दरक जाते हैं

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प्रीति मिश्रा, गुरुग्राम, हरियाणा 

चेहरे बुजुर्गों के फूल से खिल जाते हैं

बच्चे जब मिलने चले  आते हैं…

यह सच कहते हुए लोगों को सुना

बुढ़ापे में बचपन ही तो दोहराते हैं…

दिल का अच्छा खफ़ा-ख़फ़ा सा है

रुठे हुए शख्स को चलो सब मनाते हैं…

हार जाएंगे सन्नाटे जो ठान लो तुम,

चलो एक गीत तरन्नुम में गुनगुनाते हैं…

हाल पूछोगे, बस मुस्कुरा के रह जाएंगे

बात दिल की किसी को कब बताते हैं…

कलम कहती ही नहीं कहानी अपनी

हौसला नहीं, दर्द से हम भी घबराते हैं…

अजब बात है सब भूल गया मैं कैसे

गुजरे जमाने वे आज भी दोहराते हैं….

रिश्ते नाते वफ़ा रखिये सब संभाल कर

काँच से नाज़ुक छूटे तो दरक जाते हैं…

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