया।
कफ, पित्त, वायु ने घेरा। वो ना समझे मर्ज हमारा।।
निकला पुत्र बेदर्द हमारा। वो ना समझे दर्द हमारा ।। 2
मुश्किल मेरा रोग निवारण। कहते लोग बहू के कारण।।

मेरा बेटा बदल गया है। क्यों भूला वो फर्ज हमारा।
निकला पुत्र बेदर्द हमारा। वो ना समझे दर्द हमारा ।। 3
जीवन बोझ लगा है लगने। नजरें फेरी मुझसे सबने।।
है ये बुढ़ापा एक सच्चाई। पर बेटा खुदगर्ज हमारा ।।
निकला पुत्र बेदर्द हमारा। वो ना समझे दर्द हमारा।। 4
तरह तरह के रोग सताए। कौन मुझे अब गले लगाए ।।
जीवन में आनंद कहां अब। दुश्मन मौसम सर्द हमारा।।
निकला पुत्र बेदर्द हमारा। वो ना समझे दर्द हमारा।। 5।।
फटी पुरानी पहनूँ धोती। पास ना आए पोता पोती।।
कोरोना जैसी हर खासी। कर लो दुखड़ा दर्ज हमारा।।
निकला पुत्र बेदर्द हमारा। वो ना समझे दर्द हमारा।। 6 ।।
थकते ही जीवन का घोड़ा। सब लोगों ने नाता तोड़ा कहती बहू गुलाम नहीं है, सुनो ससुर जी मर्द हमारा।।
निकला पुत्र बेदर्द हमारा। वो ना समझे दर्द हमारा।। 7।।
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